घबराहट क्यों होती है? घबराहट, अनचाहा डर और बेचैनी… ये हैं एंग्जाइटी के लक्षण, न करें नजरअंदाज

Symptoms of Anxiety : एंग्जायटी को नज़रअंदाज़ करना खुद के साथ अन्याय है. जैसे शारीरिक बीमारी इलाज मांगती है, वैसे ही मन की परेशानियों को भी समझने और ठीक करने की ज़रूरत होती है. मदद लेना कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी है. 

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Symptoms of Anxiety : आज की तेज भागती ज़िंदगी में हर किसी ने कभी न कभी घबराहट या बेचैनी महसूस की है. कभी किसी इंटरव्यू से पहले, कभी परीक्षा के दिन, तो कभी भीड़ में बोलने से पहले. लेकिन जब यही घबराहट रोज़मर्रा की ज़िंदगी में रुकावट बनने लगे, तो ये सिर्फ एक भावनात्मक अनुभव नहीं रह जाता, बल्कि एंग्जायटी का संकेत हो सकता है.

एंग्जायटी यानी चिंता का बढ़ा हुआ स्तर, जो बिना किसी ठोस कारण के लंबे समय तक बना रहता है और हमारी सोच, व्यवहार और फिजिकल एक्टिविटीज को प्रभावित करने लगता है. अगर आप या आपके आस-पास कोई इस तरह की परेशानी से जूझ रहा है, तो आगे बढ़कर बात करें - शायद किसी की ज़िंदगी बदल जाए.

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एंग्जाइटी के लक्षण (Symptoms Of Anxiety)

एंग्जायटी और सामान्य घबराहट में फर्क

कभी-कभी डर या चिंता होना स्वाभाविक है. यह हमारी सुरक्षा प्रणाली का हिस्सा है. जैसे कोई नई स्थिति सामने आने पर हमें सतर्क रहने में मदद करता है. लेकिन जब यही डर किसी वास्तविक खतरे के बिना बार-बार और तीव्र रूप में महसूस होने लगे, तब यह चिंता की बात बन जाती है.

एंग्जाइटी के प्रमुख लक्षण

एंग्जाइटी को सिर्फ एक भावना के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए. इसके कई लक्षण होते हैं जो शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक रूप से दिखाई देते हैं. जैसे:

  • लगातार बेचैनी महसूस होना बिना किसी कारण के घबराहट बनी रहना.
  • सोने में परेशानी देर तक नींद न आना या बार-बार नींद से जागना.
  • दिल की धड़कन तेज होना ऐसा महसूस होना कि दिल ज़ोर से धड़क रहा है या छाती में दबाव है.
  • पसीना आना या हाथ-पैर कांपना नर्वस होते ही शरीर में कंपन या ठंडा पसीना आना.
  • ध्यान केंद्रित न कर पाना किसी भी काम में मन न लगना या बार-बार नकारात्मक बातें सोचते रहना.
  • लोगों से दूरी बनाना सामाजिक स्थिति से बचना, बातचीत से कतराना.
  • मूड में अचानक बदलाव छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा या उदासी छा जाना.

कब समझें कि ये सामान्य नहीं है?

अगर ये लक्षण कुछ दिनों के लिए हैं और किसी खास घटना या माहौल से जुड़े हैं, तो चिंता की बात नहीं. लेकिन अगर यह स्थिति लगातार बनी हुई है, काम या पढ़ाई पर असर डाल रही है, रिश्तों में दूरी ला रही है या खुद पर भरोसा कम हो रहा है, तो ये संकेत हैं कि आपको मदद लेनी चाहिए.

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क्या करें?

  • सबसे पहले, खुद को दोष न दें. यह एक आम समस्या है और इसके लिए सही मदद उपलब्ध है.
  • किसी विश्वसनीय व्यक्ति से बात करें - दोस्त, परिवार या मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल.
  • नियमित दिनचर्या बनाएं, नींद का समय तय करें और व्यायाम को ज़रूर शामिल करें.
  • मेडिटेशन और गहरी सांस लेने की तकनीकों से भी राहत मिल सकती है.
  • अगर ज़रूरत हो तो किसी चिकित्सक से संपर्क करें. आज कई तरह की थैरेपी और दवाइयां उपलब्ध हैं जो मदद कर सकती हैं.

 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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