ठंडी और गर्म सिकाई कब की जाती है, जानें किस तरह की चोट और दर्द में कौन-सी सिकाई है फायदेमंद?

Sikai Kab Karni Chahie: अगर गलत समय पर गर्माहट दे दी तो सूजन और बढ़ सकती है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि किस चोट में कौन सी सिकाई फायदेमंद होती है और कब इसे टालना चाहिए.

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सिकाई करने के क्या फायदे हैं?

Sikai Kab Karni Chahie: चोट लगने के बाद सबसे पहली कोशिश यही होती है कि जैसे भी हो दर्द से जल्द से जल्द राहत कैसे मिले. ऐसे में अगर मूंदी चोट (जिसमें खून न बहा हो) है, तो ज़्यादातर लोग बिना सोचे समझे गरम सिकाई शुरू कर देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि गर्माहट हर दर्द में आराम देती है. लेकिन सच यह है कि हर चोट पर गर्म सिकाई नहीं की जाती. अगर गलत समय पर गर्माहट दे दी तो सूजन और बढ़ सकती है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि किस चोट में गरम सिकाई फायदेमंद होती है और कब इसे टालना चाहिए.

गर्म पानी से सिकाई कब करनी चाहिए?

ताजा चोट पर गर्म सिकाई न करें:

अगर चोट ताजा है और चोट की जगह पर सूजन और लालिमा आ गई है, तो कभी भी गर्म सिकाई न करें. नई चोट में शरीर अंदर ही अंदर गर्मी पैदा कर रहा होता है. ऐसे में बाहरी हीट देने से सूजन और फैल सकती है. ऐसे में पहले 48 से 72 घंटे तक सिर्फ ठंडी सिकाई करें. या फिर आइस पैक भी लगा सकते हैं. आइस पैक या ठंडे पानी की सिकाई सूजन और अंदरूनी ब्लीडिंग को रोकती है. गरम सिकाई तभी करें जब चोट पुरानी हो जाए और दर्द स्टिफनेस में बदल जाए.

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गर्म सिकाई कब देती है फायदा?

गर्म सिकाई का इस्तेमाल ज्यादातर पुरानी या जमी हुई तकलीफ में किया जाता है. यह खासतौर पर तब फायदेमंद होती है जब मसल में खिंचाव हो. ऐसी स्थिति में गरमाहट देने से मसल्स ढीली होती हैं और बॉडी को रिलैक्स मिलता है. कई लोग जॉइंट पेन और स्टिफनेस में भी गर्म सिकाई करते हैं, खासकर तब जब दर्द लगातार बना रहता है या चलने-फिरने में तकलीफ होती है. आर्थराइटिस जैसी पुरानी तकलीफ में भी हीट देने से खून का बहाव बढ़ता है और दर्द धीरे-धीरे कम होता है. डॉक्टर सलाह देते हैं कि गरम सिकाई हमेशा हल्के तापमान पर और 15 से 20 मिनट से ज्यादा न की जाए, क्योंकि बहुत गर्म सिकाई या ज्यादा देर तक लगाने से स्किन जल सकती है. इसलिए गरम पैक या गर्म पानी की थैली को हमेशा कपड़े या तौलिया के ऊपर रखकर इस्तेमाल करना बेहतर रहता है.

ठंडी व गरम दोनों तरह की सिकाई

कई बार दर्द या सूजन में ठंडी और गरम सिकाई दोनों की जरूरत पड़ती है, जिसे कॉम्बिनेशन थेरेपी कहा जाता है. इसमें पहले ठंडी सिकाई से सूजन कम की जाती है और बाद में गरम सिकाई से मसल्स को रिलैक्स किया जाता है. यह तरीका तब अपनाया जाता है जब चोट पुरानी हो लेकिन बीच-बीच में सूजन भी आ जाती हो. हालांकि, यह तरीका तभी सही है जब डॉक्टर ने सलाह दी हो, क्योंकि हर चोट में दोनों तरह की सिकाई नहीं की जाती. गरम पैक या ठंडे पैक को सीधा स्किन पर न रखकर हमेशा कपड़े के ऊपर से इस्तेमाल करना सुरक्षित माना जाता है.

कब डॉक्टर की सलाह जरूरी है?

अगर चोट गहरी हो, हड्डी में दर्द हो या सूजन कई दिन तक बनी रहे तो खुद से सिकाई करने की कोशिश न करें. अंदरूनी चोट या फ्रैक्चर होने की स्थिति में हालत बिगड़ सकती है. ऐसे में समझदारी से फैसला लें और जरूरत पड़े तो डॉक्टर से जरूर पूछें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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