तीन साल के अध्ययन में पाया गया कि एट्रोपिन की कम डोज मायोपिया को दूर करने में मदद कर सकती है. अगर डेली यूज किया जाए तो एक दवा जो पुतलियों को फैलाने के लिए इस्तेमाल की जाती है, आई ग्लास प्रिसक्रिप्शन्स में बदलाव को सीमित करने और 6 से 10 साल की आयु के बच्चों में मायोपिया को रोकने के लिए प्लेसबो से बेहतर है. आंखों की रोशनी में सुधार की जरूरत के अलावा मायोपिया जीवन में बाद में रेटिना डिटेचमेंट, मैकुलर डिकंपोजिशन, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के जोखिम को बढ़ाता है और ज्यादातर करेक्टिव लेंस मायोपिया प्रोग्रेस को रोकने के लिए कुछ भी नहीं करते हैं.
कब्ज, एसिडिटी या ब्लोटिंग, पाचन से जुड़ी हर समस्या का समाधान हैं ये 3 योगासन
573 प्रतिभागियों के एक बड़े सैम्पल में दवाओं की सुरक्षा का आकलन किया गया था जिसमें 3 साल से कम उम्र के बच्चे और 16 साल तक के बच्चे भी शामिल थे. सबसे आम दुष्प्रभाव लाइट को लेकर सेंसिटिव, एलर्जी, आंखों में जलन, फैली हुई पुतलियां और धुंधली आंखों की रोशनी थे, हालांकि इन दुष्प्रभावों की रिपोर्ट बहुत कम थी.
शोधकर्ताओं ने नोट किया कि ऑफ-लेबल कम-खुराक एट्रोपिन जो वर्तमान में कंपाउंडिंग फार्मेसियों से लिया जा सकता है. ये प्रीजरवेटिव्स हो सकते हैं जो ड्राई आई और कॉर्नियल जलन पैदा कर सकते हैं.
CHAMP टेस्ट में अध्ययन किए गए पाइलट प्रोडक्ट का निर्माण न्यू जर्सी डेवलपमेंट स्टेज बायोफार्मास्यूटिकल कंपनी Vyluma द्वारा किया गया है, जो आंख की रेफरेक्टिव एरर्स के लिए फार्मास्युटिकल ट्रीटमेंट पर फोकस्ड है.