Vaccine-Derived Polio: मेघालय में दो साल का बच्चा पोलियो संक्रमित, तो क्या पोलियो की दवा कारगर नहीं! क्या है मामला

Meghalaya Polio Case: डब्ल्यूएचओ ने 2014 में भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया था. लेकिन बीते दिनों मेघालय से सामने आए पोलियो केस ने इस क्षेत्र में भारत की चिंता को बढ़ा दिया है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
क्या है वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो?

Vaccine-Derived Polio: पोलियो एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है. हालांकि, टीकाकरण के जरिए इसे रोका जा सकता है. टाइप 2 और टाइप 3 जंगली पोलियो वायरस (Polio Virus) का उन्मूलन हो चुका है लेकिन दुनिया के कुछ हिस्सों में अब भी टाइप 1 पोलियो वायरस फैला हुआ है. पोलियो के ज्यादातर मरीजों में किसी भी तरह का लक्षण नहीं दिखाई देता है लेकिन कुछ केस में लकवा या मौत का भी कारण बन सकता है. आमतौर पर यह बीमारी पांच साल से कम उम्र के बच्चे को अपनी चपेट में लेती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के ग्लोबल कैंपेन की मदद से दुनिया भर में टीकाकरण के जरिए पोलियो को रोकने का अभियान चलाया गया.

डब्ल्यूएचओ ने 2014 में भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया था. लेकिन बीते दिनों मेघालय (Meghalaya Polio Case) से सामने आए पोलियो केस (Polio Case) ने इस क्षेत्र में भारत की चिंता को बढ़ा दिया है.

मेघालय से सामने आया पोलियो का मामला (Meghalaya Polio Case)

पोलियो मुक्त देश घोषित हो चुके भारत के राज्य मेघालय से बीते दिनों पोलियो संक्रमण का एक मामला निकल कर सामने आया. इस मामले ने पोलियो उन्मूलन के क्षेत्र में भारत की चिंता को बढ़ाने का काम किया है. एक दो वर्षीय बच्चे के पोलियो ग्रस्त होने के बाद पश्चिमी गारो हील्स इलाके में डॉक्टर्स को सावधान कर दिया गया है. हालांकि, भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि यह वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो का मामला है. ऐसे में आपके मन में भी यह सवाल उठ सकता है कि आखिर वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो क्या होता है.

Advertisement

Also Read: Mpox Virus: कोविड की तरह लॉकडाउन करवा सकता है मंकीपॉक्स वायरस? क्या कहते हैं एक्सपर्ट

क्या है वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो?

पोलियो का इलाज नहीं है लेकिन वैक्सीन के जरिए इसे रोका जा सकता है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए वैक्सीन दिया जाता है. कई बार वैक्सीन में मौजूद वायरस के कमजोर स्ट्रेन से ही बच्चे संक्रमित हो जाते हैं. हालांकि, बहुत कम मामलों में वैक्सीन से पोलियो संक्रमण का मामला देखने को मिलता है. बहुत कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चे ही इस तरह पोलियो वैक्सीन से संक्रमित होते हैं. वैक्सीन में मौजूद वायरस का कमजोर स्ट्रेन शरीर के अंदर जाकर म्यूटेट होने लगता है और बच्चे इंफेक्ट हो जाते हैं.

इसका मतलब यह नहीं है कि वैक्सीन असुरक्षित है. कई देशों में पोलियो वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन जब बच्चे की इम्यूनिटी बेहद कमजोर होती है तो वायरस ब्लड स्ट्रीम में पहुंच जाता है और बच्चे में पोलियो के लक्षण नजर आने लगते हैं.

Advertisement

किन्हें है ज्यादा खतरा?

पोलियो वायरस संक्रमण का खतरा कुछ लोगों में अन्य के मुकाबले थोड़ा ज्यादा होता है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों में पोलियो का खतरा ज्यादा होता है. इसके अलावा प्रेगनेंट महिलाओं में भी इस बीमारी का जोखिम ज्यादा रहता है. कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चे और गंदी जगह में रहने या खाना खाने पर भी पोलियो वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है. पोलियो मुक्त नहीं रहने वालों देशों में जाना भी इस बीमारी को न्योता दे सकता है.

Advertisement

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Advertisement
Featured Video Of The Day
UP By Election Exit Poll: UP में जहां सबसे अधिक मुसलमान वहां SP को नुकसान | Party Politics | UP News