एक अध्ययन में पाया गया है कि शराब की लत को प्रभावित करने वाले हार्मोनल और जैव रासायनिक कारक बताते हैं कि शराब की समस्या वाले पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग इलाज की जरूरत होती है. हालांकि यह पहले से ही ज्ञात है कि पुरुषों और महिलाओं में शराब के दुरुपयोग और संबंधित समस्याओं से जुड़े जोखिम अलग-अलग हैं, लेकिन उन अंतरों के पीछे के जैविक तंत्र को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है. मिनेसोटा (अमेरिका) के रोचेस्टर में मेयो क्लिनिक में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता विक्टर कार्प्याक ने कहा, "यह इस बात की पुष्टि करने वाला पहला बड़ा अध्ययन है कि शराब के सेवन से जुड़े विकार (एयूडी) और संबंधित समस्याओं में कुछ भिन्नता पुरुषों और महिलाओं में हार्मोन और केमिकल बायोमार्कर के कॉम्बिनेशन्स से जुड़ी है."
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जेंडर स्पेसिफिक ट्रीटमेंट को कस्टमाइज करना जरूरी
कार्प्याक ने कहा कि इसका मतलब है कि "शराब की समस्या वाले पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रतिक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए जेंडर स्पेसिफिक ट्रीटमेंट को कस्टमाइज किया जा सकता है." शोधकर्ताओं ने एयूडी से पीड़ित 268 पुरुषों और 132 महिलाओं के हार्मोनल और प्रोटीन मार्करों पर ध्यान केंद्रित किया और उन्हें मनोवैज्ञानिक मार्करों, जैसे कि उदास मनोदशा, चिंता, लालसा, शराब का सेवन और उपचार के पहले 3 महीनों के दौरान इलाज के परिणामों के साथ सहसंबंधित किया.
कैसे किया गया अध्ययन?
परीक्षण की शुरुआत में किसी के द्वारा कोई दवा लेने से पहले शोधकर्ताओं ने पुरुषों और महिलाओं के कई जेंडर स्पेसिफिक ब्लड मार्करों का टेस्ट किया, जिसमें सेक्स हार्मोन (टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरोन) के साथ-साथ उनके प्रजनन को प्रभावित करने वाले प्रोटीन और ल्यूटिनाइजिंग या ब्लड में इन हार्मोनों की बायोअवेलिबिलिटी (एल्ब्यूमिन और सेक्स हार्मोन-बाइंडिंग ग्लोब्युलिन) शामिल थे.
उन्होंने पाया कि शराब के सेवन के विकार, अवसाद के लक्षण और शराब के लिए क्रेविंग वाले पुरुषों में हार्मोन टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोन, ओस्ट्राडियोल, साथ ही प्रोटीन सेक्स हार्मोन बाइंडिंग ग्लोब्युलिन लेवल भी कम था.
हालांकि, AUD वाली महिलाओं में ऐसा कोई संबंध नहीं पाया गया. इसके अलावा, जिन महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन, सेक्स हार्मोन-बाइंडिंग ग्लोब्युलिन और एल्ब्यूमिन का लेवल ज्यादा था, उनमें उपचार के पहले तीन महीनों के दौरान उन महिलाओं की तुलना में बीमारी के फिर से उभरने की संभावना ज्यादा थी, जिनमें इन जैव रासायनिक मार्करों का लेवल कम था, लेकिन "पुरुषों में ऐसा कोई संबंध नहीं पाया गया," कार्प्याक ने कहा.
"जो चीज पुरुषों के लिए कारगर है, वह महिलाओं के लिए कारगर नहीं"
कार्प्याक ने कहा कि इसका मतलब यह है कि जो चीज पुरुषों के लिए कारगर है, वह महिलाओं के लिए कारगर नहीं हो सकती है और इसके विपरीत, शोधकर्ता ने ट्रीटमेंट ऑप्शन्स को तैयार करने के लिए AUD से पीड़ित पुरुषों और महिलाओं के बीच अंतर को समझने के लिए आगे के अध्ययनों का भी आह्वान किया.
यह अध्ययन इटली के मिलान में चल रहे यूरोपीय कॉलेज ऑफ न्यूरोसाइकोफार्माकोलॉजी (ECNP) सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)