गुजरात के कच्छ में रहस्यमयी बुखार का कहर, मरने वालों की संख्या 15 हुई

अज्ञात बीमारी के बारे में ज्‍यादा जानकारी जुटाने के साथ स्वास्थ्य स्थिति में सुधार लाने के लिए संदिग्ध मामलों के सैम्पल्स को टेस्‍ट के लिए पुणे भेजा गया है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
इस स्थिति ने गुजरात के अधिकारियों के बीच काफी चिंता पैदा कर दी है.

कच्छ जिले में भारी बारिश के कारण फैले रहस्यमयी बुखार ने और विकराल रूप ले लिया है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस अज्ञात बीमारी के कारण लखपत तालुका में 15 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई है. इस स्थिति ने गुजरात के अधिकारियों के बीच काफी चिंता पैदा कर दी है. मामले की जांच करने के लिए स्वास्थ्य अधिकारी और जि‍ले के स्वास्थ्य आयुक्त मामलों पर निगरानी बनाए हुए हैं. अज्ञात बीमारी के बारे में ज्‍यादा जानकारी जुटाने के साथ स्वास्थ्य स्थिति में सुधार लाने के लिए संदिग्ध मामलों के सैम्पल्स को टेस्‍ट के लिए पुणे भेजा गया है.

यह भी पढ़ें: डार्क अंडरआर्म्स को छुपाते हैं आप, तो नींबू के रस में ये चीज मिलाकर लगाएं, साफ होने लगेगी काली पड़ी अंडरआर्म

स्वास्थ्य मंत्री का दौरा:

मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल स्थिति का आकलन करने के लिए लखपत गांव का दौरा करेंगे. इसके साथ ही वह स्थिति को कंट्रोल में लाने के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. इस बैठक में उनके साथ शिक्षा राज्य मंत्री और कच्छ जिले के प्रभारी प्रफुल पनसेरिया भी होंगे. वे दोनों मिलकर लखपत और अब्दासा तालुका में संदिग्ध बुखार के मामलों की विस्तृत समीक्षा करेंगे.

"बुखार के लक्षण न्यूमोनाइटिस से मिलते जुलते"

मंत्री पनसेरिया ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "बुखार के मामलों की बढ़ती संख्या एक गंभीर मुद्दा बन गई है. हम तत्काल एक्शन लेंगे. प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करते हुए लोगों की स्वास्थ्य स्थितियों का आकलन करेंगे." स्वास्थ्य मंत्री ने मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने और प्रकोप को कंट्रोल करने के लिए कच्छ जिला प्रशासन के साथ समीक्षा बैठक भी की. इस बुखार के लक्षण न्यूमोनाइटिस से मिलते जुलते हैं, फिर भी रैपिड रिस्पांस टीम मौतों का सही कारण जानने के लिए आगे की जांच कर रही है.

पशुपालन विभाग ने किसी भी जूनोटिक बीमारी (जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है) की संभावना से इनकार किया है, हालांकि सभी मृतक जाट मालधारी जनजाति के थे, जो गुजरात के सूखे इलाकों में रहने वाले एक पशुपालक समुदाय हैं.

यह भी पढ़ें: पेट की समस्याओं से लगभग 80 प्रतिशत तक बढ़ सकता दिमाग की इस बीमारी का खतरा, स्टडी में हुआ खुलासा

Advertisement

सरकार ने सैम्पल की जांच के लिए कहा:

गुजरात सरकार ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) से सैम्पल की जांच कई प्रकार के रोगाणुओं के लिए करने का अनुरोध किया है, जिनमें क्रीमियन-कांगो हेमोरेजिक फीवर (सीसीएचएफ), स्क्रब टाइफस, चांदीपुरा वेसिकुलोवायरस (सीएचपीवी), जापानी इंसेफेलाइटिस और यहां तक ​​कि प्लेग भी शामिल है.

स्वास्थ्य विभाग ने संक्रामक रोग के प्रकोप की संभावना को खारिज कर दिया है क्योंकि एक साथ कई लोगों में संक्रमण के मामले नहीं पाए गए हैं.

Advertisement

स्वास्थ्य सर्वेक्षण में पहचाने गए 27 संपर्कों और लक्षण वाले व्यक्तियों में से, रैपिड रिस्पांस टीम को केवल दो मामले फाल्सीपेरम मलेरिया, दो मामले स्वाइन फ्लू और एक मामला डेंगू का मिला है.

Video: क्या सिर्फ ड्रिंक करने वालों को होती है लिवर डिजीज? लिवर से जुड़े मिथ्स और फैक्ट्स

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Advertisement
Featured Video Of The Day
Gautam Adani ने Indology Mission के लिए दिए ₹100 crore | Adani Global Indology Conclave 2025