National Ayurvedic Day 2024: भारत का आयुर्वेद से सदियों पुराना नाता है. लगभग 5000 सालों से भारत में इस पद्धति से इलाज होता आ रहा है. आयुर्वेद शब्द के अर्थ की बात करें तो इसका अर्थ होता है जीवन का विज्ञान. यह ना केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायी माना जाता है. आयुर्वेद पद्धति से इलाज न केवल रोग की ठीक पर बल्कि सही और हेल्दी तरीके से जीवन यापन का तरीका भी सिखाता है. बता दें कि साल 2016 में भारत सरकार मंत्रालय ने इस दिवस को मनाने की शुरूआत की थी. सबसे पहला आयुर्वेद दिवस 28 अक्तूबर 2016 को मनाया गया था. तब से अब तक हर साल यह दिवस धनतेरस वाले दिन मनाया जाता है.
धनतेरस के दिन ही क्यों मनाया जाता है आयुर्वेद दिवस
धनतेरस के दिन ही इस दिन को मनाने के पीछे की एक खास वजह है. इस दिन को भारत और दुनिया भर में चिकित्सा के हिंदू देवता धन्वंतरि के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. मान्यताओं के मुताबिक भगवान धन्वंतरिको आयुर्वेद के देवता का कहा जाता है. यही वजह है कि इस दिन को मनाने की कोई एक तारीख निश्चित नहीं है. हर साल धनतेरस वाले दिन इस खास दिन को सेलीब्रेट किया जाता है.
आयुर्वेद क्या हैं?
आयुर्वेद हमें हजारों वर्षों से स्वस्थ जीवन की दिशा दिखा रहा है. प्राचीन भारत में आयुर्वेद को रोगों के उपचार और स्वस्थ जीवन शैली व्यतीत करने का सर्वोत्तम तरीका माना जाता था. आजकल के तेज जीवनशैली में, हमें अपने शरीर और मन का ध्यान रखने के लिए आयुर्वेदिक तरीकों की आवश्यकता है. इससे हम न केवल रोगों को दूर रख सकते हैं, बल्कि एक स्वस्थ और संतुलित जीवन भी जी सकते हैं.
आयुर्वेदिक चिकित्सा क्या है?
प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली, जिसे आयुर्वेद के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन लेखन पर आधारित है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए "प्राकृतिक" और समग्र दृष्टिकोण पर निर्भर करता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है और भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में से एक है. आयुर्वेदिक उपचार उत्पादों (मुख्य रूप से पौधों से प्राप्त, लेकिन इसमें पशु, धातु और खनिज भी शामिल हो सकते हैं), आहार, व्यायाम और जीवन शैली को जोड़ता है.
हस साल धनतेरस के दिन ही क्यों मनाया जाता है आर्युवेदिक दिवस, जानें इसका महत्व और उद्देश्य
आयुर्वेदिक औषधि की सुरक्षा के बारे में विज्ञान क्या कहता है
- कुछ आयुर्वेदिक उत्पादों में धातु, खनिज या रत्न शामिल होते हैं. अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने चेतावनी दी है कि कुछ आयुर्वेदिक उत्पादों में धातुओं की मौजूदगी उन्हें संभावित रूप से हानिकारक बनाती है.
- आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल करने वाले लोगों पर 2015 में प्रकाशित एक सर्वेक्षण से पता चला कि 40 प्रतिशत लोगों के रक्त में सीसे का स्तर बढ़ा हुआ था और कुछ के रक्त में पारा का स्तर बढ़ा हुआ था. परीक्षण किए गए सप्लीमेंट्स में से लगभग एक में सीसे का स्तर अधिक था और लगभग आधे में पारा का स्तर अधिक था.
- रोग नियंत्रण केंद्र की रुग्णता एवं मृत्यु दर साप्ताहिक रिपोर्ट में प्रकाशित 2015 की एक केस रिपोर्ट में 64 वर्षीय महिला के रक्त में सीसे के बढ़े स्तर का संबंध इंटरनेट से खरीदी गई आयुर्वेदिक दवाओं से बताया गया था.
- यद्यपि यह दुर्लभ है, लेकिन आयुर्वेदिक उत्पाद आर्सेनिक विषाक्तता पैदा कर सकते हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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