अस्थमा के लिए कौन सा टेस्ट होता है? एक्सपर्ट से जानिए दमा की जांच से जुड़ी डिटेल्स

Asthma: कई बार लोग अस्थमा के शुरुआती लक्षणों को आम दिक्कत समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. इससे अस्थमा के बढ़ने और जटिल बीमारी में बदलने की आशंका बढ़ जाती है. इसलिए अस्थमा का शक होने पर फौरन इसकी जांच करवानी चाहिए.

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अस्थमा के लिए होते हैं कौन से जांच, जानिए

Asthma Diagnosis and Test:  देश और दुनिया भर में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को अपनी चपेट में लेने वाली खतरनाक बीमारियों में से एक है अस्थमा. तेजी से बदलते वातावरण और चारों ओर लगातार बढ़ते प्रदूषण ने लोगों के बीच अस्थमा का खतरा और बढ़ा दिया है. लाइफस्टाइल (Lifestyle) के बिगड़ते बैलेंस की वजह से भी सांसों से जुड़ी इस बीमारी के केस रिकॉर्ड संख्या में सामने आ रहा है. कई बार लोग अस्थमा के शुरुआती लक्षणों (Signs of Asthma) को आम दिक्कत समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. इससे अस्थमा के बढ़ने और जटिल बीमारी में बदलने की आशंका बढ़ जाती है. इसलिए अस्थमा का शक होने पर फौरन इसकी जांच करवानी चाहिए.

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अस्थमा के शुरुआती लक्षणों को इग्नोर न करें

अस्थमा के विशेषज्ञ और इन दिनों एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, फरीदाबाद के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर मानव मनचंदा ने बताया कि कई बार शुरुआती लक्षण इतने नॉर्मल होते हैं कि लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं. इससे केस के बिगड़ने के चांसेज होते हैं. इसलिए अस्थमा के शुरुआती लक्षण दिखने पर तुरंत नजदीकी डॉक्टर के पास जाकर उनकी सलाह से टेस्ट करवाना चाहिए और कंफर्म होने पर फौरन जरूरी इलाज शुरू करवाना चाहिए.

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अस्थमा के लिए कौन सा टेस्ट होता है?

डॉक्टर मानव मनचंदा अस्थमा के लिए किए जाने वाले टेस्ट के बारे में बताया कि मेडिकल साइंस में अस्थमा को डायग्नोसिस करने के लिए कई सारे टेस्ट हैं. इनसे पता चलता है कि किसी मरीज को हो रही दिक्कत अस्थमा है या नहीं है या कोई दूसरा इंफेक्शन है. डॉ मनचंदा ने कहा कि सबसे पहले तो मरीज की मेडिकल हिस्ट्री देखी जाती है. उसके बाद पीड़ित का फिजिकल एग्जामिनेशन किया जाता है. इसके लिए पीड़ित के चेस्ट पर स्टेथोस्कोप लगाकर चेक किया जाता है. इसमें व्हीजिंग सुनाई देने पर अस्थमा की पॉसिबलिटी होती है.

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कंफर्म करने के लिए पल्मनरी फंक्शन टेस्ट

डॉ मानव मनचंदा ने बताया कि इसको कंफर्म करने के लिए पल्मनरी फंक्शन टेस्ट (पीक फ्लो मीटर) किया जाता है. इसमें मरीज को एक मशीन में फूंक मारने कहा जाता है. इससे लंग्स की ताकत का टेस्ट किया जाता है. इससे पता चलता है कि मरीज को अस्थमा है या कोई और दिक्कत है. इसके बाद कुछ स्पेशल टेस्ट भी किए जाते हैं. जरूरत महसूस होने पर मरीज का एलर्जी का टेस्ट किया जाता है. इसके बाद एक्स रे और सीटी स्कैन भी जरूरत के हिसाब किया जाता है. इससे डायग्नोस होता है कि पीड़ित को अस्थमा है या नहीं. टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर फिर आगे मरीज का ट्रीटमेंट किया जाता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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