Fragile X Syndrome क्या है ? जिसकी वजह से नहीं विकसित हो पाता है दिमाग, जानिए इसकी चपेट में कौन सबसे ज्यादा

Fragile X Syndrome: पहले के समय में किसी बीमारी या शरीर से जुड़ी परेशानी के बारे में लोगों को बताने के लिए डॉक्यूमेंट्री फिल्में सबसे आसान तरीका थी. वहीं, समय के साथ हिंदी सिनेमा ने इस ओर अपना खींचा और कुछ गंभीर बीमारियों को सबके सामने लाया गया.  

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Fragile X Syndrome: पहले के समय में किसी बीमारी या शरीर से जुड़ी परेशानी के बारे में लोगों को बताने के लिए डॉक्यूमेंट्री फिल्में सबसे आसान तरीका थी. वहीं, समय के साथ हिंदी सिनेमा ने इस ओर अपना खींचा और कुछ गंभीर बीमारियों को सबके सामने लाया गया.  इन्हीं में से अभिनेता रजनीश दुग्गल की शॉर्ट फिल्म 'फ्रेजाइल' है, जिसे इटली के प्रतिष्ठित 'अमीकोर्टी अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव' में दिखाया गया. बता दें कि 'फ्रेजाइल' एक शॉर्ट फिल्म है जो 'फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम' के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए बनाई गई है. यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी स्थिति है जिसके साथ बच्चा पैदा होता है. यह वंशानुगत है, यानी परिवार से आगे बढ़ती है.

हेल्थलाइन के अनुसार, यह समस्या लड़कियों के मुताबिक लड़कों में ज्यादा देखने को मिलती है, हालांकि लड़कियां भी इससे प्रभावित हो सकती हैं, लेकिन उनमें इसके लक्षण कुछ कम होते हैं. वहीं, इस बीमारी की पहचान बचपन में ही समझ में आने लगती है, जब बच्चे का विकास अन्य बच्चों की तुलना में कम होता है. इसका कोई इलाज नहीं हैं लेकिन थेरेपी से बच्चों के जीवन में सुधार किया जा सकता है.

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दरअसल, (एफएमआर1) जीन में कोई बदलाव आता है, तो यह एफएमआरपी प्रोटीन बनाता है या फिर कम मात्रा में बनाता है. इस कमी की वजह से ही दिमाग का विकास सही से नहीं हो पाता, जिससे बच्चे के साथ कई तरह की परेशानियां होने लगती है.

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'फ्रैजाइल एक्स सिंड्रोम' के लक्षण व्यक्ति की उम्र, जेंडर और प्रभावित जीन की गंभीरता के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं. यह सिंड्रोम मुख्य रूप से मानसिक और व्यवहारिक विकास को प्रभावित करता है. प्रभावित बच्चों में सबसे आम लक्षण मानसिक विकास में देरी है, जिसमें सीखने में कठिनाई और सामान्य से कम आईक्यू शामिल है, ऐसे बच्चों को शब्दों को बोलने या वाक्य बनाने में देरी होती है, जिससे भाषा विकास भी धीमा हो जाता है.

व्यवहार के स्तर पर, ये बच्चे अक्सर अधिक चिड़चिड़े, बेचैन और हाइपरएक्टिव होते हैं और उन्हें फोकस करने में मुश्किल होती है.

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कई बार ऐसे बच्चों का व्यवहार ऑटिज्म से मिलता-जुलता दिख सकता है. जैसे कि आंखें मिलाकर बात न करना या सामाजिक बातचीत से बचना. वहीं कुछ शारीरिक लक्षण भी देखने को मिलते हैं, जैसे लंबा चेहरा, बड़े और बाहर की ओर निकले हुए कान और शरीर के जोड़ ढीले होना. इसके अलावा, तेज आवाज या रोशनी से डरना, भीड़ में घबराना और देर से चलने वाले लक्षण दिखाई देते हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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