Chandipura Virus Outbreak: क्या है चांदीपुरा वायरस? जानिए इस खतरनाक वायरस के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

Chandipura Virus Infection: चांदीपुरा वायरस रबडोविरिडे फैमिली का एक आरएनए वायरस है जिसकी वजह से बच्चे दिमागी बुखार (एन्सेफलाइटिस) का शिकार हो सकते हैं. यहां जानिए इस वायरस के बारे में सब कुछ.

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Chandipura Virus In India: कोरोना महामारी के बाद वायरल संक्रमण को लेकर लोगों के मन में खौफ बैठ गया है. भारत में अब एक नया वायरल संक्रमण फैल रहा है जो बच्चों को अपना शिकार बना रहा है. वायरस की चपेट में आने वाले लोगों में बुखार और फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. अगर मरीज को समय पर इलाज न मिले तो मौत भी हो सकती है. यह वायरस इतना खतरनाक है कि सीधा दिमाग पर असर डालता है, कई बार चांदीपुरा वायरस के चपेट में आए मरीज के मस्तिष्क में सूजन भी हो जाती है.

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क्या है चांदीपुरा वायरस? (What Is Chandipura Virus?)

चांदीपुरा वायरस रबडोविरिडे फैमिली का एक आरएनए वायरस है जिसकी वजह से बच्चे दिमागी बुखार (एन्सेफलाइटिस) का शिकार हो सकते हैं. साल 1966 में महाराष्ट्र के नागपुर के चांदीपुरा गांव में 15 साल तक के बच्चों की मौत होने लगी थी जिसके पीछे का कारण एक वायरस निकला. इसी वजह से गांव के नाम पर वायरस का नाम चांदीपुरा वायरस रख दिया गया.

कितना खतरनाक है चांदीपुरा वायरस? (How Dangerous Is Chandipura Virus?)

वायरस के चपेट में आने पर मरीज में सबसे पहले बुखार और फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. कई मरीजों को बाद में ब्रेन में सूजन भी हो जाता है. सबसे खतरनाक बात यह है कि वायरस 2 महीने से लेकर 15 साल की बच्चों को ज्यादा चपेट में लेता है. वायरस के खिलाफ वैक्सीन या सटीक इलाज नहीं होने के कारण बीमारी और भी गंभीर मानी जाती है. सिर्फ लक्षण के आधार पर प्रभावित मरीज का इलाज किया जाता है.

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चांदीपुरा वायरस के लक्षण (Symptoms of Chandipura Virus)

चांदीपुरा वायरस के मरीज को सबसे पहले बुखार होता है और फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. आगे चल कर मरीज को ऑटोइम्यून एन्फेलाइटिस यानी दिमाग में सूजन जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है. इसीलिए शुरुआती दौर में लक्षण पहचान कर इलाज करवाना बेहद जरूरी है.

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चांदीपुरा वायरस से बचाव के उपाय (Measures to prevent Chandipura virus)

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चांदीपुरा वायरस कीट-पतंग और मच्छरों के द्वारा फैलता है. वायरस से बचने के लिए आसपास सफाई रखें और पानी जमा न होने दें. बच्चों को मच्छर और कीट-पतंग से बचाने के लिए फुल स्लीव्स के कपड़े पहनाएं. इसके अलावा रात को सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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