इनफर्टिलिटी (Infertility) की समस्या आज के समय में एक बड़ी समस्या में से एक है. हाल ही में डेनमार्क में हुए एक अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण के सूक्ष्म कण (पीएम 2.5) के संपर्क में लंबे समय तक रहने से बांझपन की समस्या हो सकती है. डेनमार्क में नॉर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में दुनिया भर में 'बांझपन' की समस्या पर प्रकाश डाला गया. यह समस्या हर सात में से एक कपल को प्रभावित करता है. शुक्राणु की गुणवत्ता और प्रजनन उपचार की सफलता पर किए गए अध्ययनों में पता चलता है कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से शुक्राणु की गतिशीलता पर प्रभाव पड़ता है.
बीएमजे पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि पीएम 2.5 के लंबे समय तक संपर्क में रहने से पुरुषों में बांझपन का जोखिम अधिक होता है. तो वहीं ध्वनि प्रदूषण से महिलाओं में ये समस्या देखी जा सकती है. इस अध्ययन में 2000 से 2017 के बीच डेनमार्क में रहने वाले 30-45 वर्ष की आयु के दो से कम बच्चों वाले 26,056 पुरुष शामिल थे. पांच वर्षों में पीएम 2.5 के औसत से अधिक स्तर के संपर्क में रहने से 30-45 वर्ष की आयु के पुरुषों में बांझपन का जोखिम 24 प्रतिशत बढ़ जाता है.
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शोधकर्ताओं ने कहा कि चूंकि यह एक अध्ययन है, इसलिए इसका कारण निर्धारित करना असंभव है. उन्होंने यह भी माना कि लाइफस्टाइल संबंधी विशेषताओं और काम के दौरान तथा अवकाश गतिविधियों के दौरान वायु प्रदूषण के संपर्क में आने के बारे में उनका डेटा अधूरा हो सकता है और जो कपल गर्भधारण करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं.
अध्ययन ने दुनिया भर में जन्म दर बढ़ाने के लिए वायु प्रदूषण उपायों को लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. सरकारें पर्यावरण में सुधार कर और वायु गुणवत्ता के मुद्दों का समाधान कर प्रजनन स्वास्थ्य के परिणामों में सुधार कर सकती हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)