What is Eye Cancer (Aankh ka Cancer): आंखों में कैंसर बहुत ही रेयर होता है, लेकिन अगर समय पर इसकी पहचान न हो तो यह दूसरी जगहों तक फैल सकता है. आंख के अंदर यानी आईबॉल या फिर उसके आस-पास की स्ट्रक्चर्स जैसे पलकें या टियर डक्ट्स में कैंसर (Aankh ka Cancer) शुरू हो सकता है. इसके सबसे कॉमन टाइप uveal melanoma और retinoblastoma होते हैं. इनमें से पहला मिड आई यानी uvea में होता है, जबकि दूसरा आमतौर पर छोटे बच्चों में देखने को मिलता है.
जानिए क्या हैं आई कैंसर के लक्षण, इसके प्रकार और कैसे बच सकते हैं आप | Eye Cancer: Symptoms, Types & Treatment
क्या होता है आई कैंसर (what is eye cancer)
आई कैंसर का मतलब है ऐसे सेल्स का बनना जो कंट्रोल से बाहर हो जाते हैं और ट्यूमर बना लेते हैं. ये ट्यूमर benign भी हो सकते हैं और malignant भी. Malignant Tumors बढ़ सकते हैं और शरीर के बाकी हिस्सों में फैल सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि इसका जल्द से जल्द पता चल जाए.
आई कैंसर के प्रकार (Types of Eye Cancer)
Intraocular melanoma: ये मेलानोसाइट्स नाम के सेल्स से शुरू होता है. इसमें तीन टाइप होते हैं — Iris Melanoma, Ciliary Body Melanoma, और Choroidal Melanoma. इनमें Choroidal Melanoma सबसे ज्यादा कॉमन है.
Conjunctival Melanoma: ये आंख की बाहरी लेयर में होता है और बहुत ही रेयर होता है.
Eyelid और Orbital Cancer: ये आंख के आसपास के टिशूज़ और मसल्स में होते हैं. कॉमन टाइप्स में squamous cell carcinoma, basal cell carcinoma और rhabdomyosarcoma शामिल हैं.
Retinoblastoma: ये बच्चों में होने वाला एक मैलिग्नेंट ट्यूमर है जो रेटिना से शुरू होता है.
Intraocular lymphoma: ये बी-सेल lymphoma का एक रेयर फॉर्म है जो ज्यादातर बुजुर्गों या कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में होता है.
कितना कॉमन है आई कैंसर
आई कैंसर बहुत रेयर होता है. अमेरिका में हर साल करीब 3,400 केस सामने आते हैं. इनमें सबसे ज्याद केस intraocular melanoma के होते है, जो हर साल लगभग 2,500 लोगों को होता है.
आई कैंसर के लक्षण (Symptoms of Eye Cancer)
शुरुआत में लक्षण बहुत कम या न के बराबर होते हैं. लेकिन अगर ट्यूमर आंख के कामकाज में रुकावट डालता है तो लक्षण दिख सकते हैं:
- बिना दर्द के विज़न लॉस
- धुंधली नज़र आना
- आंखों में फ्लैश या फ्लोटर्स दिखना
- आंख बाहर की तरफ निकली हुई लगना
- पलक या आईबॉल पर गांठ बनना
- आईरिस पर डार्क स्पॉट दिखना जो धीरे-धीरे बढ़े
- आंख की मूवमेंट में बदलाव
पहली बार कैसे पता चलता है : ज्यादातर लोगों को तब पता चलता है जब कोई ऑप्टोमेट्रिस्ट या आई स्पेशलिस्ट आंख की रेगुलर जांच के दौरान कुछ अनयूज़ुअल नोटिस करता है, जैसे कि डार्क स्पॉट या ब्लड वेसल्स का बढ़ना.
क्यों होता है आई कैंसर
जब हेल्दी सेल्स अचानक से अनकंट्रोल्ड तरीके से बढ़ने लगते हैं, तो वो ट्यूमर बना लेते हैं. ये सेल्स लिंफ नोड्स या ब्लड स्ट्रीम के जरिए शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैल सकते हैं. हालांकि अभी रिसर्चर्स पूरी तरह से नहीं जानते कि ये बदलाव क्यों होते हैं.
रिस्क फैक्टर्स
- उम्र 50 साल से ज्यादा होना
- गोरा रंग और हल्की आंखों का रंग (ब्लू या ग्रीन)
- जेनेटिक कंडीशन्स जैसे dysplastic nevus syndrome या BAP1 tumor predisposition syndrome
- UV rays के ज्यादा एक्सपोजर से भी रिस्क बढ़ सकता है
डायग्नोसिस कैसे होता है
आई एग्ज़ाम: स्पेशल टूल्स जैसे ophthalmoscope और slit lamp की मदद से डॉक्टर आंख का डीटेल में निरीक्षण करते हैं.
इमेजिंग टेस्ट्स: Ultrasound, fluorescein angiography, MRI, CT scan, PET scan के जरिए ट्यूमर का साइज और फैलाव देखा जाता है.
बायोप्सी: Fine needle aspiration, incisional या excisional biopsy से टिशू का सैंपल लेकर टेस्ट किया जाता है.
आई कैंसर के स्टेजेस
AJCC TNM System के हिसाब से स्टेज I से IV तक तय होती है.
COMS System ट्यूमर के साइज के बेस पर स्टेज बताता है. जैसे स्मॉल, मीडियम और लार्ज.
ट्रीटमेंट ऑप्शन्स
रेडिएशन थेरेपी: Brachytherapy: छोटे डिस्क के जरिए ट्यूमर को रेडिएशन दिया जाता है.
External beam radiation: बाहर से मशीन की मदद से रेडिएशन दिया जाता है.
सर्जरी:
Iridectomy, iridocyclectomy, transscleral resection: छोटे ट्यूमर के लिए.
Enucleation: आईबॉल को निकालना पड़ सकता है, खासकर अगर ट्यूमर बड़ा हो.
Orbital exenteration: आईबॉल के साथ-साथ आसपास के टिशूज़ को भी निकालना.
लेज़र थेरेपी: Transpupillary thermotherapy (TTT) से ट्यूमर को हीट से टारगेट किया जाता है.
इम्यूनोथेरेपी: खासतौर पर uveal melanoma के लिए tebentafusp जैसी दवाएं.
टारगेटेड थेरेपी: अगर BRAF gene mutation पाया जाता है तो कुछ दवाएं टारगेट करके ट्यूमर को खत्म करने में मदद कर सकती हैं.
कीमोथेरेपी: कम ही इस्तेमाल होती है, सिर्फ तब जब बाकी ट्रीटमेंट फेल हो जाएं.
साइड इफेक्ट्स
ट्रीटमेंट का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट विज़न लॉस हो सकता है. इसके अलावा ट्रीटमेंट की जगह और इंटेंसिटी पर डिपेंड करता है कि और कौन-कौन से साइड इफेक्ट हो सकते हैं.
रोकथाम
आई कैंसर को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता. लेकिन अगर किसी फैमिली में retinoblastoma या BAP1 syndrome जैसी कंडीशन्स हैं, तो रेगुलर आई एग्ज़ाम से इसे जल्दी पकड़ा जा सकता है.
प्रोग्नोसिस और सर्वाइवल रेट
छोटे या मीडियम साइज के ट्यूमर के लिए brachytherapy में 95% तक केसेज़ में ट्यूमर खत्म हो जाता है. अगर कैंसर सिर्फ आंख के अंदर है तो इलाज का सक्सेस रेट काफी अच्छा है. लेकिन अगर ये शरीर में फैल जाए तो हालात मुश्किल हो सकते हैं.
डॉक्टर से क्या पूछें?
- मेरा टाइप कौन-सा है?
- कौन-सी स्टेज है?
- कौन-सा ट्रीटमेंट बेस्ट होगा?
- क्या मेरा विज़न बच पाएगा?
- क्या कैंसर पूरी तरह से खत्म हो सकता है?
कुल मिलाकर आई कैंसर चाहे रेयर हो, लेकिन इसकी पहचान जल्दी हो जाए तो ट्रीटमेंट कामयाब हो सकता है. इसलिए रेगुलर आई एग्ज़ाम बेहद ज़रूरी हैं, खासतौर पर उन लोगों के लिए जो रिस्क ग्रुप में आते हैं. अपनी हेल्थ को लेकर सजग रहें और किसी भी बदलाव को नज़रअंदाज़ न करें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)