क्या है निपाह वायरस, जिसके चलते केरल में 14 साल के लड़की ने गंवाई जान, कब जानलेवा बन जाता है Nipah Virus

इस लेख में जानते हैं निपाह वायरस (Nipah Virus) कहां से आया, कितना खतरनाक है निपाह वायरस, कैसे फैलता है और कैसे निपाह वायरस से बचा जा सकता है; साथ ही साथ जानेंगे कि निपाह वायरस से बचने के लिए किस तरह के टीके मौजूद हैं.

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निपाह वायरस (NiV) एक जूनोटिक वायरस (zoonotic virus) है. यह वो वायरस होते हैं जो जानवरों से मनुष्यों में फैलते हैं. इसके अलावा निपाह दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे लोगों के बीच भी फैल सकता है. संक्रमित लोगों में, यह ए-सिम्पटमेटिक (asymptomatic (subclinical) संक्रमण से लेकर तीव्र श्वसन बीमारी (acute respiratory illness) और घातक इंसेफेलाइटिस (fatal encephalitis) यानी दिमागी सूजन का कारण बन सकता है. जिसके चलते मौत हो सकती है. यह वायरस सूअर जैसे जानवरों में भी गंभीर बीमारी पैदा कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप किसानों को काफी आर्थिक नुकसान होता है. इस लेख में जानते हैं निपाह वायरस (Nipah Virus) कहां से आया, कितना खतरनाक है निपाह वायरस, कैसे फैलता है और कैसे निपाह वायरस से बचा जा सकता है; साथ ही साथ जानेंगे कि निपाह वायरस से बचने के लिए किस तरह के टीके मौजूद हैं.

कहां से आया निपाह वायरस, कब-कब फैलाया प्रकोप

निपाह वायरस की पहचान सबसे पहले 1999 में मलेशिया में सुअर पालने वालों में एक आउटब्रेक के दौरान हुई थी. 1999 के बाद से मलेशिया में कोई नया आउटब्रेक नहीं देखा गया है. इसे 2001 में बांग्लादेश में भी पहचाना गया था, और तब से उस देश में लगभग हर साल आउटब्रेक होता रहा है. इस बीमारी की पहचान पूर्वी भारत में भी समय-समय पर की गई है. इसके अलावा भी निपाह का खतरा कई दूसरे इलाकों में भी बना रहता है. क्योंकि वायरस के सबूत ज्ञात प्राकृतिक जलाशय और कंबोडिया, घाना, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, फिलीपींस और थाईलैंड सहित कई देशों में कई अन्य चमगादड़ प्रजातियों में पाए गए हैं.

कैसे फैल रहा है निपाह वायरस 

निपाह के पहले आउटब्रेक के दौरान ( जोकि मलेशिया में हुआ था) अधिकांश मानव संक्रमण बीमार सूअरों या उनके दूषित ऊतकों के सीधे संपर्क के परिणामस्वरूप हुआ. माना जाता है कि सूअरों के स्राव के असुरक्षित संपर्क या बीमार जानवर के ऊतक के असुरक्षित संपर्क के माध्यम से संचरण हुआ.

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निपाह वायरस जानवरों (जैसे चमगादड़ या सूअर) या दूषित खाद्य पदार्थों से मनुष्यों में फैल सकता है और सीधे मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है. बांग्लादेश और भारत में बाद के निपाह आउटब्रेक ​​में, संक्रमित फल, चमगादड़ों के मूत्र या लार से दूषित फलों या फलों के उत्पादों (जैसे कच्चे खजूर का रस) का सेवन संक्रमण का सबसे संभावित स्रोत था. 

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किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी निपाह वायरस इंसानों के बीच फैल सकता है. 2001 में भारत के सिलीगुड़ी में, एक स्वास्थ्य देखभाल सेंटर में वायरस के संचरण की रिपोर्ट की गई थी. यहां 75 फीसदी मामले अस्पताल के कर्मचारियों या आगंतुकों के बीच हुए थे. 2001 से 2008 तक बांग्लादेश में दर्ज मामलों में से लगभग आधे मामले, संक्रमित रोगियों की देखभाल के माध्यम से मानव-से-मानव में संक्रमण के कारण थे. 

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निपाह वायरस के लक्षण 

कई मामलों में निपाह वायरस ए-सिम्पटमेटिक हो सकता है. यानी इसमें किसी तरह के लक्षण ही न दिखें. इसके अलावा निपाह वायरस होने पर दिखने वाले लक्षण कुछ इस तरह के हो सकते हैं 
- तीव्र श्वसन संक्रमण (हल्का, गंभीर) 
- घातक एन्सेफलाइटिस (दिमागी बुखार)

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संक्रमित लोगों में शुरू में बुखार, सिरदर्द, मायलगिया (मांसपेशियों में दर्द), उल्टी और गले में खराश जैसे लक्षण विकसित होते हैं. इसके बाद चक्कर आना, उनींदापन, चेतना में बदलाव और न्यूरोलॉजिकल संकेत हो सकते हैं जो एक्यूट एन्सेफलाइटिस का संकेत देते हैं. कुछ लोगों को असामान्य निमोनिया और तीव्र श्वसन संकट सहित गंभीर श्वसन समस्याओं का भी अनुभव हो सकता है. एन्सेफलाइटिस और दौरे गंभीर मामलों में होते हैं, जो 24 से 48 घंटों के भीतर कोमा में चले जाते हैं.

कितना खतरनाक है निपाह वायरस 

एक्यूट एन्सेफलाइटिस से बचने वाले अधिकांश लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन बचे हुए लोगों में दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल स्थितियां देखी गई हैं. लगभग 20 फीसदी रोगियों में दौरे के विकार और व्यक्तित्व परिवर्तन जैसे न्यूरोलॉजिकल परिणाम रह जाते हैं. ठीक होने वाले कुछ लोगों में से कुछ को बाद में फिर से बीमारी हो जाती है या उन्हें देरी से शुरू होने वाला इंसेफेलाइटिस हो जाता है.

निपाह वायरस यह जानवरों की एक विस्तृत श्रृंखला को संक्रमित करता है और लोगों में गंभीर बीमारी और मृत्यु का कारण बनता है, जिससे यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बन जाता है. निपाह वायरस कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इससे होने वाली मृत्यू के आंकड़ों से लग सकता है. निपाह वायरस के मामले में मृत्यु दर 40 से 75 फीसदी होने का अनुमान है.

निपाह वायरस का निदान | निपाह वायरस संक्रमण का पता लगाने के लिए किए जाने वाले टेस्ट हैं - 

- रियल टाइम पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) (real time polymerase chain reaction (RT-PCR) 
- एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट परख (एलिसा) (enzyme-linked immunosorbent assay (ELISA). 

उपयोग किए जाने वाले अन्य परीक्षणों में पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) परख और सेल कल्चर द्वारा वायरस अलगाव शामिल हैं.

निपाह वायरस के लिए उपचार

वर्तमान में निपाह वायरस संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट दवा या टीका नहीं है, हालांकि WHO ने निपाह को WHO अनुसंधान और विकास ब्लूप्रिंट के लिए प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में पहचाना है. गंभीर श्वसन और तंत्रिका संबंधी जटिलताओं के इलाज के लिए गहन सहायक देखभाल की सिफारिश की जाती है.

क्या निपाह वायरस से बचने के लिए किसी तरह का टीका मौजूद है

वर्तमान में, निपाह वायरस के खिलाफ कोई टीका उपलब्ध नहीं है. मनुष्यों के लिए प्राथमिक उपचार सहायक देखभाल है. डब्ल्यूएचओ आरएंडडी ब्लूप्रिंट प्राथमिकता रोगों की सूची की 2018 की वार्षिक समीक्षा से संकेत मिलता है कि निपाह वायरस के लिए त्वरित अनुसंधान और विकास की तत्काल आवश्यकता है.

निपाह वायरस से बचाव के तरीके

विश्व स्वास्थ्य संगठन इस संक्रमण के प्रकोप वाले क्षेत्रों में फलाहारी चमगादड़ों और सूअरों के संपर्क से दूर रहने की सलाह देता है. कच्चे या अधपके फलों का सेवन करने से भी बचें. ऐसे फलों का सेवन न करें जिस पर चमगादड़ के निशान हों. भोजन को अच्छे से पकाकर खाने की सलाह दी जाती है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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