कौंच बीज: कहीं फायदा करने के चक्कर में सेहत को नुकसान न पहुंचा दें आप? जानें शुद्ध करने का सही तरीका

आयुर्वेद कहता है कि किसी भी जड़ी-बूटी को इस्तेमाल करने से पहले उसे 'शुद्ध' करना बहुत जरूरी है. शुद्ध करने का मतलब है, उसमें मौजूद जहर या बेकार चीजों को हटाना, ताकि सिर्फ उसके अच्छे गुण ही हमें मिलें और वो पूरी तरह से असरदार बन सके. कौंच बीज के साथ भी ऐसा ही है.

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शुद्ध कौंच बीजों को पीसकर चूर्ण बनाया जाता है, जो अब पूरी तरह विषरहित और औषधीय गुणों से भरपूर होता है.

Kaunch beej uses : कौंच बीज आयुर्वेद में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और बलवर्धक औषधि माना जाता है, जिसका प्रमुख उपयोग पुरुषों की यौन शक्ति, मानसिक स्फूर्ति और स्नायु तंत्र को मजबूत करने में किया जाता है. हालांकि, आयुर्वेद में किसी भी औषधीय द्रव्य का सेवन करने से पहले उसकी शुद्धि करना आवश्यक होता है, ताकि उसकी विषाक्तता समाप्त हो और औषधीय गुण पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी बने रहें.  

कौंच बीज स्वाभाविक रूप से तीव्र और उष्ण प्रकृति के होते हैं, जो सीधे सेवन करने पर शरीर में जलन, गर्मी या पाचन संबंधी विकार उत्पन्न कर सकते हैं. इसलिए इनके शोधन की प्रक्रिया आयुर्वेद में अत्यंत महत्व रखती है.

कौंच बीज की सतह पर एक महीन रोमयुक्त परत होती है, जो त्वचा के संपर्क में आने पर खुजली, जलन और एलर्जी पैदा कर सकती है. साथ ही, बिना शोधन के ये बीज पाचन तंत्र में अवरोध उत्पन्न कर सकते हैं. इसलिए इन बीजों को विशेष आयुर्वेदिक विधियों से शुद्ध किया जाता है, जिससे उनके हानिकारक प्रभाव समाप्त हो जाते हैं और वे सुरक्षित औषधि बन जाते हैं.

कैसे करें कौंच बीज को शुद्ध

शोधन की पारंपरिक विधि में सबसे पहले कौंच बीजों को अच्छी तरह से धूप में सुखाया जाता है, फिर उनकी रोमयुक्त परत को सावधानीपूर्वक रगड़कर हटाया जाता है. इसके बाद शोधन के लिए तीन प्रमुख विधियां अपनाई जाती हैं.

पहली विधि

बीजों को गाय के दूध में डालकर धीमी आंच पर 3 से 6 घंटे तक पकाया जाता है, जब तक बीज मुलायम होकर छिलका अलग न कर दें. पकाने के बाद छिलका हटाकर बीजों को धोकर सुखाया जाता है और फिर चूर्ण बनाया जाता है.

दूसरी विधि

बीजों को दूध में डालकर लगभग 24 घंटे के लिए रखा जाता है, जिससे वे फूल जाते हैं और छिलका स्वतः अलग हो जाता है.

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तीसरी विधि

गोमूत्र में शोधन की है, जो खासतौर पर वात और स्नायु रोगों में उपयोगी मानी जाती है. इसमें बीजों को गोमूत्र में उबालकर शुद्ध किया जाता है.

शुद्ध कौंच बीजों को पीसकर चूर्ण बनाया जाता है, जो अब पूरी तरह विषरहित और औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसे आयुर्वेद में कौंच पाक, कौंच चूर्ण, और कौंच घृत के रूप में उपयोग किया जाता है.

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ये वीर्य वृद्धि, शुक्र धातु की पुष्टि, मानसिक तनाव और अनिद्रा में लाभकारी होते हैं. इसके अलावा कौंच बीज पार्किंसन जैसे तंत्रिका रोगों में भी सहायक साबित हुए हैं क्योंकि इसमें प्राकृतिक एल-डोपा पाया जाता है. स्नायु तंत्र को मजबूत कर शारीरिक कमजोरी दूर करने में भी यह अत्यंत उपयोगी है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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