एक शोध में यह बात सामने आई है कि अकेले सूजन को कम करने से मेटाबॉलिक-एसोसिएटेड फैटी लिवर डिजीज (एमएएफएलडी) से पीड़ित लोगों में लिवर फाइब्रोसिस से लड़ने में मदद नहीं मिल सकती. मेटाबॉलिक-एसोसिएटेड फैटी लीवर डिजीज (MAFLD) लीवर में वसा के जमाव के कारण होने वाली एक स्थिति है. लंबे समय से लिवर की सूजन को फाइब्रोसिस विकसित होने का लक्षण माना जाता है, जिसे टीशू के घाव और उसके बढ़ने के रूप में समझा जा सकता है. यह लिवर के काम करने की क्षमता को कम कर सकता है. साथ ही यह अगर लंबे समय तक रहता है तो कैंसर का कारण भी बन सकता है.
जर्नल ऑफ क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, केवल सूजन को कम करने से फाइब्रोसिस से लड़ा नहीं जा सकता. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) के एसोसिएट प्रोफेसर तामेर सल्लम ने कहा कि हालांकि सूजन अभी भी जरूरी है, लेकिन यह फाइब्रोसिस का मुख्य कारण नहीं हो सकता है.
टीम ने इस शोध में चूहों पर टेस्ट किया. उन्होंने प्रोटीन लिपोपॉलीसेकेराइड बाइंडिंग प्रोटीन (एलबीपी) पर जानकारी हासिल की. परिणामों से पता चला कि जिन चूहों की लिवर कोशिकाओं में एलबीपी नहीं था, उनमें लीवर की सूजन भी कम थी. लिवर बेहतर तरीके से काम कर रहा था. मगर फाइब्रोसिस में कोई बदलाव नहीं पाया गया.
इसके अलावा, टीम ने बड़े मानव डेटासेट और बीमारी के अलग-अलग स्टेज में एमएएफएलडी रोगियों से ह्यूमन टिश्यू सैम्पल से आनुवंशिक विश्लेषण का भी अध्ययन किया. सल्लम ने केवल सूजन को ही टारगेट करने के बजाय फाइब्रोसिस को बेहतर ढंग से टारगेट करने और परिणाम में सुधार करने के लिए ज्यादा उपचारों की सिफारिश की है.
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