Prostate Cancer: प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में लंग कैंसर के बाद दूसरा सबसे आम कैंसर है. जैसे-जैसे समाज में लोग विकसित होते जाते हैं, कैंसर के मामलों में वृद्धि होती है. जैसे कि जो विकसित देश हैं जैसे जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका और जापान में प्रोस्टेट कैंसर के मामले सबसे ज्यादा हैं.
जो विकासशील देश हैं, जैसे-जैसे वहां विकास बढ़ता है, यह देखा गया है कि प्रोस्टेट कैंसर के मामले भी बढ़े हैं. इसका कारण यह माना जाता है कि बेहतर जीवनशैली के साथ जो डाइट में बदलाव होते हैं और जीवनशैली में बदलाव होते हैं जैसे कि शारीरिक गतिविधि कम हो जाना, फास्ट फूड का सेवन बढ़ना, पोषण में बदलाव और शराब का सेवन बढ़ना. इन सभी बदलावों के कारण कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
प्रोस्टेट कैंसर एक उम्र से संबंधित बीमारी है और जैसे-जैसे किसी व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, इसकी घटनाओं में भी वृद्धि होती है. यह भी देखा गया है कि कुछ लोग जो जनेटिकली प्रीडिस्पोज्ड होते हैं, यानी जिनका जनेटिक कम्पोजीशन इस तरह से होता है कि वे इस बीमारी के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं.
उदाहरण के लिए, अगर किसी की फैमिली में पहले प्रोस्टेट कैंसर, पैंक्रियाटिक कैंसर, या फिर किसी महिला रिश्तेदार को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है, तो उनके पुरुष रिश्तेदारों में प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है. यह भी देखा गया है कि कुछ अध्ययन बताते हैं कि टमाटर का जूस या विटामिन ई का अधिक सेवन करने से प्रोस्टेट कैंसर के मामलों को कम किया जा सकता है, लेकिन यह साइंटिफिकली प्रमाणित नहीं है और इसे व्यापक रूप से स्वीकृत वैज्ञानिक अध्ययन में नहीं माना गया है.
फिर भी, एक संतुलित जीवनशैली जिसमें अच्छी वेजिटेरियन डाइट, अच्छे फलों का सेवन और नशीली चीजों से बचना शामिल हो, यह माना जाता है कि इससे हम कई प्रकार के कैंसर से बच सकते हैं, जिनमें प्रोस्टेट कैंसर भी है. प्रोस्टेट कैंसर के इलाज का तरीका उसकी स्टेज और प्रकार पर निर्भर करता है. लो-ग्रेड प्रोस्टेट कैंसर को हम एक्टिव निगरानी नामक प्रोटोकॉल में रखते हैं, जिसमें न तो ऑपरेशन किया जाता है और न ही कीमोथेरेपी. सिर्फ नियमित रूप से मरीज को अस्पताल बुलाकर उनका क्लिनिकल परीक्षण और खून के टेस्ट किए जाते हैं, यह देखने के लिए कि उनका कैंसर जैसा था, क्या वही स्थिति अब भी बनी हुई है, या फिर यह अधिक आक्रामक रूप में बदल रहा है. लो-ग्रेड प्रोस्टेट कैंसर के मरीज इस प्रोटोकॉल को आराम से फॉलो कर सकते हैं.
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कभी-कभी जब कैंसर आक्रामक हो जाता है, तो रक्त परीक्षण या रेडियोलॉजिकल टेस्ट से हमें बदलाव मिलते हैं, तो फिर हमें उस मरीज को सर्जरी या रेडियोथेरेपी से इलाज करना पड़ता है. अगर मरीजों को एडवांस स्टेज में कैंसर होता है, तो हम उनके शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सर्जरी का विकल्प देते हैं या फिर रेडिएशन से इलाज करते हैं.
आजकल सर्जरी एक अधिक सफल इलाज के रूप में उभरी है, क्योंकि यह रोबोट द्वारा की जाती है. रोबोटिक प्रोस्टेट नामक इस उपचार विधि से मरीजों को कम शारीरिक नुकसान और कम जोखिम के साथ अच्छा इलाज मिल सकता है. प्रोस्टेट को पूरी तरह से हटा दिया जाता है और कैंसर के फैलाव वाले आसपास के ऊतकों को भी निकाला जाता है. इस सर्जरी का एक सामान्य साइड इफेक्ट पेशाब पर नियंत्रण में कमी और यौन संबंध बनाने में समस्या हो सकती है. हालांकि, नई तकनीकों की वजह से पेशाब पर नियंत्रण खोने की समस्या पहले से काफी कम हो गई है और अधिकतर लोग 2-3 महीने में अपना पेशाब का नियंत्रण पुनः प्राप्त कर लेते हैं. सर्जरी के अलावा, प्रोस्टेट कैंसर का एक और सामान्य उपचार रेडियोथेरेपी है.
जब रेडियोथेरेपी दी जाती है, तो इसके साथ होम्योपैथी भी जुड़ी होती है, और इस संयोजन से मरीज सर्जरी से बच सकते हैं. इस उपचार के लाभ उन लोगों को अधिक होते हैं जो उम्रदराज होते हैं या जिनके पास अन्य बीमारियां होती हैं, जिससे हम उन्हें ऑपरेशन के लिए बेहोश नहीं कर सकते. रेडियोथेरेपी के कुछ विशेष साइड इफेक्ट्स होते हैं, जैसे कि आंतों या मूत्राशय में सूजन या रक्तस्राव, लेकिन यह समय के साथ ठीक हो जाता है.
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संक्षेप में, प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के कई विकल्प हैं और इनमें से अधिकांश बहुत प्रभावी होते हैं. इस कैंसर को हम आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं. प्रोस्टेट कैंसर एक धीमा बढ़ने वाला कैंसर है और यदि इसका समय पर पता चल जाए तो मरीज उम्मीद कर सकता है कि वह 10 साल तक आराम से जीवित रहेगा. हालांकि, इस कैंसर के कुछ रूप बहुत आक्रामक होते हैं और जल्दी ही हड्डियों और लिम्फ नोड्स में फैल जाते हैं, इसलिए कैंसर की स्टेज और प्रकार के अनुसार प्रोस्टेट कैंसर का इलाज किया जाता है.
प्रोस्टेट कैंसर की जनेटिक टेस्टिंग
प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में जनेटिक टेस्टिंग का एक महत्वपूर्ण रोल सामने आया है. यह देखा गया है कि जनेटिक टेस्टिंग से हम यह जान सकते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर का खतरा परिवार के अन्य सदस्यों में कितना है.
पहले यह टेस्ट बहुत महंगे होते थे, लेकिन अब यह सस्ते हो गए हैं. यह टेस्ट जन्मजात जीन से संबंधित होते हैं, या फिर उम्र के साथ शरीर में उत्पन्न होने वाले जनेटिक म्यूटेशन के कारण होते हैं, जो कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं.
ये दोनों टेस्ट अब उपचार प्रोटोकॉल का हिस्सा बन गए हैं और व्यक्तिगत इलाज के अलावा, ये परिवार के अन्य सदस्यों के कैंसर के खतरे की भविष्यवाणी करने में भी मदद करते हैं.
( डॉक्टर संजय गोगोई, प्रिंसिपल डायरेक्टर - यूरोलॉजी, किडनी ट्रांसप्लांट एंड यूरो-ऑन्कोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, द्वारका )
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)