बर्फीली जगह अकेले फंसे डॉक्टर को पेट में उठा तेज दर्द, तो खुद कर डाली अपनी अपेंडिक्स की सर्जरी

Appendix Surgery: ऑपरेशन करीब 2 घंटे चला. बीच-बीच में उन्हें बेहोशी जैसा महसूस हुआ, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने अपेंडिक्स को सफलतापूर्वक हटाया और खुद ही टांके लगाए.

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ऑपरेशन करीब 2 घंटे चला.

Doctor Removes Own Appendix: साल था 1961 में लियोनिद रोगोजोव एक 27 वर्षीय रूसी सर्जन ने अपनी सर्जरी खुद ही कर दी. दरअसल वह छठे सोवियत अंटार्कटिक अभियान का हिस्सा थे. वे नोवोलाजारेव्स्काया स्टेशन पर तैनात थे, जहां कुल 12 लोग मौजूद थे. यह स्टेशन पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कट चुका था, न कोई रास्ता, न कोई हेलिकॉप्टर और न ही कोई मेडिकल सहायता. जैसे ही ध्रुवीय सर्दी शुरू हुई, लियोनिद को थकान, कमजोरी, मिचली और पेट के दाहिने हिस्से में तेज दर्द महसूस होने लगा. एक अनुभवी डॉक्टर होने के नाते, उन्होंने तुरंत पहचान लिया यह एक्यूट अपेंडिसाइटिस है. अगर तुरंत ऑपरेशन नहीं हुआ, तो उनकी जान जा सकती थी.

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जब खुद को ऑपरेट करना पड़ा...

टीम में लियोनिद ही एकमात्र डॉक्टर थे. कोई दूसरा ऑपरेशन करने वाला नहीं था. उन्होंने फैसला लिया अपेंडिक्स का ऑपरेशन खुद ही करना होगा.

उन्होंने अपने साथियों को सहायक की भूमिका दी, एक ने उपकरण पकड़े, दूसरा आइना संभाले ताकि वे अपने पेट का अंदरूनी हिस्सा देख सकें. उन्होंने स्थानीय एनेस्थीसिया का इस्तेमाल किया और 20 मिनट में ऑपरेशन शुरू किया.

2 घंटे की सांस रोक देने वाली सर्जरी

ऑपरेशन करीब 2 घंटे चला. बीच-बीच में उन्हें बेहोशी जैसा महसूस हुआ, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने अपेंडिक्स को सफलतापूर्वक हटाया और खुद ही टांके लगाए. यह पूरी प्रक्रिया एक छोटे कमरे में, बर्फीले तापमान में हुई, जहां कोई आधुनिक सुविधा नहीं थी.

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मानसिक और शारीरिक साहस की मिसाल

लियोनिद का यह कदम सिर्फ मेडिकल नहीं, बल्कि मानव साहस और सेल्फ कंट्रोल की मिसाल बन गया. उन्होंने न केवल खुद को बचाया, बल्कि यह दिखाया कि असंभव परिस्थितियों में भी इंसान क्या कर सकता है.

उनकी यह कहानी दुनियाभर के मेडिकल स्कूलों में पढ़ाई जाती है. यह घटना सेल्फ-सर्जरी के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक है.

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क्या सीख मिलती है?

  • इमरजेंसी में निर्णय लेने की क्षमता जीवन बचा सकती है.
  • मानसिक दृढ़ता और शारीरिक सहनशीलता का मेल असाधारण परिणाम दे सकता है.
  • मेडिकल फील्ड में साहस और आत्म-विश्वास उतना ही जरूरी है जितना ज्ञान.

लियोनिद रोगोजोव की कहानी सिर्फ एक डॉक्टर की नहीं, बल्कि एक इंसान की जीने की इच्छा शक्ति की है. जब जीवन और मृत्यु के बीच सिर्फ एक चाकू और आत्म-विश्वास था, तब उन्होंने वो कर दिखाया जो आज भी दुनिया को हैरान करता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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