भारत में वर्तमान में बुजुर्गों की आबादी लगभग 104 मिलियन है, जिसके 2050 तक 319 मिलियन तक बढ़ने का अनुमान है. इस बारे में विशेषज्ञों ने कहा है कि स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों से निपटने के लिए एक्शन लेने की आवश्यकता है. स्वस्थ बुढ़ापा शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के बारे में है ताकि लोग लंबा, स्वस्थ और पूर्ण जीवन जी सकें.
विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार प्रशंसनीय पहलों के माध्यम से इस विषय को संबोधित कर रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, बुजुर्गों की स्वास्थ्य सेवा से जुड़े प्रमुख मुद्दे उभरे हैं.
एसोचैम नेशनल काउंसिल ऑन सीएसआर के अध्यक्ष अनिल राजपूत ने यहां एक पैनल चर्चा के दौरान कहा, "बुजुर्गों को अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने, सक्रिय रहने और अपने पूरे जीवन में अपने समुदायों में पूरी तरह से भाग लेने में सक्षम बनाने के लिए, सहायक परिवेश और नीतियों की आवश्यकता है.'' वैश्विक स्तर पर, बुढ़ापा 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक चुनौतियों में से एक है.
राजपूत ने कहा, ''भारत में अगले ढाई दशक में बुजुर्गों की आबादी में तीन गुना वृद्धि होने की उम्मीद है और वृद्धावस्था देखभाल अभी भी स्वास्थ्य सेवा में एक अपेक्षाकृत नया क्षेत्र है और यह मुख्य रूप से शहरों तक ही सीमित है. मेरा मानना है कि बुजुर्गों के सशक्तिकरण के लिए कॉर्पोरेट क्षेत्र, नागरिक समाज और सरकार की सक्रिय और निरंतर भागीदारी आवश्यक है.''
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सर गंगा राम अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ पद्मश्री प्रोफेसर (डॉ.) सुभाष मनचंदा के अनुसार, "योग में बुजुर्गों में होने वाली आम बीमारियों जैसे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और जोड़ों की समस्याओं को नियंत्रित करने की क्षमता है.''
उन्होंने सुझाव देते हुए कहा, "वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि योग मस्तिष्क के होने वाले नुकसान को कम कर सकता है. इसके साथ ही यह बुढ़ापे को रोकने में भी सहायक हो सकता है. इसलिए यह सुझाव दिया जाता है कि योग स्वस्थ और सुंदर बुढ़ापे के लिए फायदेमंद है.''
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में जेरिएट्रिक क्लिनिक के पूर्व प्रमुख और मेडिसिन में वरिष्ठ सलाहकार प्रोफेसर विनोद कुमार ने कहा कि एक व्यक्ति का स्वस्थ और खुशहाल बुढ़ापा संतुलित आहार, शारीरिक व्यायाम, अच्छी नींद जैसी चीजों पर ध्यान देकर ही पाया जा सकता है.
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