ब्रह्म मुहूर्त में उठना शरीर और मन दोनों के लिए अच्छा, फायदे जानकर कल से ही उठने लगेंगे आप

बड़े-बुजुर्ग कहते आए हैं कि रात को जल्दी सोना और सुबह को जागना किसी सोने से कम नहीं. वो इसलिए भी क्योंकि अगर रात को समय पर सोएंगे और सुबह समय पर उठेंगे तो पूरा दिन ताजगी से भरा रहेगा.

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ब्रह्ममुहूर्त में उठने के फायदे.

बड़े-बुजुर्ग कहते आए हैं कि रात को जल्दी सोना और सुबह को जागना किसी सोने से कम नहीं. वो इसलिए भी क्योंकि अगर रात को समय पर सोएंगे और सुबह समय पर उठेंगे तो पूरा दिन ताजगी से भरा रहेगा. आज की तनाव भरी जिंदगी में संतुलित जीवन जीना अनमोल है. रोजाना ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे का समय) में उठना चाहिए. यह समय मन को शांत रखने के साथ याददाश्त को भी बेहतर बनाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय जागने से ताजी हवा आपके बदन में सांस के जरिए प्रवेश करती है. वहीं, मस्तिष्क को ताजगी मिलती है जिससे तनाव कम होता है और पूरा दिन अच्छा जाता है.

आयुर्वेद विशेषज्ञ ही नहीं हमारे बड़े बुजुर्ग भी सलाह देते हैं कि तांबे और मिट्टी के बर्तन में सुबह खाली पेट पानी पीने से कई व्याधियों से मुक्ति मिलती है. इस समय गुनगुना पानी पीना चाहिए. ऐसा करने से कब्ज, गैस और पाचन संबंधित समस्याएं नहीं होती हैं. साथ ही, इससे खून साफ होता है और लिवर को स्वस्थ रहता है.

एनआईएच के नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के 2012 में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक तांबे में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को भीतर से साफ करने में मदद करता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर कुछ घंटों तक तांबें के बर्तन में पानी रखा जाए, तो उसमें मौजूद कुछ हानिकारक बैक्टीरिया मर सकते हैं. 

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सुश्रुत संहिता के अनुसार, नीम या बबूल से दातून करने से मुंह में ताजगी रहती है. साथ ही जीभ, दांत और मुंह में जमा गंदगी साफ होती है और मसूड़े भी मजबूत रहते हैं. ऐसे में सुबह नीम, बबूल या खैर का दातून भी करना चाहिए. 

आयुर्वेद में बताया गया है कि सुबह ठंडे पानी से आंखें साफ करनी चाहिए. साथ ही, नाक में शुद्ध घी की दो बूंदें डालनी चाहिए.

आयुर्वेद के अनुसार, नाक को मस्तिष्क का प्रवेश द्वार माना जाता है, और इसमें घी डालने से मस्तिष्क को पोषण मिलता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है. हालांकि, एलर्जी या बहुत अधिक नाक बंद होने की स्थिति में इसका प्रयोग करने से बचना चाहिए.

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सूर्योदय से पहले हल्का व्यायाम, योग और प्राणायाम करें. ऐसा करने से रक्त संचार बेहतर होता है, साथ ही रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और मानसिक तनाव भी कम होता है. रोजाना सूर्य नमस्कार और अनुलोम-विलोम जैसे अभ्यास जरूर करना चाहिए.

आयुर्वेद में स्नान को आयु, बल और सौंदर्य बढ़ाने वाला माना गया है. गुनगुने पानी से स्नान करने से थकान, आलस्य दूर होते हैं, जिससे मन तरो-ताजा और प्रसन्न रहता है.

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इसके बाद ध्यान और प्रार्थना जरूर करें. यह मन को शांत रखने के साथ-साथ नकारात्मक विचार दूर करने में भी मदद करता है. साथ ही दिनभर के लिए सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.

सुबह के समय भोजन हल्का या मौसमी करना चाहिए, जिसमें मूंग दाल की खिचड़ी, दलिया, फल या दूध-घी से बनी चीजें जरूर होनी चाहिए. यह पाचन को संतुलित करने के साथ मोटापे से भी बचाता है और शरीर को दिनभर ऊर्जावान रखने में भी मदद करता है.

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आयुर्वेदिक दिनचर्या को अपनाकर आप न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकते हैं. 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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