शोध का दावा, यह एक चीज कैंसर मरीजों की मौत का खतरा बढ़ा सकती है

शोधकर्ताओं ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए कहा है कि अगर आगे और भी शोध यह साबित करते हैं, तो कैंसर के इलाज के दौरान अकेलापन और मानसिक स्थिति की जांच को जरूरी समझा जाएगा. इससे मरीजों को बेहतर जिंदगी जीने में मदद मिलेगी और उनकी बीमारी से लड़ने की ताकत भी बढ़ेगी.

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कैंसर का इलाज कई बार बहुत लंबा चलता है, जिसमें मरीज थकावट और दिमागी कमजोरी जैसी समस्याओं से भी गुजरते हैं.

Canser patients death causes : हाल ही में किए गए एक बड़े अध्ययन में पता चला है कि अकेलापन और सामाजिक अलगाव कैंसर के मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं. इस शोध में यह बताया गया है कि अकेलेपन की वजह से न सिर्फ कैंसर से, बल्कि किसी भी कारण से मौत का खतरा बढ़ जाता है. कनाडा की टोरंटो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की अगुवाई में किए गए इस अध्ययन में 13 अलग-अलग शोधों का डेटा एक साथ मिलाकर जांच की गई.

इन शोधों में कुल मिलाकर 15 लाख से ज्यादा कैंसर मरीजों की जानकारी शामिल थी. इन आंकड़ों के आधार पर शोधकर्ताओं ने पाया कि कैंसर से जूझ रहे लोगों में अकेलापन आम बात है.

शोध के नतीजों में यह भी सामने आया कि अकेलापन कैंसर से मौत का खतरा लगभग 11 प्रतिशत तक बढ़ा देता है. इस आंकड़े को निकालने के लिए शोधकर्ताओं ने कई अध्ययनों की संख्या और आकार को भी ध्यान में रखा है.

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क्या कहती है स्टडी

ओपन-एक्सेस जर्नल बीएमजे ऑन्कोलॉजी में ऑनलाइन प्रकाशित शोधपत्र में शोधकर्ताओं ने कहा, ''अकेलापन और सामाजिक अलगाव का कैंसर पर प्रभाव सिर्फ बीमारी के शारीरिक कारणों या इलाज के तरीके से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह मरीजों की सेहत पर अलग तरीके से भी असर डालता है.''

अकेलापन तनाव को बढ़ाता है

इस अकेलेपन का असर कई तरह के कारणों से होता है. पहले तो शरीर की प्रतिक्रिया पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. अकेलापन तनाव को बढ़ाता है, जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक प्रणाली कमजोर हो जाती है और सूजन जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. ये सभी बातें मिलकर बीमारी को और बढ़ा सकती हैं.

इसके अलावा, कैंसर के मरीजों को कई बार मानसिक और भावनात्मक परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार इलाज के दौरान शरीर पर बदलाव आ जाते हैं, जैसे बाल झड़ना या चेहरा बदलना, जिससे मरीजों को समाज से अलग-थलग महसूस होता है. ऐसे में उनका मनोबल गिर जाता है और वे खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं.

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कैंसर ट्रीटमेंट के साइडइफेक्ट्स

कैंसर का इलाज कई बार बहुत लंबा चलता है, जिसमें मरीज थकावट और दिमागी कमजोरी जैसी समस्याओं से भी गुजरते हैं. इससे वे सामाजिक गतिविधियों में कम हिस्सा लेने लगते हैं और उनके पुराने दोस्तों और रिश्तेदारों से दूरी बढ़ जाती है. लगातार अस्पताल जाना और इलाज की प्रक्रिया भी मरीज की रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करती है, जिससे वे अपने पहले के जीवन से कट जाते हैं.

शोधकर्ताओं ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए कहा है कि अगर आगे और भी शोध यह साबित करते हैं, तो कैंसर के इलाज के दौरान अकेलापन और मानसिक स्थिति की जांच को जरूरी समझा जाएगा. इससे मरीजों को बेहतर जिंदगी जीने में मदद मिलेगी और उनकी बीमारी से लड़ने की ताकत भी बढ़ेगी.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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