नवरात्रि में इन 5 बातों से बनाएं दूरी, तन और मन दोनों रहेगा हेल्दी...

नवरात्रि में जब हम इन नौ दिनों में अपने विचारों, व्यवहारों और दिनचर्या पर ध्यान देते हैं, तो हमारा मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं. अगर इन सरल बातों का ध्यान रखा जाए, तो नवरात्रि का हर दिन आनंद और आशीर्वाद से भरपूर हो सकता है.

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नवरात्रि के दौरान ज्यादातर लोग सात्विक भोजन करते हैं.

Navratri Do's and Don'ts  :  भारत में नवरात्रि का त्योहार विशेष स्थान रखता है. यह केवल धार्मिक अनुष्ठानों और व्रतों का समय नहीं होता, बल्कि आत्मशुद्धि, संयम और अनुशासन का भी प्रतीक है. इन नौ दिनों में लोग न सिर्फ मां दुर्गा की पूजा करते हैं, बल्कि अपने व्यवहार, खानपान और जीवनशैली में भी खास सावधानी बरतते हैं. इस दौरान कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनसे बचना न सिर्फ धार्मिक रूप से सही माना जाता है, बल्कि यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है. 

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नवरात्रि में क्या करें, क्या ना करें - Navratri Do's and Don'ts

1. बिस्तर पर सोना

नवरात्रि के दौरान ज्यादातर लोग जमीन पर सोना पसंद करते हैं. यह एक साधारण लेकिन गहरा संकेत है कि हमें इन दिनों सादगी और विनम्रता से रहना चाहिए. ज़मीन पर सोने से शरीर की बनावट बैलेंस रहती है, पीठ दर्द की संभावना कम होती है और एक आध्यात्मिक जुड़ाव महसूस होता है. 

2. लड़ाई-झगड़ा या ऊंचे स्वर में बोलना

नवरात्रि शांति और ध्यान का समय होता है. इन दिनों में गुस्सा, तकरार और बहस जैसी बातों से दूर रहना चाहिए. माना जाता है कि देवी इन दिनों हमारे घर में निवास करती हैं, इसलिए घर का माहौल शांत, साफ और सकारात्मक रखना जरूरी है. 

3. घर को खाली छोड़ना

अगर आपने नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाई है तो घर को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. अखंड दीपक मां दुर्गा की उपस्थिति का प्रतीक होता है. इसे जलता हुआ छोड़कर बाहर जाना ठीक नहीं माना जाता. हमेशा कोशिश करें कि कोई न कोई घर में मौजूद रहे ताकि दीपक की देखभाल हो सके और पूजा में निरंतरता बनी रहे.

4. शारीरिक संबंध 

इन दिनों में संयम रखना बहुत जरूरी होता है. यह केवल खानपान तक सीमित नहीं है, बल्कि मन और शरीर दोनों पर कंट्रोल भी जरूरी है. शारीरिक संबंध या इस दिशा में कोई भी गतिविधि एनर्जी को बिखेर सकती है और ध्यान भटका सकती है. ध्यान, मंत्र-जप और साधना के लिए यह समय अनुकूल होता है.

5. मांसाहार और भारी भोजन

नवरात्रि के दौरान ज्यादातर लोग सात्विक भोजन करते हैं. मांस, मछली, अंडा, लहसुन और प्याज जैसे खाद्य पदार्थ की मानाही होती है. ये ना केवल धार्मिक कारणों से टाले जाते हैं, बल्कि इनका असर शरीर पर भी भारी पड़ता है. मौसम बदल रहा होता है और पाचन तंत्र थोड़ा धीमा हो जाता है. हल्का, सुपाच्य और शुद्ध आहार ऊर्जा को स्थिर करता है और शरीर को डिटॉक्स करता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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