12 साल पहले हुआ एक्सीडेंट, लकवा से चल नहीं पा रहा था शख्स, ब्रेन इम्प्लांट के बाद आज अपने पैरो पर है खड़ा

एक व्यक्ति जो लकवाग्रस्त था, अब डिजिटल इम्प्लांट की बदौलत अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है और चल-फिर सकता है.

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गर्ट-जेन ओस्कम अब खुद से खड़े होकर चल सकते हैं.

12 साल पहले नीदरलैंड के लीडेन के 40 वर्षीय शख्स गर्ट-जान ओस्कम का मोटरबाइक एक्सीडेंट हुआ और तब से वे चल फिर नहीं पा रहे थे. डिजिटल इम्प्लांट के बाद अब वह फिर से चलने में सक्षम हैं, एडवांस ब्रेन टेक्नोलॉजी के कारण उन्हें अपने पैरों को मूव करने में मदद मिली. द मेट्रो के अनुसार, स्विट्जरलैंड में इकोले पॉलीटेक्निक फेडरेल डी लॉजेन (ईपीएफएल) के न्यूरोसाइंटिस्ट ने एक "वायरलेस डिजिटल ब्रिज" बनाया है, जो ब्रेन और रीढ़ की हड्डी के बीच खोए हुए कनेक्शन को बेहतर करने में सक्षम है. यह डिजिटल ब्रिज एक ब्रेन-स्पाइन इंटरफेस है जो गर्ट-जन ओस्कम को अपने पैरों पर कंट्रोल रखने में मदद करता है, जिससे वह खड़े होने, चलने और यहां तक कि सीढ़ियां चढ़ने में सक्षम हो जाता है.

यह "रीढ़ की हड्डी की डिजिटल रिपेयर से पता चलता है कि नए नर्व्स कनेक्शन बने हुए हैं," शोधकर्ताओं का दावा है.

"हमने ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) तकनीक का उपयोग करके ब्रेन और रीढ़ की हड्डी के बीच एक वायरलेस इंटरफेस बनाया है जो थॉट को एक्शन में बदल देता है.", ईपीएफएल में न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर ग्रेगोइरे कोर्टाइन की समरी है.

"चलने के लिए ब्रेन को मूवमेंट के कंट्रोल के लिए जिम्मेदार रीढ़ की हड्डी के क्षेत्र में एक ऑर्डर भेजना चाहिए. जब रीढ़ की हड्डी डैमेज होती है, तो यह रिस्ट्रिक्ट होता है," उन्होंने कहा.

ईपीएफएल में प्रोफेसर न्यूरोसर्जन जॉक्लिन बलोच ने कहा, "जब हम गर्ट-जन से मिले, तो रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगने के बाद वह एक कदम भी नहीं उठा पा रहे थे."

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न्यूरोलॉजिकल फंक्शन को रिपेयर करती हैं ये टेक्नोलॉजी

ईपीएफएल द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि रिहैबिलिटेशन सपोर्ट के डिजिटल ब्रिज ने गर्ट-जन को न्यूरोलॉजिकल फंक्शन को ठीक करने में सक्षम बनाया है. रीढ़ की हड्डी की यह डिजिटल मरम्मत बताती है कि नए नर्व्स कनेक्शन बने हुए हैं. इस लेवल पर डिजिटल ब्रिज का टेस्ट केवल एक व्यक्ति पर किया गया है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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