Lipid Profile Test: मॉडर्न दौर में तेजी से बदलती लाइफ स्टाइल के चलते हार्ट से जुड़ी समस्याओं का खतरा भी अधिक डराने लगा है. ऐसे जोखिम का समय पर आकलन करने के लिए डॉक्टर्स लिपिड प्रोफाइल टेस्ट को एक जरूरी परीक्षण बताते हैं. इस टेस्ट के रिपोर्ट आने के बाद ब्लड में फैट और कोलेस्ट्रॉल की बढ़ी हुई मात्रा के बारे में पता चलता है. इसके आधार पर ही डॉक्टर्स दवाइयों के अलावा हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव के जरिए कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने और दिल को तंदुरुस्त बनाने की सलाह देते हैं.
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट रिपोर्ट में क्या होता है (What is in the lipid profile test report)
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में हमारे शरीर में मौजूद फैट या वसा के अलग-अलग रूपों को अलग-अलग मापा जाता है. कोशिकाओं को सेहतमंद बनाए रखने के लिए जरूरी वसा में मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स होता है. इसका बैड फॉर्म खून की धमनियों को जाम करने और उसमें सूजन की वजह बनने लगता है. इसके चलते हार्ट सही तरीके से अपना काम नहीं कर पाता और उससे जुड़ी बीमारियों की आशंका बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. इसलिए ओवरऑल हेल्थ और खासकर दिल की सुरक्षा के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट बेहद जरूरी माना जाता है.
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट रिपोर्ट में क्यों होती है क्लेरिकल एरर की गुंजाइश
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में ब्लड सैंपल में मौजूद विभिन्न प्रकार के लिपिड या वसा के स्तर को माप कर कोलेस्ट्रॉल के स्तर और हार्ट की सेहत को प्रभावित करने वाले दूसरे लिपिड मार्करों के बारे में जानकारी देता है. कभी-कभी इस टेस्ट रिपोर्ट में क्लेरिकल एरर होने की गुंजाइश होती है. क्योंकि सारे पैरामीटर्स को एस्टीमेट नहीं किया जाता. ज्यादातर को फॉर्मूला लगाकर बाकी पैरामीटर्स के हिसाब से कैलकुलेट किया जाता है. यह एरर सामने आ जाने पर डॉक्टर रिटेस्ट यानी दोबारा जांच करवाने की सलाह देते हैं. आइए, मेडिकल एक्सपर्ट से जानते हैं कि लिपिड प्रोफाइल टेस्ट रिपोर्ट में क्लेरिकल एरर को कैसे पहचानें.
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट रिपोर्ट में क्लेरिकल एरर पहचानने के दो तरीके
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट रिपोर्ट में हमें एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड और एलडीएल/एचडीएल अनुपात की जानकारी मिलती है. डॉक्टर के मुताबिक, इसमें क्लेरिकल एरर पहचानने का पहला तरीका है कि रिपोर्ट में ट्राइग्लिसराइड जितना आया है उसको पांच से भाग देकर देखें. इसको वीएलडीएल से मैच करना चाहिए. अगर ऐसा है तो कैलकुलेशन सटीक है. दूसरा तरीका है कि एलडीएल और टोटल कोलेस्ट्रॉल से एचडीएल और वीएलडीएल घटाकर देखना चाहिए. अगर इन दोनों की वैल्यू बराबर आती है तो रिपोर्ट सही है. इसमें फर्क सामने आने पर दोबारा जांच करवाने की जरूरत होती है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)