अनुमान के अनुसार दुनिया में डिमेंशिया (Dementia) के रोगियों की संख्या लाखों में है और यह संख्या हर दिन बढ़ रही है. डॉक्टर कस्टमाइज ट्रीटमेंट के लिए सलाह दे रहे हैं क्योंकि बहुत सारे अलग-अलग कॉम्पोनेंट हैं जो अल्जाइमर के जोखिम (Alzheimer's Risk) को बढ़ा सकते हैं. यूमेथोड हेल्थ नाम की एक अमेरिकी कंपनी ने एक नई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक बनाई है जो डॉक्टरों के लिए बेहद मददगार होगी.
नॉर्थ कैरोलिना की एक कंपनी ने डॉक्टरों को मरीजों के लिए इंडिविजुअल केयर प्लान बनाने में मदद करने के लिए रिस्टोरयू नामक एक एआई टूल बनाया है.
रिस्टोरयू को डिमेंशिया के ट्रीटेबल कारणों की पहचान करने और इंडिविजुअल रोगियों के लिए ट्रीटमेंट प्रोग्राम डेवलप करने में डॉक्टरों की सहायता के लिए डिजाइन किया गया है.
किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा?
ऐसे रोगी जो हल्के कॉग्नेटिव लॉस का अनुभव कर रहे हैं और डिमेंशिया के अर्ली स्टेज में हैं, उन्हें इस टूल से सबसे अधिक लाभ होता है.
फॉक्स न्यूज डिजिटल के साथ एक इंटरव्यू में, यूमेथोड हेल्थ के को- फाउंडर और सीईओ विक चंद्रा ने कहा, "डिमेंशिया एक जटिल बीमारी है." इसका मतलब है कि कई आंतरिक कारण हैं जो रोगी को समय के साथ डिमेंशिया विकसित करने के लिए प्रेरित करते हैं."
"इसका काम डॉक्टर को रोगी की बीमारी को डायग्नोस करने में मदद करना नहीं है, बल्कि डॉक्टरस को ट्रीटेबल कारणों का आकलन करने में मदद करना है और फिर रोगी को सही ट्रीटमेंट पर रखना है" उन्होंने समझाया.
"यह केयर में सुधार के बारे में है," उन्होंने कहा, "यह ये देखने के बारे में नहीं है कि रोगी को डिमेंशिया है या नहीं, बल्कि यह उस रोगी के कॉग्नेटिव हेल्थ की मदद करने के लिए क्या करना है उस पर काम करता है."
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अल्जाइमर डिजीज इंटरनेशनल (ADI) के अनुसार, "दुनिया में हर 3 सेकंड में किसी को डिमेंशिया हो जाता है. दुनिया भर में 55 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं. यह संख्या हर 20 साल में लगभग दोगुनी हो जाएगी, 2030 में 78 मिलियन और 2050 में 139 मिलियन तक पहुंच जाएगी."
"पहले से ही डिमेंशिया से पीड़ित 60 प्रतिशत लोग लो और मीडियम आय वाले देशों में रहते हैं, लेकिन 2050 तक यह बढ़कर 71 प्रतिशत हो जाएगा. बुजुर्ग आबादी में सबसे तेज वढ़ोत्तरी चीन, भारत और दक्षिण एशियाई और पश्चिमी देशों में हो रही है."