ब्रेन ट्यूमर (Brain tumor) अगर समय पर डायग्नोज हो जाता है तो इसका इलाज बेहतर तरीके से किया जा सकता है. दरअसल शुरुआत में ट्यूमर छोटा होता है और उसका ग्रोथ रेट भी कम होता है जिससे शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलने का खतरा कम होता है, और इलाज करना आसान हो जाता है. क्या आई टेस्ट से भी ब्रेन ट्यूमर का पता लगाया जा सकता है, ये जानने के लिए NDTV ने बात कि डॉ अजय चौधरी (Ajay Chaudhary) से, चलिए जानते हैं, उन्होंने क्या जवाब दिया.
आंखों की जांच से ब्रेन ट्यूमर का पता- (Detection of brain tumor through eye test)
डॉ अजय चौधरी ने कहा कि आंखों की जांच से कभी-कभी ब्रेन ट्यूमर का पता लगाया जा सकता है. क्योंकि आंख में हम लोग फंक्शन जानने के लिए डिफरेंट टेस्ट करते हैं. ऑप्थाल्मोस्कोपी एक आई टेस्ट होता है जिसे फंडस एग्जामिनेशन भी कहते है जिससे हम रेटिना में ऑप्टिक डिस्क को देख कर के अंदाजा लगा लेते हैं कि ब्रेन के अंदर प्रेशर ज्यादा है और उसके लक्षण आंख के अंदर आ रहे हैं. उसके बाद विजुअल एक्युटी (Visual Acuity), कलर विजन (Color Vision) इन सब टेस्ट को करने से ट्यूमर का आईडिया लग जाता है.
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उसके अलावा तीन नर्व होती हैं, जो आई बॉल के मूवमेंट के लिए रिस्पांसिबल यानी जिम्मेदार होती हैं. अगर ब्रेन में कोई गांठ है या मास इफेक्ट होता है तो उसकी वजह से आई बॉल के मूवमेंट रेस्ट्रिक्शन से आ जाते हैं. मरीज का डबल विजन हो जाता है. कई बार पेशेंट हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि मुझे हर चीज दो दिखाई दे रही हैं. ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. इस कंडीशन को सीरियसली लेना चाहिए.
उन्होंने समझाते हुए कहा कि कई बार आंखों की जांच के दौरान, डॉक्टर ऑप्टिक डिस्क की सूजन या ऑप्टिक डिस्क पर दबाव देखकर ब्रेन में ट्यूमर की पहचान कर सकते हैं. लेकिन, यह याद रखना जरूरी है कि आंखों की जांच से हमेशा ब्रेन ट्यूमर की पहचान नहीं की जा सकती है.
ब्रेन ट्यूमर को कैसे करते हैं डायग्नोस? (How to Diagnose a Brain Tumor?)
डॉ अजय ने कहा कि ब्रेन ट्यूमर के सटीक डायग्नोज के लिए, डॉक्टर आमतौर पर इमेजिंग (जैसे MRI या सीटी स्कैन) स्पेशली MRI करते हैं क्योंकि सीटी स्कैन में रेडिएशन होता है, तो उसको अवॉइड करना चाहिए. लेकिन इमरजेंसी में करना पड़ जाता है क्योंकि जब इमरजेंसी में मरीज आता है तो एडवांस सिटी स्कैनर के चलते आजकल सीटी स्कैन 30 सेकंड में हो जाता है. जबकि MRI में 10 से 15 मिनट का टाइम तो लग ही जाता है.
सीटी स्कैन सेकंड में हो जाता है तो उससे आईडिया लग जाता है कि पेशेंट को इमीडिएट हेल्प की जरूरत है या नहीं लेकिन डेफिनेट डायग्नोसिस MRI इमेजिंग से ही होता है और इसमें हमें डिटेल इंफॉर्मेशन मिलती है.
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