क्या वायर्ड ईयरफोन ब्लूटूथ से भी ज्यादा खतरनाक हैं? ईयरफोन से सुनने की समस्याओं का खतरा, स्टडी में खुलासा

Earphones Hearing Damage: वायर्ड ईयरफोन को लंबे समय तक कानों में लगाए रखने से कानों की नसों पर दबाव पड़ता है. इससे कान में दर्द, सूजन और गर्मी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. अगर ईयरफ़ोन साफ नहीं हैं, तो बैक्टीरिया के कारण संक्रमण भी हो सकता है.

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Earphones Hearing Damage: ईयरफोन की समस्याएं सिर्फ सुनने की समस्याओं तक ही सीमित नहीं हैं.

Earphones Hearing Damage: आजकल ईयरफोन का इस्तेमाल हर उम्र के लोग करते हैं, चाहे म्यूजिक सुनना हो, कॉल पर बात करनी हो या ऑनलाइन मीटिंग्स में शामिल होना हो. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये छोटे से डिवाइस आपकी सेहत पर कितना असर डाल सकते हैं? हाल ही में हुए कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि ईयरफ़ोन का ज्यादा इस्तेमाल सुनने की क्षमता, मानसिक स्वास्थ्य और कानों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है.

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओटोरहिनोलैरिंगोलॉजी एंड हेड एंड नेक सर्जरी में प्रकाशित एक अध्ययन ने लंबे समय तक ईयरफोन के इस्तेमाल के प्रभावों का खुलासा किया. शोधकर्ताओं ने 18 से 26 साल की आयु के मेडिकल छात्रों के बीच ईयरफोन के इस्तेमाल का अध्ययन किया और उनमें से ज्यादातर ने गंभीर श्रवण संबंधी शिकायतें बताईं, लगभग 89.3 प्रतिशत प्रतिभागियों ने जिनमें कान में दर्द, खुजली और कान में मैल जमा होने से लेकर सुनने में बदलाव और कानों में बजने (टिनिटस) जैसी समस्याएं शामिल थीं. उन्हें इनमें से कम से कम एक समस्या थी.

ईयरफोन की समस्याएं सिर्फ सुनने की समस्याओं तक ही सीमित नहीं हैं. अध्ययन में बताया गया है कि 68 प्रतिशत लोगों को सिरदर्द हुआ, जबकि कुछ लोगों ने ब्लड प्रेशर में बदलाव की शिकायत की. जो लोग तेज आवाज में सुनते हैं, उन्हें लंबे समय तक सिरदर्द का अनुभव होता है. यहां भी वायर्ड ईयरफोन इस्तेमाल करने वालों में यह समस्या ज़्यादा आम है.

इसके अलावा, फिजिकल प्रोब्लम्स के अलावा, लगातार ईयरफोन इस्तेमाल करने से एकाग्रता, याददाश्त और स्लीप क्वालिटी भी कम हो जाती है.

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क्या वायर्ड ईयरफोन ब्लूटूथ से ज्यादा खतरनाक हैं?

वायर्ड ईयरफोन को लंबे समय तक कानों में लगाए रखने से कानों की नसों पर दबाव पड़ता है. इससे कान में दर्द, सूजन और गर्मी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. अगर ईयरफ़ोन साफ नहीं हैं, तो बैक्टीरिया के कारण संक्रमण भी हो सकता है.

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इसके अलावा, वायर्ड ईयरफोन अक्सर कान के अंदर गहराई तक जाते हैं, जिससे हियरिंग सेल्स पर वाइब्रेशन का असर पड़ता है और धीरे-धीरे सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है.

ब्लूटूथ ईयरफोन: रेडिएशन की समस्या

ब्लूटूथ ईयरफोन से जुड़ी सबसे बड़ी चिंता है रेडियोफ्रीक्वेंसी रेडिएशन (RFR). हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्लूटूथ डिवाइस से निकलने वाली रेडिएशन की मात्रा बहुत कम होती है और यह सेल फोन की तुलना में 10 से 400 गुना कम होती है.

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अब तक के अध्ययनों में यह साबित नहीं हुआ है कि ब्लूटूथ ईयरफोन से कैंसर या गंभीर बीमारी होती है. फिर भी, कुछ एक्सपर्ट इसे संभावित कैंसरजनक मानते हैं और बच्चों या गर्भवती महिलाओं को सतर्क रहने की सलाह देते हैं.

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दोनों के सामान्य खतरे

चाहे वायर्ड हो या ब्लूटूथ, दोनों ईयरफ़ोन के ज्यादा इस्तेमाल से ये समस्याएं हो सकती हैं:

  • बहरेपन का खतरा
  • सिरदर्द और माइग्रेन
  • एकाग्रता में कमी
  • टिनिटस (कानों में घंटी बजने की आवाज)
  • नींद की परेशानी
  • बचाव के आसान उपाय

60/60 नियम अपनाएं: 60 मिनट से ज्यादा लगातार न सुनें और वॉल्यूम 60 प्रतिशत से ऊपर न रखें.

  • ईयरफोन को साफ रखें
  • सोते समय ईयरफ़ोन न लगाएं
  • हर घंटे कानों को आराम दें
  • ओवर-इयर हेडफोन का विकल्प चुनें

वायर्ड और ब्लूटूथ दोनों ईयरफोन के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं. वायर्ड ईयरफोन से फिजिकल दबाव और संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, जबकि ब्लूटूथ में रेडिएशन को लेकर चिंता है. लेकिन, सबसे बड़ा खतरा है तेज आवाज और लंबे समय तक इस्तेमाल. अगर आप स्मार्ट तरीके से इनका इस्तेमाल करें, तो आप कानों की सेहत को सुरक्षित रख सकते हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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