50 से कम उम्र के लोगों को भी हो रहा ये दिमागी रोग, कारण जान चौंक जाएंगे आप, डॉक्टर ने बताए लक्षण

स्टडी में पार्किंसंस के लिए पर्यावरण, जेनेटिक्स और लाइफस्टाइल को मुख्य रूप से दोषी ठहराया गया है. डॉक्टर ने कहा, "कीटनाशकों के संपर्क में आना, वायु प्रदूषण और खान-पान की आदतें जैसे कारक आनुवांशिक संवेदनशीलता के साथ मिलकर रोग को बढ़ाते हैं."

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स्टडी में पार्किंसंस के लिए पर्यावरण, जेनेटिक्स और लाइफस्टाइल को मुख्य रूप से दोषी ठहराया गया है.

अक्सर माना जाता है कि बढ़ती उम्र पार्किंसंस रोग का एक प्रमुख कारण है, लेकिन अब एक नई स्टडी में हेल्थ एक्सपर्ट्स ने खुलासा किया है कि 50 साल से कम उम्र के लोगों में भी ये बीमारी हो सकती है. उन्होंने इस पर चिंता भी व्यक्त की है. पार्किंसनिज्‍म एंड रिलेटेड डिसऑर्डर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत में पार्किंसंस रोग तेजी से पांव पसार रहा है. अब यह बाकी देशों की तुलना में 10 साल पहले हो रहा है. भाईलाल अमीन जनरल हॉस्पिटल वडोदरा की कंसल्टेंट न्यूरो-फिजिशियन डॉ. आश्का पोंडा ने आईएएनएस को बताया, "पहले ऐसी धारणा थी कि पार्किंसंस रोग मुख्य रूप से उम्र दराज व्यक्तियों को प्रभावित करता है, लेकिन नए शोध से यह बात सामने आई है कि यह कम उम्र के लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है. पार्किंसंस के मामलों में हालिया वृद्धि से यह पता चला है कि इस रोग के लक्षण 50 साल की आयु से पहले देखे जा रहे हैं."

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पार्किसंस रोग के कारण:

स्टडी में पार्किंसंस के लिए पर्यावरण, जेनेटिक्स और लाइफस्टाइल को मुख्य रूप से दोषी ठहराया गया है. डॉक्टर ने कहा, "कीटनाशकों के संपर्क में आना, वायु प्रदूषण और खान-पान की आदतें जैसे कारक आनुवांशिक संवेदनशीलता के साथ मिलकर रोग को बढ़ाते हैं."

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पार्किसंस रोग के लक्षण: 

इसके लक्षणों में लो मोबिलिटी, स्टिफनेस, कंपकंपी और संतुलन का बिगड़ना है. पार्किंसंस डेली एक्टिविटीज और मोबिलिटी को काफी हद तक रिस्ट्रिक्ट कर सकता है, जिससे परेशानी हो सकती है.

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डॉ. आशका ने कहा, “पार्किंसंस के रोगियों का एक बड़ा हिस्सा अब कम उम्र के वर्ग में आता है, इसलिए यह जानना जरूरी है कि यह न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर केवल उम्र के आधार पर नहीं होता. इसकी बजाय, आनुवंशिक प्रवृत्तियों, पर्यावरणीय जोखिमों और दूसरी बिमारियों का होना पार्किंसंस रोग की कॉम्प्लेक्सिटी को रेखांकित करता है."

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अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद में न्यूरोलॉजी और स्ट्रोक मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय पांडे ने कहा, "पार्किंसंस रोग का शीघ्र पता लगाना और इसका मैनेजमेंट रोग की प्रगति को धीमा कर सकता है जिससे रोगी के जीवन को थोड़ा बेहतर बनाया जा सकता है."

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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