Types of Snake Venom: कितनी तरह का होता है सांप का जहर, किन अंगों को करता है प्रभावित, डंक के कितने घंटे के अंदर लेना होगा इंजेक्शन?

Types of Snake Venom: सांपों के काटने से भारत में हर साल लगभग 58 हजार लोगों की मौत होती है. अनुमान के मुताबिक 2000 से लेकर 2019 तक भारत में सर्पदंश से लगभग 12 लाख लोगों की मौत हुई जिसमें प्रतिवर्ष मरने वालों की संख्या में 8 हजार का इजाफा हुआ.

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What are the 4 types of venom?: सांपों के काटने से भारत में हर साल लगभग 58 हजार लोगों की मौत होती है. ज्यादातर आबादी के खेती में लगे रहने के कारण भारत का नाम दुनिया के उन देशों की सूची में शामिल है जहां सर्पदंश (Saanp) से सबसे ज्यादा मौतें होती है. अनुमान के मुताबिक 2000 से लेकर 2019 तक भारत में सर्पदंश (Sanke Bite) से लगभग 12 लाख लोगों की मौत हुई जिसमें प्रतिवर्ष मरने वालों की संख्या में 8 हजार का इजाफा हुआ. 2001 से 2014 के बीच सर्पदंश से देश भर में हुई कुल मौतों में 70 प्रतिशत सिर्फ मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में दर्ज की गई.

सांप काट ले तो क्या करें : जहरीले सांपों के काटने से ज्यादातर मौतें होती है, लेकिन एंटी वेनम इंजेक्शन दे कर मरीज की जान बचाई जा सकती है. हालांकि, सही समय पर इंजेक्शन लेना बेहद जरूरी है.

कितनी जल्दी एंटी वेनम इंजेक्शन लगवाना है जरूरी? (How soon is it necessary to get anti venom injection?)

डॉक्टर्स के मुताबिक, कोबरा या करैत जैसे जहरीले सांप के काटने पर 40 से 45 मिनट के अंदर एंटी वेनम इंजेक्शन देना जरूरी है. जितनी जल्दी एंटी वेनम इंजेक्शन लग जाता है मरीज के बचने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है. कुछ केस में 24 घंटे के अंदर भी इंजेक्शन दिया जा सकता है वहीं अगर काटने वाला सांप विषैला नहीं है तो एंटी वेनम की जरूरत नहीं पड़ती है.

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सांप के जहर के प्रकार (Types of snake venom)

1. कार्डियोटॉक्सिक जहर - इस प्रकार का जहर कार्डिवैस्कुल सिस्टम से लेकर नर्वस सिस्टम तक को प्रभावित करता है. कार्डियोटॉक्सिक जहर से हार्ट रेट बढ़ सकता है और हार्ट फेल भी हो सकता है.

2. न्यूरोटॉक्सिक जहर - यह जहर नर्वस सिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. इससे मांसपेशियों में कमजोरी और लकवा के अलावा मौत होने का भी खतरा रहता है. करैत, कोबरा और वाइपर सांपों के काटने से शरीर में न्यूरोटॉक्सिक जहर फैलता है.

3. साइटोटॉक्सिक जहर - इस जहर से शरीर के टिशू प्रभावित होते हैं. साइटोटॉक्सिक जहर फैलने से सूजन और दर्द के अलावा मृत्यु भी हो सकती है. अजगर, बोआ कंस्ट्रक्टर और रैटल स्नेक के काटने से शरीर में साइकोटॉक्सिक जहर फैलता है.

4. हेमोटॉक्सिक जहर - रसेल वाइपर, किंग कोबरा और टाइगर स्नेक के काटने से आमतौर पर शरीर में हेमोटॉक्सिन जहर फैलता है जिससे व्यक्ति का ऑर्गन फेल्योर और मृत्यु तक हो सकती है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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