"कोरोनावायरस से लड़ने के लिए रेमडेसिविर कारगर दवा नहीं, केवल जल्द रिकवरी में करती है मदद"

Covid-19 In India: कोरोनावायरस की चैन को कैसे तोड़ा जाय और कैसे भारत में लगातार बढ़ रहे हैं मामलों पर लगाम लगाई जाए? जैसे सवालों के जवाब जानने के लिए एनडीटीवी ने डॉक्टर विवेक नांगिया, प्रिसिपल डायरेक्टर, हेड ऑफ रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन, मैक्स साकेत और डॉ, अंजन त्रिखा, क्लिनिकल मैनेजरियल ग्रुप कोविड सेंटर, एम्स चेयरपर्सन से बात की.

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यह 5वां दिन है जब 2 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं.

कोरोनावायरस की दूसरी लहर से भारत में लगातार रिकॉड मामले दर्ज हो रहे हैं. सोमवार को 2,73,810 नए मामले दर्ज किए और 1,619 मौतें एक नया रिकॉर्ड बनी. अब तक कोरोनावायरस 1.78 लाख लोगों की जान चली गई है और यह 5वां दिन है जब 2 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं. महाराष्ट्र, दिल्ली और कर्नाटक में पिछले 24 घंटों में सबसे बड़ा उछाल देखा गया. महाराष्ट्र में 68,631 संक्रमण हुए, दिल्ली में 25,462 नए मामले सामने आए, जबकि कर्नाटक में 19,067 मामले सामने आए. बेंगलुरु में भी 12,793 मामले दर्ज किए गए. कोरोनावायरस की चैन को कैसे तोड़ा जाय और कैसे भारत में लगातार बढ़ रहे हैं मामलों पर लगाम लगाई जाए? जैसे सवालों के जवाब जानने के लिए एनडीटीवी ने डॉक्टर विवेक नांगिया, प्रिसिपल डायरेक्टर, हेड ऑफ रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन, मैक्स साकेत और डॉ, अंजन त्रिखा, क्लिनिकल मैनेजरियल ग्रुप कोविड सेंटर, एम्स चेयरपर्सन से बात की.

क्या कोरोनावायरस की चैन को तोड़ने के लिए कर्फ्यू और लॉकडाउन काम करेगा?

डॉक्टर नांगिया का कहना है कि इस वक्त सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है. हालांकि, लॉकडाउन का इकॉनमी, जॉब्स पर आम जनजीवन पर असर पड़ेगा, लेकिन इस वक्त कोरोनावायरस की चैन को तोड़ने के लिए उन जगहों पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है जहां भीड़-भाड़ होती है. मॉल्स, सिनेमा हाउस, मार्केट जैसी जगहों को बंद रखना सही कदम होगा. लॉकडाउट का असर एकदम से कुछ दिनों में नहीं बल्कि कुछ हफ्तों में दिखेगा. कम से कम 14 दिन का लॉकडाउन करना कोरोनावायरस की चैन की तोड़ने में मदद करेगा.

कोरोनावायरस के नए वैरिएंट का पता लगाने के लिए RTPCR टेस्ट कितना प्रभावी है?

डॉ, अंजन त्रिखा का कहना है कि अभी हमारे पास कोविड का टेस्ट करने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट मौजूद है और ऐसा नहीं कि नए वैरिएंट की जांच के लिए आरटीपीसीआर प्रभावी नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में यह पूरी तरह से परिणाम नहीं दे रहा है जिसकी वजह से एक्स-रे या सिटी स्कैन करने की जरूरत पड़ रही है. तो ये कहना गलत होगा कि नए वैरियएं को पकड़ने के लिए आरटीपीसीआर सही नहीं है.

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क्या डबल मास्क लगाने से प्रभावी है?

डॉक्टर नांगिया का कहना है कि डबल मास्क लगाना कोई बुरा विचार नहीं है. कई स्टडी में भी पाया गया है कि डबल मास्क लेयर पहनने से आपको ट्रामिशन होने का खतरा कम होता है. यह आपको ज्यादा प्रोटेक्शन मिल सकती है. क्योंकि इसमें आपको डबल लेयर प्रोटेक्शन मिल सकती है. दूसरा कि अगर एख मास्क लूज है तो दूसरा आपको प्रोटेक्ट कर सकता है. डबल मास्क और सिंगल मास्क की बहस से परे हमें मास्क पहनने के सही तरीके पर फोकस करना चाहिए. मास्क को सही तरीके से पहने कि वह आपके मुंह और नाक को पूरी तरह से कवर करे. मास्क को हाथों न छुएं. मास्क को निकालने के बाद अपने हाथों को सैनेटाइज करें.

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क्या कोरोनावायरस से लड़ने के लिए रेमडेसिविर जैसे ड्रग कारगर हैं?

डॉ, त्रिखा कहते हैं कि रेमडेसिविर कोरोनावायरस को हराने के लिए एक कारगर दवाई नहीं है. यह एक ऐसी दवा कि जिसका इस्तेमाल भी कई कंडिशन के साथ किया जाता है. इसकी उपलब्धता होने पर इसे मरीज को दिया जा सकता है, लेकिन अगर आपके रेमडेसिविर नहीं है तो आपको पेनिक करने की जरूरत नहीं है. इस समय रेमडेसिविर कुछ लोगों के लिए ही काम रही है यह सभी के लिए इफेक्टिव नहीं है. वर्तमान में रेमडेसिविर की कमी है और सरकार इसको दूर कर करने की कोशिश कर रही है. इस समय कोई और दवा है भी नहीं जिसका इस्तेमाल किया जा सके. अगर आप यह उपलब्ध है तो आप इस्तेमाल किया जा सकता है नहीं तो हमारे सपोर्टिव ट्रिटमेंट हैं जिससे मरीजों को ठीक किया जा रहा है.

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डॉक्टर नांगिया ने कहा कि, रेमडेसिविर लोगों की जिंदगी बचा सकती है इस पर अभी और स्टडी की जरूरत है. हालांकि यह है कि रेमडेसिविर कोरोनावायरस से रिकवरी को तेज कर सकती है और इसके अलावा और कुछ नहीं. डॉक्टर नांगिया ने भी कहा कि अगर यह उपलब्ध है तो उपयोग करिए नहीं है तो पेनिक बिल्कुल न करें. रेमडेसिविर कुछ ही कंडिशन में मरीजों को दी जाती है. अगर मरीज को माइल्ड बीमारी है तो यह कारगर नहीं है रेमडेसिविर सिर्फ मॉडरेट पेशेंट्स को दी जाती है जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है.

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(डॉक्टर विवेक नांगिया, प्रिसिपल डायरेक्टर, हेड ऑफ रेस्पिरेटरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन, मैक्स साकेत)

(डॉ. अंजन त्रिखा, क्लिनिकल मैनेजरियल ग्रुप कोविद सेंटर, एम्स की चेयरपर्सन)

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