सूखी हो या गीली, इन आयुर्वेदिक नुस्खों की मदद से दूर भाग जाएगी खांसी

Sukhi Aur Gili Khansi Ke Upchar: अदरक और शहद का मिश्रण गले की खराश और सूखी खांसी में तुरंत राहत देता है. तुलसी का काढ़ा, जिसमें अदरक और काली मिर्च उबाली जाती है, इम्यूनिटी बढ़ाता है और संक्रमण दूर करता है. हल्दी वाला दूध संक्रमण को कम करता है और नींद में आराम देता है। मुलेठी चूसने या उसकी चाय पीने से गले का सूखापन दूर होता है.

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Sukhi Aur Gili Khansi: खांसी के दो प्रमुख प्रकार हैं. सूखी खांसी और गीली खांसी.

Sukhi Aur Gili Khansi Ke Upchar: खांसी एक आम समस्या लग सकती है, लेकिन वास्तव में यह शरीर का एक प्राकृतिक सुरक्षा तंत्र है. खांसी कोई साधारण लक्षण नहीं, बल्कि शरीर की चेतावनी है कि कुछ गलत हो रहा है. इससे राहत दिलाने के लिए कई घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खे बेहद असरदार हैं. जब हमारे गले या श्वसन नली में धूल, धुआं, एलर्जी या किसी संक्रमण का असर होता है तो नसें मस्तिष्क को संकेत भेजती हैं. मस्तिष्क फेफड़ों को प्रतिक्रिया देने का आदेश देता है. इसी प्रतिक्रिया में शरीर खांसी के माध्यम से उन हानिकारक कणों, कीटाणुओं या म्यूकस को बाहर निकालता है.

खांसी के प्रमुख कारणों में सर्दी-जुकाम, धूल-धुआं, प्रदूषण, फेफड़ों का संक्रमण (जैसे ब्रोंकाइटिस या निमोनिया), धूम्रपान, अस्थमा और टीबी जैसी बीमारियां शामिल हैं. यदि खांसी तीन हफ्ते से अधिक समय तक बनी रहती है तो यह क्रोनिक खांसी कहलाती है, जो किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकती है.

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सूखी और गीली खांसी में क्या है अंतर

खांसी के दो प्रमुख प्रकार हैं. पहली सूखी खांसी, जिसमें बलगम नहीं होता और दूसरी गीली खांसी, जिसमें बलगम के साथ खांसी आती है. आयुर्वेद में खांसी को कास रोग कहा गया है, जो वात, पित्त और कफ दोषों के असंतुलन से उत्पन्न होती है. वातज कास में सूखी खांसी, कफज कास में बलगम और पित्तज कास में गले में जलन और खट्टे डकार जैसे लक्षण होते हैं.

ये नुस्खे करेंगे खांसी को दूर

घरेलू और आयुर्वेदिक उपायों में कई सरल नुस्खे बेहद असरदार हैं. जैसे अदरक और शहद का मिश्रण गले की खराश और सूखी खांसी में तुरंत राहत देता है. तुलसी का काढ़ा, जिसमें अदरक और काली मिर्च उबाली जाती है, इम्यूनिटी बढ़ाता है और संक्रमण दूर करता है. हल्दी वाला दूध संक्रमण को कम करता है और नींद में आराम देता है। मुलेठी चूसने या उसकी चाय पीने से गले का सूखापन दूर होता है.

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वहीं लौंग और काली मिर्च का सेवन बलगम को ढीला कर निकालने में मदद करता है, जबकि नमक वाले गुनगुने पानी से गरारे और अजवाइन या पुदीने की भाप लेने से गले की जलन और जमाव कम होता है. इसके अलावा जीवनशैली में कुछ बदलाव भी जरूरी हैं। ठंडी चीजों से परहेज करें, धूल-धुआं और प्रदूषण से बचें, धूम्रपान न करें, पर्याप्त पानी पिएं और रोज़ाना योग-प्राणायाम (जैसे अनुलोम-विलोम, भ्रामरी) करें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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