फैटी लीवर को हेपेटिक स्टीटोसिस के रूप में जाना जाता है, ये एक चिंताजनक स्थिति है जो लीवर कोशिकाओं के भीतर फैट के एब्नॉर्मल एक्युमुलेशन है. फैटी लीवर की समस्या काफी आम हो गई है और कई बड़े-बड़े हेल्थ रिस्क पैदा करती है. रोकथाम और प्रोपर मैनेटमेंट के लिए फैटी लीवर के सामान्य कारणों को समझना जरूरी है. मोटापा फैटी लीवर में एक प्रमुख योगदान कारक है. जब किसी का वेट ज्यादा होता है, तो उसके शरीर में फैट बढ़ने लग जाता है और एक्स्ट्रा फैट लीवर में भी जमा हो सकता है.
किन वजहों से फैटी लीवर का सामना करना पड़ता है?
वेस्टर्न डाइट, अनहेल्दी फैट, एक्स्ट्रा शुगर और प्रोसेस्ड फूड्स का ज्यादा मात्रा में सेवन फैटी लीवर की बढ़ती घटनाओं में बड़ी भूमिका निभाता है. बहुत ज्यादा कैलोरी का सेवन और जरूरी पोषक तत्वों की कमी से लीवर फैट को मेटाबॉलाइज करने की क्षमता पर भार पड़ सकता है, जिसकी वजह से लिवर सेल्स के भीतर फैट जमा हो सकता है.
टाइप 2 डायबिटीज
इंसुलिन रेजिस्टेंस एक ऐसी कंडिशन है जिसमें बॉडी सेल्स कम इंसुलिन बनाती हैं, ये एक हार्मोन है जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करते हैं. यह अक्सर मोटापे से जुड़ा होता है और टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकता है. इंसुलिन रेजिस्टेंस या डायबिटीज फैटी लीवर में योगदान दे सकता है.
शराब पीना
शराब का सेवन फैटी लीवर का एक कारण है. बहुत ज्यादा शराब के सेवन से अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग हो सकता है. मध्यम शराब का सेवन भी लीवर के लिए हानिकारक हो सकता है.
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मेटाबॉलिक सिंड्रोम
मेटाबॉलिक सिंड्रोम हेल्थ कंडिशन का एक ग्रुप है जिसमें मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर लेवल और एब्नॉर्मल लिपिड प्रोफाइल शामिल हैं. मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में लीवर के कार्य पर इन मेटाबॉलिक असामान्यताओं के प्रभाव के कारण फैटी लीवर होने का खतरा बढ़ जाता है.
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