Stress In Pregnancy: एक अध्ययन में पाया गया है कि गर्भावस्था में महिलाओं में बहुत ज्यादा तनाव भ्रूण में भी जा सकता है और बाद में बच्चों में अवसाद और मोटापे का खतरा बढ़ सकता है. सेंट लुइस में वाशिंगटन विश्वविद्यालय और डार्टमाउथ कॉलेज के शोधकर्ताओं ने 46 माताओं और 40 बच्चों पर एक छोटा सा अध्ययन किया और पाया कि बच्चों के बालों में कोर्टिसोल लेवल एक लॉन्ग टर्म बायोमार्कर और मां के जन्मपूर्व अवसाद के बीच एक संबंध है. अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि बच्चे के लॉन्ग टर्म स्ट्रेस बॉडी साइंस पर गर्भ में अनुभव की जाने वाली स्थितियों का प्रभाव पड़ सकता है.
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कब इंटरवेंशन की जरूरत होती है?
सह-लेखिका थेरेसा गिल्डनर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बाल कोर्टिसोल, जो ब्लड टेस्ट की तुलना में कम आक्रामक है और लार टेस्ट की तुलना में ज्यादा उपयोगी है, लंबे समय तक संचयी कोर्टिसोल जोखिम का आकलन कर सकता है. गिल्डनर ने बताया, "मातृ तनाव के अपने बच्चों पर दीर्घकालिक प्रभाव और गर्भावस्था के दौरान ये प्रभाव खासतौर से कब साफ होते हैं, यह समझकर हम बेहतर तरीके से निर्धारित कर सकते हैं कि माता-पिता का सपोर्ट करने और तनाव कम करने के लिए इंटरवेंशन की सबसे ज्यादा जरूरत कब है."
शरीर की स्ट्रेस मैनेजमेंट सिस्टम, हाइपोथैलेमिक पिट्यूटरी एड्रेनल (एचपीए) अक्ष, स्ट्रेस के जवाब में कोर्टिसोल रिलीज करती है.
लॉन्ग टर्म स्ट्रेस के नुकसान:
लॉन्ग टर्म स्ट्रेस एचपीए-एक्जिस एक्टिविटी को रिस्ट्रिक्ट कर सकता है, जिससे कोर्टिसोल लेवल बढ़ सकता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. गर्भावस्था के दौरान, मां का हाई कोर्टिसोल भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है और ग्रोथ को प्रभावित कर सकता है.
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गिल्डनर ने कहा, "संतान के कोर्टिसोल लेवल में बदलाव संभावित रूप से फायदेमंद हो सकता है, जो संभवतः शुरुआती प्रतिकूलता के जवाब में जल्दी ग्रोथ की ओर ले जाता है", उन्होंने कहा कि इससे बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकती है.
इसमें "जन्म के समय कम वजन और जीवन में बाद में होने वाली समस्याएं, जैसे व्यवहार संबंधी समस्याओं का बढ़ना और कोर्टिसोल से जुड़ी स्वास्थ्य स्थितियों, जैसे अवसाद, चिंता, पाचन संबंधी समस्याएं और वजन बढ़ने का जोखिम शामिल है."
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