39 वर्षीय मरीज उत्तर प्रदेश के फर्रुकाबाद का रहने वाला है जिसकी सर्जरी की गई. डोनर उसकी पत्नी है. यूरोलॉजी, रोबोटिक्स और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ अनूप कुमार के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम द्वारा सफदरजंग अस्पताल और वीएमएमसी के तहत ट्रांसप्लांट किया था. डॉक्टरों ने दावा किया कि यह देश में की जाने वाली पहली ऐसी सर्जरी है.
डॉ अनूप कुमार ने कहा, "नेफ्रोलॉजी टीम का नेतृत्व डॉ हिमांशु वर्मा, एचओडी नेफ्रोलॉजी ने किया. एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ मधु दयाल ने किया. यह मेडिकल सुपरिटेंडेंट एसजेएच और वीएमएमसी प्रोफेसर डॉ बीएल शेरवाल के सभी प्रशासनिक सहयोग से संभव हुआ."
उन्होंने आगे कहा. "मरीज फर्रुकाबाद का एक युवा पुरुष है और डायलिसिस पर कई सालों से किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहा था. डोनर उसकी पत्नी है और पति पत्नी दोनों सर्जरी के बाद स्वस्थ हैं. यह एसजेएच के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ है."
First successful robotic renal transplant at Govt facility performed at Safdarjung Hospital.
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) September 23, 2022
Congratulations to the team of doctors for this path-breaking achievement.
PM @NarendraModi Ji's Govt is transforming healthcare by using advanced technology.https://t.co/temskWWsuy pic.twitter.com/3PBJwJShQN
डॉ अनूप कुमार ने यह भी कहा कि रोबोटिक रीनल ट्रांसप्लांट यूरोलॉजी में सबसे तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण सर्जरी है क्योंकि इसके लिए रोबोटिक्स के साथ-साथ रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी में एक्सीलेंट एक्सपर्टीज की जरूरत होती है.
डॉ कुमार ने कहा कि निजी अस्पतालों में सर्जरी में छह से सात लाख का खर्च आता है.
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