एक शोध में यह बात सामने आई है कि अंडों को फ्रीज करने की सफलता की दर सामान्य इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जैसी ही है. अन्य देशों में एग्स को फ्रीज करने के संबंध में किए शोधों की तुलना में एक और शोध किया गया. यह नया शोध 30,000 फ्रीज किए गए एग्स पर बेस्ड था, जिन पर 15 सालों तक अध्ययन किया गया. 15 साल के अध्ययन निष्कर्षों से पता चला कि प्रति भ्रूण स्थानांतरण में कुल जीवित जन्म दर 26 प्रतिशत थी. ये अध्ययन रिपोर्ट पत्रिका रिप्रोडक्टिव बायोमेडिसिन ऑनलाइन में प्रकाशित की गई. यह दर महिला की उम्र पर निर्भर करता है. देखा गया कि 35 साल से ज्यादा आयु वाली महिलाओं में यह दर कम थी, वहीं 40 साल से ज्यादा आयु वालों में यह दर केवल 5 प्रतिशत थी.
अध्ययन के अनुसार पिघले हुए एग्स से विकसित सभी भ्रूणों को स्थानांतरित करने के बाद कुल जीवित जन्म दर 34 प्रतिशत थी, जो 36 साल की आयु से पहले अपने अण्डों को फ्रीज कराने वाली महिलाओं में बढ़कर 45 प्रतिशत हो गई.
वरिष्ठ लेखक और लंदन महिला क्लिनिक के चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर निक मैकलॉन ने कहा, "ये परिणाम नेशनल लेवल पर नियमित आईवीएफ में दर्ज परिणामों के बराबर हैं."
एग फ्रीजिंग ट्रीटमेंट चाहने वाली महिलाओं की संख्या 2015 में 150 थी जो 2022 में बढ़कर 800 से ज्यादा हो गई. फिर भी केवल 14 प्रतिशत ही अपने अंडों को पिघलाने के लिए वापस आती हैं. 2,171 रोगियों में से 299 वापस लौटीं और 332 ने इस चक्र को पूरा किया.
अध्ययन में पता चला कि संचयी जीवित जन्म (कम्युलेटिव लाइव बर्थ रेट) रेट 36 प्रतिशत है, जो 35 साल से कम आयु में एग्स को फ्रीज कराने वालों के लिए बढ़कर 57 प्रतिशत हो गई है. फ्रीज-ऑल चक्रों में जीवित जन्म दर 30 प्रतिशत थी, जो क्रोमोजोमल स्क्रीनिंग के साथ बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई. 40 साल से ज्यादा आयु की महिलाओं में सभी लाइव बर्थ टेस्ट किए गए भ्रूणों से हुए थे.
कुछ संशय के बावजूद ये परिणाम दिखाते है कि अंडे को फ्रीज करना और पिघलाना आईवीएफ के समान है. अध्ययन में कहा गया है कि एग्स को फ्रीज करना और पिघलाना महिलाओं को गर्भधारण करने और जीवित बच्चे को जन्म देने का एक अवसर प्रदान कर सकता है.
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