एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस 2050 तक इलाज को बना सकता है ढाई गुना महंगा, जानें कारण और क्या है Antibiotic Resistance

Antibiotic Resistance: शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर अब भी ध्यान नहीं दिया गया, तो 2050 तक दुनियाभर में 3.85 करोड़ से ज्यादा मौतें एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के कारण होंगी. वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है. जानिए क्या है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस.

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Antibiotic Resistance: जो दवाएं कभी जीवन बचाती थीं, हमारे लिए खतरा बनती जा रही हैं.

Drug Resistant Infections: एंटीबायोटिक दवाएं एक समय पर चमत्कारी इलाज का साधन मानी जाती थीं. जब भी शरीर में कोई बैक्टीरियल संक्रमण होता था, डॉक्टर बिना देरी किए एंटीबायोटिक दवाएं लिख देते थे. लेकिन, अब यही दवाएं, जो कभी जीवन बचाती थीं, हमारे लिए खतरा बनती जा रही हैं. इसका कारण है, एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस यानी दवाओं पर बैक्टीरिया का असर ना होना. एक ताजा अध्ययन के अनुसार, अगर यही स्थिति बनी रही, तो साल 2050 तक इलाज की लागत मौजूदा 66 अरब डॉलर (लगभग 5.5 लाख करोड़ रुपये) से बढ़कर 159 अरब डॉलर (लगभग 13.3 लाख करोड़ रुपये) प्रति वर्ष तक पहुंच सकती है. यह केवल एक आर्थिक मुद्दा नहीं है, बल्कि एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट भी है.

क्या है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस? (What Is Antibiotic Resistance?)

जब कोई बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवा के असर को झेलने और उससे बच निकलने की क्षमता विकसित कर लेता है, तो इसे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस कहा जाता है. ऐसे बैक्टीरिया को आम भाषा में "सुपरबग" कहा जाता है क्योंकि इन पर सामान्य दवाएं बेअसर हो जाती हैं.

इसका मतलब यह है कि जिन बीमारियों को पहले कुछ दिनों में ठीक किया जा सकता था, अब उन्हें ठीक करने में ज्यादा समय, ज्यादा पैसा और कभी-कभी तो जिंदगी भी दांव पर लग जाती है.

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एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस क्यों बढ़ रहा है?

दवाओं का गलत इस्तेमाल: लोग बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक ले लेते हैं या थोड़े आराम मिलते ही दवा लेना बंद कर देते हैं.
जरूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक का उपयोग: कई बार मामूली सर्दी-जुकाम या वायरल में भी डॉक्टर एंटीबायोटिक दे देते हैं, जबकि ये वायरल बीमारियों पर असर नहीं करतीं.
पशुपालन और कृषि में इस्तेमाल: मांस और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए जानवरों को एंटीबायोटिक दी जाती है, जो मानव शरीर में भी पहुंच जाती है.
गंदगी और स्वच्छता की कमी: संक्रमित व्यक्ति से संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ जाती है और ज्यादा लोग दवा लेने लगते हैं.

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स्टडी में क्या सामने आया?

सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट के एक नए अध्ययन में यह चिंता जताई गई है कि अगर एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो 2050 तक इलाज की लागत मौजूदा लागत से करीब ढाई गुना ज्यादा हो सकती है. इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के डेटा के अनुसार, एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से होने वाली मौतों की संख्या 60 प्रतिशत तक बढ़ सकती है. साल 2025 से 2050 के बीच लगभग 3.85 करोड़ लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं.

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यह समस्या खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों (जैसे भारत, बांग्लादेश, अफ्रीका के देश) में ज्यादा गंभीर होगी, जहां स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं और एंटीबायोटिक का कंट्रोल नहीं है.

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क्यों बढ़ेगा इलाज का खर्च?

लंबे समय तक अस्पताल में रहना: दवाएं असर नहीं करेंगी, तो मरीजों को ठीक होने में ज्यादा समय लगेगा.
मंहगी दवाओं का उपयोग: जब सामान्य दवाएं बेअसर हो जाएं, तो नई और खास दवाएं दी जाती हैं जो बहुत महंगी होती हैं.
सर्जरी और गंभीर संक्रमणों में जोखिम: ऑपरेशन, डिलीवरी, कैंसर ट्रीटमेंट जैसी चीजों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा और उनका इलाज और जटिल हो जाएगा.
कामकाजी दिनों का नुकसान: व्यक्ति लंबे समय तक काम पर नहीं जा सकेगा जिससे परिवार की आय पर असर पड़ेगा.

गंभीर असर कम आय वाले देशों पर

अध्ययन के अनुसार, एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से सबसे ज्यादा असर गांवों, छोटे शहरों और आर्थिक रूप से कमजोर तबकों पर पड़ेगा क्योंकि:

  • उनके पास इलाज के लिए संसाधन नहीं होते.
  • जागरूकता की कमी होती है.
  • प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर होती हैं.
  • लोग आसानी से मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदकर खा लेते हैं.

समस्या का समाधान क्या है?

  • दवाओं का जिम्मेदारी से इस्तेमाल
  • बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं न लें.
  • पूरा कोर्स पूरा करें, भले ही आराम मिल जाए.
  • वायरल बुखार में एंटीबायोटिक का सेवन न करें.
  • डॉक्टरों और फार्मेसियों की जिम्मेदारी
  • बिना पर्ची के एंटीबायोटिक ना दी जाए.
  • डॉक्टर सोच-समझकर दवा लिखें, मरीज की हालत देखकर.

सरकारी और वैश्विक स्तर पर क्या करना चाहिए?

  • नई एंटीबायोटिक दवाओं पर रिसर्च को बढ़ावा दिया जाए.
  • अस्पतालों में संक्रमण रोकने के नियम सख्ती से लागू हों.
  • एंटीबायोटिक के दुरुपयोग को रोकने के लिए कानून बनाए जाएं.
  • जन जागरूकता
  • टीवी, इंटरनेट, स्कूलों और गांवों में जागरूकता अभियान चलाया जाए.
  • लोगों को बताया जाए कि दवाओं का दुरुपयोग जानलेवा हो सकता है.

अगर अभी कदम नहीं उठाए तो क्या होगा?

शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर अब भी ध्यान नहीं दिया गया, तो 2050 तक दुनियाभर में 3.85 करोड़ से ज्यादा मौतें एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के कारण होंगी. वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है. हेल्थ बजट का बड़ा हिस्सा केवल संक्रमण से लड़ने में खर्च हो जाएगा. 2.22 करोड़ लोगों की जान बच सकती है, अगर समय रहते सही कदम उठाए जाएं.

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस एक धीमा जहर है जो हमारी आंखों के सामने फैल रहा है, लेकिन हम उसकी अनदेखी कर रहे हैं. ये केवल डॉक्टरों या सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह दवाओं का उपयोग सोच-समझकर करे.

अगर हम अब जाग गए, तो भविष्य सुरक्षित है. वरना एक ऐसा समय आ सकता है जब छोटी-छोटी बीमारियां भी जानलेवा बन जाएंगी. दवाएं जो आज हमें बचा रही हैं, कल हमारे किसी काम की नहीं रहेंगी.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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