मोबाइल की ये आदतें बच्चों के दिमाग को कर रही हैं कमजोर, जानें क्या कहती है रिसर्च

Excessive Mobile Use Effects: बड़ों से लेकर बच्चे सभी को मोबाइल की लत लग चुकी है. यहां हम सरल भाषा में समझेंगे कि रिसर्च क्या कहती है, मोबाइल के बुरे प्रभाव कौन-कौन से हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है.

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Excessive Mobile Use Effects: मोबाइल की गलत आदतें बच्चों के दिमाग और ग्रोथ को कमजोर कर रही हैं.

Mobile Phone Addiction in Children: आज के समय में मोबाइल फोन बच्चों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. स्कूल से घर तक खेल-कूद से पढ़ाई तक, सब कुछ अब स्क्रीन के इर्द-गिर्द घूमने लगा है. माता-पिता यह सोचते हैं कि मोबाइल बच्चों को नई तकनीक सिखाता है और सीखने में मदद करता है, लेकिन क्या यह हमेशा सही है? हाल की रिसर्च से पता चलता है कि मोबाइल की गलत आदतें बच्चों के दिमाग और ग्रोथ को कमजोर कर रही हैं. यहां हम सरल भाषा में समझेंगे कि रिसर्च क्या कहती है, मोबाइल के बुरे प्रभाव कौन-कौन से हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है.

रिसर्च के अनुसार स्क्रीन टाइम और दिमाग पर असर:

हाल के स्टडी ने साफ किया है कि बच्चों के स्क्रीन टाइम यानी मोबाइल, डिवाइस पर बिताया गया समय उनके दिमाग की ग्रोथ, ध्यान, याददाश्त और व्यवहार पर असर डाल सकता है. एक बड़ी समीक्षा में यह पाया गया कि मोबाइल और डिजिटल तकनीक बच्चों के दिमाग के प्रि-फ्रंटल कॉर्टेक्स हिस्से को प्रभावित करती है, जो एक्जीक्यूटिव फंक्शन्स जैसे कि प्लान बनाना, निर्णय लेना और ध्यान बनाए रखना कंट्रोल करता है.

यह स्टडी लगभग 30,000 बच्चों को शामिल करता है और बताता है कि स्क्रीन टाइम से न केवल सोचने की क्षमता प्रभावित होती है, बल्कि भाषा, ध्यान, स्मरण शक्ति और भावनात्मक कंट्रोल जैसे जरूरी हिस्सों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

एक अन्य शोध में यह भी कहा गया है कि जिन बच्चों का मोबाइल स्क्रीन टाइम तीन घंटे से ज्यादा था, वे स्मार्ट स्टैण्डर्ड टेस्ट में कम प्रदर्शन करते पाए गए, जिससे लगता है कि स्क्रीन का अति उपयोग कॉग्निटिव डेवेलपमेंट यानी दिमागी ग्रोथ को भी रोक सकता है.

मोबाइल उपयोग के दिमागी और भावनात्मक प्रभाव:

1. ध्यान और एकाग्रता पर असर

बच्चों का मोबाइल पर ज्यादा समय बिताना उनकी फोकस यानी ध्यान क्षमता को कमजोर करता है. बहुत ज्यादा नोटिफिकेशन, सोशल मीडिया और गेमिंग बच्चों को बार-बार डिस्ट्रेक्ट करता है, जिससे उनकी पढ़ाई और सीखने की क्षमता घटती है.

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2. दिमाग के विकास पर असर

स्क्रीन टाइम बचपन में दिमाग के विकास को बदल सकता है. दो अलग-अलग हिस्सों जैसे मेमोरी, भाषा और विजुअल प्रोसेसिंग प्रभावित होती है. इन हिस्सों का संतुलित विकास जरूरी है ताकि बच्चा सही तरीके से सीख सके और समस्या हल कर सके.

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3. नींद और स्वास्थ्य समस्याएं

मोबाइल का देर तक उपयोग नींद को भी प्रभावित करता है. रात्रि में स्क्रीन की नीली रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन को कम करती है, जिससे बच्चे को नींद आने में देर होती है और नींद पूरी नहीं होती, जो दिमागी स्वास्थ्य के लिए खराब है.

4. भावनात्मक और व्यवहारिक समस्याएं

ज़्यादा स्क्रीन समय बच्चों में चिड़चिड़ापन, मूडीनेस, आक्रामकता और चिंता जैसी समस्याएं बढ़ा सकता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार यह व्यवहार बदलाव दुनियाभर में बच्चों में बढ़ रहा है क्योंकि स्क्रीन पर मनोरंजन अक्सर इंस्टेंट फीडबैक देता है, जिससे बच्चे बार-बार मोबाइल की ओर आकर्षित होते हैं.

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यह जरूरी नहीं कि मोबाइल हमेशा बुरा है. सही उपयोग से बच्चों को सीखने में मदद भी मिल सकती है, जैसे एजुकेशनल अप्स, कोडिंग सीखना या पढ़ाई-संबंधी सामग्री. लेकिन, ज्यादा और बिना निगरानी वाला उपयोग दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.

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माता-पिता और शिक्षकों के लिए टिप्स:

  • बच्चों के लिए दिन में स्क्रीन टाइम लिमिट तय करें. खासकर से मनोरंजन के लिए.
  • मोबाइल को फीडबैक-पूर्ण और इंटरैक्टिव चीजों तक सीमित करें, जैसे पढ़ाई-सम्बंधी वीडियो.
  • बच्चों को खेल, बातचीत और रिअल एक्टिविटीज में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें.
  • रात में सोने से कम से कम 1 घंटा पहले मोबाइल बंद कर दें.
  • माता-पिता अपने व्यवहार का भी ध्यान रखें. बच्चे अक्सर बड़ों की आदतें देख-देख कर सीखते हैं.

मोबाइल एक उपयोगी टूल हो सकता है, लेकिन अगर इसका अनियंत्रित और अनुचित उपयोग बच्चों में ज्यादा स्क्रीन टाइम, ध्यान की कमी और दिमागी विकास के नुकसान जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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