चीन की Coronavac Vaccine कोरोनावायरस के खिलाफ कितनी प्रभावी? जानें

डब्ल्यूएचओ का एप्रूवल पाने का मतलब है कि वैक्सीन का इस्तेमाल अब कोवैक्स की आपूर्ति के लिए किया जा सकता है, जो दुनिया भर में वैक्सीन की खुराक शेयर करने के लिए स्थापित की गई पहल है.

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दुनिया भर में अब दो चीनी टीकों का उपयोग किया जा रहा है.

महामारी के इस दौर में चीन की डेवलपमेंट सिस्टम व्यस्त रहा है. दुनिया भर में अब दो चीनी टीकों का उपयोग किया जा रहा है: साइनोफार्म वैक्सीन और कोरोनावैक वैक्सीन. कोरोनावैक वैक्सीन, साइनोवैक बायोटेक कंपनी द्वारा विकसित, नवीनतम कोविड-19 वैक्सीन है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिए ऑथराइज किया गया है. इस वजह से, महामारी के प्रकोप को कम करने में कोरोनावैक वैक्सीन की बड़ी भूमिका हो सकती है.

डब्ल्यूएचओ का एप्रूवल पाने का मतलब है कि वैक्सीन का इस्तेमाल अब कोवैक्स की आपूर्ति के लिए किया जा सकता है, जो दुनिया भर में वैक्सीन की खुराक शेयर करने के लिए स्थापित की गई पहल है, जिसे 37 देशों द्वारा उपयोग के लिए मंजूर किया जा चुका है. लाखों लोग वैक्सीन प्राप्त करने के लिए कतार में हैं, और लाखों लोग वैक्सीन ले चुके हैं. कोरोनावैक के क्लिनिकल ​​टेस्ट के परिणामों ने मिश्रित तस्वीर पेश की है.

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अन्य प्रमुख चीनी कोविड-19 वैक्सीन की तरह, कोरोनावैक एक निष्क्रिय टीका है. इसका मतलब है कि इसमें कोरोनावायरस के वह सभी संस्करण शामिल हैं जिनका इलाज किया गया है ताकि वह शरीर के अंदर अपनी संख्या बढ़ा न सकें. ये मृत वायरस हैं जिनके लिए शरीर एक इम्यून रिएक्शन तैयार करता है. यह मुख्य पश्चिमी टीकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले दृष्टिकोण से एकदम अलग है, जो इसके बजाय वैक्सीन के रूप में शरीर में कोरोनोवायरस की कुछ आनुवंशिक सामग्री डालता है ताकि इम्यून सिस्टम खुद को प्रशिक्षित करने के लिए कोरोनवायरस के विशिष्ट, पहचानने योग्य भागों का निर्माण कर सके. निष्क्रिय टीका पद्धति टीका डिजाइन करने का एक अधिक सुस्थापित तरीका है.

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निष्क्रिय टीकों का निर्माण आमतौर पर बड़े पैमाने पर करना आसान होता है और इनका सुरक्षा रिकॉर्ड बेहतरीन होता है. हालांकि, वह अन्य पद्धतियों का उपयोग करने वाले टीकों की तुलना में कमजोर इम्यून रिएक्शन उत्पन्न करते हैं. कुछ हद तक यह कोरोनावैक के तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षणों के परिणामों में सामने आया है, जो कई देशों में चलाए गए थे. ब्राजील में एक परीक्षण में, वैक्सीन ने 51% प्रभावकारिता के साथ लोगों में लक्षण वाले कोविड-19 को विकसित होने से रोका. इंडोनेशिया में एक अन्य परीक्षण में, टीके ने 65% प्रभावकारिता दिखाई. तुलनातमक रूप से, मॉडर्ना और फाइजर एमआरएनए टीकों की प्रभावकारिता उनके परीक्षणों में 90% से अधिक पाई गई.

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हालांकि कोरोनावैक ने इन परीक्षणों में कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती होने के खिलाफ बहुत उच्च सुरक्षा दिखाई, और बीमारी से मरने के खिलाफ लगभग 100% सुरक्षा दिखाई, और निष्कर्षों के आधार पर ही डब्ल्यूएचओ ने इसके उपयोग की सिफारिश की. तब से, तुर्की में एक और चरण 3 के परीक्षण के परिणाम प्रकाशित किए गए हैं, यह सुझाव देते हुए कि कोरोनावैक सुरक्षित है और इसकी प्रभावकारिता 83% है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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