डब्लूएचओ के मुताबिक, भारत में चार दंपत्तियों में से एक को फर्टिलिटी की समस्या है. हालांकि मेडिकल केयर में हुई उन्नति, असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नॉलॉजी (एआरटी) में इनोवेशंस ने इन-वाईट्रो फर्टिलाईज़ेशन (आईवीएफ) जैसे समाधान प्रस्तुत किए हैं, जो इनफर्टिलिटी से पीड़ित दंपत्तियों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं. ऐसे में हमने इनफर्टिलिटी क्या है, इनफर्टिलिटी के कारण क्या हैं और इसके लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं जैसे सवालों के जवाब पाने के लिए बात की डॉ मुस्कान छाबड़ा, सलाहकार, बिरला फर्टिलिटी और आईवीएफ से आप भी जानें कुछ बातों को...
इनफर्टिलिटी कैसे होती है?
इनफर्टिलिटी के बारे में सबसे आम धारणा यह है कि इनफर्टिलिटी केवल महिलाओं को होती है, लेकिन सच यह है कि इनफर्टिलिटी अनेक कारणों से पुरुषों में भी समान रूप से हो सकती है. उदाहरण के लिए, महिलाओं में एंडोमीट्रियोसिस, ओवुलेटरी डिसफंक्शन, एवं फैलोपियन ट्यूब में रुकावट गर्भधारण की मुख्य बाधाएं हो सकती हैं. इसी समय, पुरुषों में स्पर्म की खराब क्वालिटी या मात्रा इस प्रक्रिया में रुकावट डाल सकती है. आमतौर से अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, जैसे मदिरापान, धूम्रपान, तनाव एवं अन्य समस्याओं के कारण इनफर्टिलिटी हो सकती है.
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आईवीएफ कैसे काम करता है?
डॉ मुस्कान छाबड़ा कहती हैं कि इन वाईट्रो फर्टिलाईज़ेशन (आईवीएफ) जटिल प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला है, जो फर्टिलिटी में और जेनेटिक समस्याओं को दूर कर गर्भधारण करने में मदद करने के लिए इस्तेमाल की जाती है.
आईवीएफ में ओवरीज़ से परिपक्व अंडे निकाले जाते हैं और लैब में उन्हें स्पर्म द्वारा फर्टिलाईज़ किया जाता है. उसके बाद फर्टिलाईज़्ड अंडा (एम्ब्रायो) या अंडे यूटेरस में ट्रांसफर किए जाते हैं. आईवीएफ के एक संपूर्ण चक्र में लगभग तीन हफ्तों का समय लगता है. हालांकि कभी-कभी इस चरणों को विभिन्न हिस्सों में विभाजित कर दिया जाता है, जिसमें और ज्यादा लंबा समय लग सकता है.
डॉ मुस्कान छाबड़ा के अनुसार आईवीएफ असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नॉलॉजी की सबसे प्रभावशाली रूप है. इस प्रक्रिया को दंपत्ति के अंडे व स्पर्म द्वारा पूरा किया जा सकता है, या फिर आईवीएफ में किसी ज्ञात या अज्ञज्ञत डोनर के अंडे, स्पर्म या एम्ब्रायो लेकर प्रक्रिया पूरी की जा सकती है. कुछ मामलों में जेस्टेशनल कैरियर (जो महिला अपने गर्भ में एम्ब्रायो को स्थापित कराती है) की मदद ली जा सकती है.
डॉ मुस्कान ने कहा ''आईवीएफ द्वारा सेहतमंद शिशु प्राप्त करने की संभावना अनेक तत्वों, जैसे आपकी उम्र और इनफर्टिलिटी के कारण पर निर्भर होती है. इसके अलावा, आईवीएफ में काफी ज्यादा समय लगता है, यह महंगा है और इसमें चीर-फाड़ की जरूरत हो सकती है. अंत में, यदि गर्भ में एक से ज्यादा एम्ब्रायो विकसित हो जाते हैं, तो आईवीएफ द्वारा एक से ज्यादा शिशु जन्म ले सकते हैं (मल्टीपल प्रिग्नेंसी).''
कितने आईवीएफ चक्र पूरे किए जाने चाहिए?
इस बारे में बात करने पर डॉ मुस्कान छाबड़ा ने कहा कि ''आईवीएफ के सफल होने की संभावना 42 साल की उम्र के बाद तेजी से गिरती है. ह्यूमन फर्टिलाईज़ेशन एंड एम्ब्रायोलॉजी अथॉरिटी (एचएफईए) द्वारा एकत्रित किए गए डेटा से प्रदर्शित होता है कि आईवीएफ चक्रों के बाद शिशु का जन्म होने की संभावना 20 प्रतिशत है, जब माँ 38 से 39 साल की होती है, जो माँ के 40 से 42 साल का होने पर घटकर 14 प्रतिशत रह जाती है, तथा जब माँ 42 साल से ज्यादा उम्र की होती है, तब आईवीएफ के सफल होने की दर केवल 5 प्रतिशत रह जाती है. हालांकि, आईवीएफ कराने वाले लोगों पर काफी भावनात्मक व वित्तीय बोझ पड़ता है, इसलिए बहुत कम डॉक्टर ही तीन चक्र के बाद उचित मेडिकल स्थितियां होने पर आईवीएफ को आगे बढ़ाने का परामर्श दे सकते हैं.''
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आईवीएफ के दौरान किन बातों का ध्यान रखें
आईवीएफ का इलाज कराते हुए यह आवश्यक है कि उपचार के अधिकांश समय में सेहतमंद जीवनशैली बनाकर रखी जाए. एक सेहतमंद वजन रखने, संतुलित आहार लेने, जो फर्टिलिटी में मदद करे, जैसे फल, फलियां, अनाज, और खासकर हरी पत्तीदार सब्जियां खाने, बुरी आदतों, जैसे मदिरापान और धूम्रपान से दूर रहने, तनावमुक्त जीवन व्यतीत करने, पर्याप्त नींद लेने और शारीरिक व्यायाम करने से आपको अपेक्षानुरूप परिणाम प्राप्त करने में मदद मिल सकती है.
(ये लेख डॉ मुस्कान छाबड़ा, सलाहकार, बिरला फर्टिलिटी और आईवीएफ से बातचीत पर आधारित है.)
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