9 साल के बच्चे के फेफड़ों में फंस गई थी सिलाई वाली सुई, एम्स भुवनेश्वर के डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान...

मरीज, पश्चिम बंगाल का रहने वाला एक नौ वर्षीय लड़का, फेफड़ों के बाएं निचले लोब ब्रोन्कस लेटरल सेगमेंट में लगभग 4 सेमी लंबी एक सिलाई सुई चुभाने के बाद एम्स, भुवनेश्वर में लाया गया था.

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एम्स भुवनेश्वर द्वारा शेयर की गई तस्वीरें फेफड़ों में फंसी सिलाई की सुई को दिखाती हैं.
Bhubaneswar:

अस्पताल ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान के माध्यम से बताया कि एम्स, भुवनेश्वर के बाल रोग विभाग ने फेफड़ों में फंसी एक सिलाई सुई को निकालने के लिए ब्रोन्कोस्कोपिक के जरिए एक 9 वर्षीय लड़के की जान बचाई. अस्पताल की आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, ओडिशा के किसी भी पेडियाट्रिक्स सेंटर में सर्जरी का सहारा लिए बिना ऐसी सफल सर्जरी का पहला उदाहरण है. मरीज, पश्चिम बंगाल का रहने वाला एक नौ वर्षीय लड़का, फेफड़ों के बाएं निचले लोब ब्रोन्कस लेटरल सेगमेंट में लगभग 4 सेमी लंबी एक सिलाई सुई चुभाने के बाद एम्स, भुवनेश्वर में लाया गया था.

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एम्स भुवनेश्वर ने विज्ञप्ति में कहा कि बाल रोग विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ टीम - डॉ. रश्मी रंजन दास, डॉ. कृष्णा एम गुल्ला, डॉ. केतन और डॉ. रामकृष्ण ने बिना किसी जटिलता के सुई निकालने के लिए ब्रोंकोस्कोपिक की. अस्पताल के कार्यकारी निदेशक डॉ. आशुतोष विश्वास ने 'डॉक्टरों की टीम' को बधाई दी और उनकी जीवन रक्षक प्रक्रिया की प्रशंसा की.

डॉ. रश्मी रंजन दास ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस तरह की सर्जरी से लड़के का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता था, संभावित रूप से फेफड़ों के एक हिस्से को हटाने की जरूरत पड़ सकती थी.

एम्स ने कहा कि प्रक्रिया के बाद चार दिनों तक भर्ती रहे मरीज की हालत अब स्थिर है और वह ठीक होने की राह पर है.

अस्पताल ने अपनी विज्ञप्ति में आगे कहा, "यह इनोवेशन प्रोसेस, एम्स भुवनेश्वर और पूरे भारत में कुछ ही सेंटर पर मौजूद है, जो ऐसे मामलों में ब्रोंकोस्कोपी का उपयोग करती है."

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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