Dashahara 2023: विजयादशमी, जिसे हम दशहरा के रूप में जानते हैं, एक परंपरागत त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत को सिंबोलिज़ करता है. इस दिन कुछ प्राचीन परंपराएं फॉलो की जाती हैं, जैसे कि हनुमान जी को पान का बीड़ा चढ़ाना और उस पान को खाना, खासकर जब यह त्योहार मंगलवार को पड़ता है. बहुत से लोग दशहरे के दिन जलेबी खाने को भी शुभ मानते हैं. शायद आपके मन में यह सवाल आया होगा कि इस दिन पान क्यों खाया जाता है और दशहरे से जलेबी का क्या संबंध है. दशहरा 2023 के इस खास मौके के पीछे का महत्व क्या है? शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों के उत्सव के बाद आने वाला दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है. इस दिन, पान खाने और भगवान हनुमान को प्रसन्न करने का विशेष महत्व है, क्योंकि पान को विजय का प्रतीक माना जाता है.
इसे 'बीड़ा' के नाम से जाना जाता है, और इस दिन हम धर्मिक मार्ग पर चलने की शुरुआत के रूप में भी इसे महत्वपूर्ण मानते हैं. यह कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण को पराजित किया और देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया, इसके साथ ही धर्म और सत्य की रक्षा की थी. इस दिन प्रभु श्रीराम, देवी भगवती, मां लक्ष्मी, सरस्वती, श्री गणेश और हनुमान जी की पूजा भी आदर्शित की जाती है. इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि दशहरे के दिन पान खाया जाता है और जलेबी के साथ इसका क्या महत्व है.
क्यों खाते हैं दशहरे के दिन जलेबी | Why Do People Eat Jalebi On Dussehra?
जब भी आप दशहरे के दिन रावण दहन देखने जाते हैं, तो आपको यह दिखाई देता है कि आपके आस-पास अनेक जलेबी के स्टॉल होते हैं. आपने कभी सोचा है कि दशहरे के इस मौके पर लोग जलेबी क्यों खाते हैं और रावण दहन के बाद जलेबी लेकर घर क्यों जाते हैं? किसी कहानी के अनुसार, भगवान राम को बहुत पसंद थी एक प्रकार की मिठाई जिसे आजकल हम जलेबी के नाम से जानते हैं. इसी कारण, रावण के पराजय के बाद लोग जलेबी का स्वाद लेकर अपने घरों में आकर्षित होते हैं और खुशियों का स्वागत करते हैं. इस बार, क्यों ना आप दशहरे को एक और बेहतर तरीके से मनाएं और अपने घर पर ही स्वादिष्ट जलेबी बनाएं? हम आपको यहाँ एक सरल जलेबी बनाने की विधि बता रहे हैं.
इसे भी पढ़ें : Habits of 'SuperAgers': कौन होते हैं ‘सुपरएजर्स' और किन आदतों से रहते हैं लंबी उम्र तक जवां, छू नहीं पाता डिमेंशिया, जान लें सीक्रेट
दशहरे पर क्यों खाते हैं पान | Why Do Pan Eat On Dussehra
दशहरे के दिन, जब लोग पान खाते हैं, वे असत्य पर हुई सत्य की जीत की खुशी मनाते हैं, लेकिन इस बीड़े को रावण दहन से पूर्व हनुमान जी को चढ़ाया जाता है.
"बीड़ा" शब्द का भी अपना विशेष महत्व है, जो कर्म के माध्यम से बुराई के साथ अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है.
नवरात्रि के 9 दिनों तक उपवास करने से पाचन क्रिया पर असर पड़ता है, और पान भोजन पचाने में सहायक होता है.
दशहरे पर पान खाने का एक कारण यह भी है कि इस समय मौसम में परिवर्तन होता है, जिससे पान सेहत के लिए उपयोगी होता है.
दशहरे के दिन लोग पान खाकर सत्य की जीत पर आनंदित होते हैं और यह प्रण करते हैं कि वे सदैव सत्य का पालन करें. विशेषज्ञ यह समझते हैं कि पान के पत्ते मान और सम्मान का प्रतीक होते हैं, इसलिए इसका महत्व विभिन्न अवसरों पर महत्वपूर्ण होता है.
दशहरे के दिन पान खाने की परंपरा की तुलना चैत्र नवरात्र में मिश्री, नीम की पत्ती, और काली मिर्च का सेवन करने से की जाती है, क्योंकि इन तत्वों का सेवन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है. शारदीय नवरात्रि का समय भी ऋतु परिवर्तन का समय होता है, और इस समय संक्रमक बीमारियों का फैलने का खतरा अधिक होता है.
Dussehra image 2023: जलेबी केसरी या पीले रंग की एक पारंपरिक मिठाई है जिसे दशहरा पर घरों में बनाया जाता है.
केसरी जलेबी रेसिपी : जलेबी एक ऐसी मिठाई है, जो भारत में काफी मशहूर है. सर्दियों के मौसम में खाने के बाद अगर गर्मागर्म जलेबी मिल जाए तो बस मजा ही आ जाता है. जलेबी केसरी या पीले रंग की एक पारंपरिक मिठाई है जिसे दशहरा, दिवाली या अन्य खास अवसरों पर भारतीय घरों में बनाया जाता है. यह खाने में कुरकुरी होती है जिसकी वजह से सिर्फ बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी चाव से खाते हैं. अगर आप भी इस त्योहार के सीजन में घर पर जलेबी बनाना चाहते हैं तो हमारी यह रेसिपी आपके काम आ सकती है. आप जलेबी की रेसिपी यहां पढ़ सकते हैं
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)