मरीजों की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं, सर्जरी की अनुमति पर IMA ने जताई गंभीर चिंता

हाल ही में आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी करने की अनुमति देने वाले नीतिगत बदलावों पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने अपना सख्त विरोध दर्ज कराया है.

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आर्युवेद में अमूमन हर बीमारी का इलाज होता है. इसमें दवाओं का सेवन किया जाता है और बीमारी को जड़ से खत्म करने की कोशिश की जाती है. लेकिन हाल ही में आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी करने की अनुमति देने वाले नीतिगत बदलावों पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने अपना सख्त विरोध दर्ज कराया है. IMA ने सरकार द्वारा किए गए इस बदलाव को मरीजों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा करार दिया है. IMA का कहना है कि सर्जरी के लिए विशेष, लंबी और संरचित ट्रेनिंग जरूरी होती है, जो आधुनिक चिकित्सा एमबीबीएस व पोस्टग्रेजुएट में दी जाती है.

विशेषज्ञता और गहन प्रशिक्षण की आवश्यकता

IMA का मानना है कि सर्जरी केवल एक 'तकनीक' नहीं है, बल्कि ये कई सालों की प्रैक्टिस और एक्सपीरियंस का रिज्लट होता है. आधुनिक चिकित्सा (MBBS और MD/MS) में सर्जरी के लिए एक अलग से बनाए गए पढ़ाई की जाती है. IMA के अनुसार सर्जरी सिर्फ तकनीक नहीं बल्कि मानव शरीर की एनाटॉमी, एनेस्थीसिया के असर, आपातकालीन देखभाल और ऑपरेशन बाद की क्रिटिकल केयर का गहरा ज्ञान मांगती है. बिना इन जानकारियों के सर्जरी करना जानलेवा साबित हो सकता है.

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मरीजों की सुरक्षा पर मंडराता खतरा

आईएमए ने चेतावनी दी है कि बिना किसी प्रैक्टिस किए गए डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति देना मरीजों की जान को जोखिम में डालने जैसा है. एसोसिएशन का तर्क है कि जब किसी मरीज की जान दांव पर होती है, तो वहां वैज्ञानिक प्रमाण और विशेषज्ञता का कोई विकल्प नहीं हो सकता. यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं के मानकों को कमजोर कर सकता है और कानूनी व भरोसे की समस्याएं पैदा कर सकता है

IMA अध्यक्ष की प्रमुख मांगें

  • IMA के अध्यक्ष डॉ. दिलीप भानुशाली ने सरकार से इस नीति पर तुरंत पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. उन्होंने निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदु उठाए हैं:
  • मरीजों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय को वापस लिया जाए.
  • चिकित्सा की विभिन्न पद्धतियों (आयुर्वेद और एलोपैथी) की अपनी-अपनी अलग महत्ता है, लेकिन उनके जो कार्य हैं उनके बीच में स्पष्ट सीमाएं बनाए रखी जाएं.
  • स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए आधुनिक चिकित्सा की सीटों में वृद्धि की जाए और प्रशिक्षण केंद्रों को मजबूत किया जाए, न कि मानकों के साथ समझौता किया जाए.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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