भारत में 4 लाख के पार पहुंच चुके रोजाना दर्ज होने वाले कोविड के मामले अब गिरकर 3.29 लाख के आंकड़ों के पास आ गए हैं. हालांकि, ये आंकड़े अब भी बहुत भयावह हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों में सबसे कम मामले मंगलवाल को ही आए हैं. कोविड-19 से उभरने की जद्दोजदह के बीच अब रिकवरी करने वाले मरीजों के लिए एक और परेशानी खड़ी हो गई है. भारत में कोविड-19 से रिकवरी करने वाले रोगियों में घातक और दुर्लभ कवक संक्रमण देखने को मिल रहा है. म्यूकोरमाइकोसिस, जिसे भारत में डॉक्टरों द्वारा "ब्लैक फंगस" कहा गया है. कई मरीजों को स्टेरोइड देकर बचाया जा रहा है. ऐसे स्टेरोइड के हैवी डोज से कई मरीजों को ‘म्यूकोरमाइकोसिस' यानी ‘ब्लैक फ़ंगस' नाम की बीमारी भी हो रही है. यह आमतौर पर उन रोगियों में सबसे अधिक आक्रामक होता है जिनकी इम्यूनिटी प्रणाली अन्य संक्रमणों से कमजोर होती है.
कोविड के बाद 'ब्लैक फंगस' का खतरा, जानें कितनी घातक है यह बीमारी
चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि उन्होंने हाल के हफ्तों में भारत में ब्लैक फंगस के मामलों में वृद्धि देखी है. इस बीमारी में में कुछ गम्भीर मरीजों को बचाने के लिए उनकी आंखें निकालनी पड़ रही है. नितिन शिंदे को भी इस बीमारी से अपनी एक आंख गवांनी पड़ी. यह बीमारी नाक से शुरू होती है, आंख और दिमाग तक फैलती है. मुंबई में बीएमसी के बड़े अस्पताल ‘सायन' ने बीते डेढ़ महीने में ब्लैक फंगस के 30 मरीज देखे हैं. जिनमें 6 की मौत हुई है और 11 मरीजों की एक आंख निकालनी पड़ी. एक्सपर्ट्स बताते हैं की फंगस 2-3 दिन नाक में रहता है और फिर आंख की ओर बढ़ता है.
ब्लैक फंगस की वजह से नितिन शिंदे की आंख निकालनी पड़ी
कोविड से जंग जीत चुके 44 साल के नितिन शिंदे अब ब्लैक फंगस से जंग लड़ रहे हैं. उन्हें म्युकॉर्मायकोसिस के कारण अपनी आंख गंवानी पड़ी. नितिन की पत्नी ने बताया कि वह पति को हुई तकलीफ के दूसरे दिन से लेकर अस्पताल के चक्कर काट रही थी. लेकिन संक्रमण बढ़ने के कारण एक आंख निकालनी पड़ी. नितिन की पत्नी सूर्या शिंदे ने बताया कि वह पहले और दूसरे दिन से ही पति को लेकर दौड़ रही हैं. इसके बावजूद नितिन के नाक मुंह से खून निकलना शुरू हो गया था.
अहमदाबाद स्थित संक्रामक रोग विशेषज्ञ अतुल पटेल, राज्य कोविड-19 टास्कफोर्स के सदस्य, एएफपी को बताया, "कोविद-19 रोगियों के पोस्ट-रिकवरी में श्लेष्मा संक्रमण के मामले महामारी से पहले की तुलना में लगभग चार से पांच गुना अधिक हैं."
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पश्चिमी राज्य ने सरकारी अस्पतालों को मामलों में वृद्धि के बीच "ब्लैक फंगस" से संक्रमित रोगियों के लिए अलग से उपचार वार्ड स्थापित करने का आदेश दिया. इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR), जो कि सरकार की प्रतिक्रिया का नेतृत्व कर रहा है, ट्विटर पर जारी एक ट्रीटमेंट चार्ट में कहा गया है, "म्यूकोर्माइकोसिस यह घातक हो सकता है."
कोविड-19 पीड़ितों में फंगल संक्रमण के संकुचन की आशंका अधिक होती है, जिनमें अनियंत्रित डायबिटीज वाले लोग शामिल हैं, जो कोविड-19 के उपचार के दौरान स्टेरॉयड का उपयोग करते हैं, और जो लंबे समय तक अस्पताल के आईसीयू में रहते हैं, आईसीआईसीआर ने कहा. उपचार में सर्जिकल रूप से सभी मृत और संक्रमित ऊतक को निकालना और एंटी-फंगल थेरेपी का एक कोर्स शामिल है.
(इनपुट्स- एएफपी)
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