मेडिकल के फील्ड में एक नई क्रांति आई है, जब अमेरिकी डॉक्टरों ने पहली बार एक शिशु के डीएनए को फिर से बनाया गया और उसकी जान बचाई. यह दुर्लभ आनुवंशिक विकार CPS1 की कमी से जुड़ा था जो शरीर में अमोनिया लेवल को कंट्रोल करने में असमर्थता पैदा करता है. इस विकार से पीड़ित बच्चों में 50 प्रतिशत मामलों में बचपन में ही मृत्यु का खतरा होता है. यह डिसऑर्डर दस लाख में से एक को प्रभावित करता है. यह बीमारी बचपन में ही 50 प्रतिशत मामलों में घातक होती है. इसका इलाज एडवांस जीन-संपादन तकनीक का उपयोग करके किया गया.
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जीन एडिटिंग तकनीक का उपयोग
इस उपचार में CRISPR-बेस्ड जीन री-राइट तकनीक का उपयोग किया गया, जिससे शिशु के लिवर की कोशिकाओं में आनुवंशिक त्रुटि को ठीक किया गया. इस प्रक्रिया के बाद, शिशु का शरीर जरूरी एंजाइम CPS1 का उत्पादन करने में सक्षम हो गया, जिससे अमोनिया का लेवल सामान्य हो गया.
चिकित्सा जगत में पहली बार
यह पहली बार हुआ है कि किसी शिशु के डीएनए को व्यक्तिगत रूप से री-राइट करके उसकी जान बचाई गई है. इस सफलता के पीछे डॉ. किरण मुसुनुरु और उनकी टीम का योगदान रहा, जिन्होंने इस अत्याधुनिक तकनीक को विकसित किया.
भविष्य की संभावनाएं
इस उपलब्धि से चिकित्सा जगत में नई संभावनाएं खुल गई हैं. अब वैज्ञानिक अन्य आनुवंशिक विकारों के इलाज के लिए इस तकनीक का उपयोग करने की संभावनाएं तलाश रहे हैं. हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि इस उपचार के लॉन्ग टर्म इफेक्ट्स को समझने के लिए अभी और शोध की जरूरत है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)