प्रेगनेंसी में क्यों होती है मॉर्निंग सिकनेस? जानिए इसके कारण और उपाय

Morning Sickness: गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में अक्सर महिलाएं मॉर्निंग सिकनेस से गुजरती हैं. यह आम बात है और ज्यादातर महिलाओं में पाई जाती है.

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Morning Sickness in Pregnancy | प्रेगनेंसी में मार्निंग सिकनेस क्यों होती है?

Morning Sickness in Pregnancy: गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में अक्सर महिलाएं मॉर्निंग सिकनेस से गुजरती हैं. यह आम बात है और ज्यादातर महिलाओं में पाई जाती है. शरीर नए हार्मोन बदलावों में ढल रहा होता है, पाचन अग्नि अस्थिर हो जाती है और भावनाएं भी संवेदनशील हो जाती हैं. पेट खाली होने पर मतली तेज होती है और कुछ खाने की चीजों की खुशबू से बेचैनी होने लगती है. 

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो एचसीजी हार्मोन तेजी से बढ़ता है और यह मस्तिष्क के उल्टी केंद्र को सक्रिय करता है. ब्लड शुगर कम होने और गंध के प्रति संवेदनशीलता बढ़ने से भी मतली बढ़ती है. लक्षणों में सुबह उठते ही उल्टी, मुंह में कड़वा स्वाद, चक्कर, थकान, हल्का बुखार जैसा महसूस होना और पेट में जलन शामिल हैं.

प्रेगनेंसी में मार्निंग सिकनेस कैसे दूर करें ( How to Get Rid Of Morning Sickness in Pregnancy) 

आयुर्वेद के अनुसार, इसका मुख्य कारण पित्त दोष का बढ़ जाना और मन की अस्थिरता है. आयुर्वेद और घरेलू उपायों से इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है. सबसे असरदार है अदरक. सुबह उठते ही हल्का अदरक पानी पीना या अदरक चबाना पाचन सुधारता है और मतली को रोकता है.

नींबू और शहद वाला गुनगुना पानी भी राहत देता है. नींबू पित्त को शांत करता है और शहद ऊर्जा देता है. हालांकि, पेट में जलन हो तो नींबू का सेवन कम करें. साथ ही, इलायची की सुगंध तुरंत राहत देती है. इसे चबाएं या इलायची पानी दिन में दो बार लें. ये उपाय हल्के और सुरक्षित हैं, यात्रा में भी आसानी से ले जा सकते हैं.

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योग और श्वसन भी मददगार हैं. हल्की प्राणायाम तकनीकें पित्त शांत करती हैं, धीमी लंबी सांसें लें और सुबह 5 मिनट ध्यान करें. तेज योगासन या झटके देने वाले अभ्यास से बचें, क्योंकि मन स्थिर होने पर ही मतली कम होती है.

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इसके साथ ही आहार पर भी खास ध्यान दें. बहुत तला, मसालेदार या भारी भोजन न करें, छोटे-छोटे हिस्सों में खाएं, सुबह उठते ही हल्का नाश्ता करें और कमरे में तेज गंध न रखें. गुनगुना पानी बेहतर है, ठंडा पानी नुकसान कर सकता है.

सावधानियां भी जरूरी हैं. बहुत तेज मतली, लगातार उल्टी, कम पेशाब, अधिक थकान जैसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. मानसिक संतुलन भी जरूरी है. तनाव बढ़ने से मतली बढ़ती है, इसलिए शांत संगीत सुनें, गहरी सांसें लें और दिनभर आरामदायक माहौल बनाएं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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