Effects Of Abortion On Body: अबॉर्शन, यानी गर्भावस्था को खत्म करना, आज के समय में एक आम प्रोसेस बन चुकी है. यह डिसिजन कई बार पर्सनल, सामाजिक या मेडिकल कारणों से लिया जाता है. हालांकि मेडिकल टेक्नोलॉजी ने इसे पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित बना दिया है, फिर भी यह पूरी तरह बिना कोई असर छोड़े नहीं होता. जब शरीर एक नए जीवन को विकसित करने की दिशा में जा रहा होता है और उस प्रोसेस को बीच में ही रोक दिया जाए, तो उसका असर केवल मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक रूप से भी देखने को मिलता है. यह आर्टिकल मेडिकल अबॉर्शन के बाद शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है, ताकि कोई भी महिला अगर यह डिसिजन ले, तो पहले से तैयार हो और जानकारी से भरपूर रहे.
अबॉर्शन के बाद शरीर में होने वाले बदलाव और उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें, जानिए दर्द से लेकर रिकवरी तक सबकुछ | After an abortion
अबॉर्शन का शरीर पर असर (Effects Of Abortion On Body | Abortion ke Side Effects )
कितने तरह के होते हैं अबॉर्शन? | Abortion kaise kiya jata hai
अबॉर्शन दो तरह से किया जाता है - सर्जिकल और मेडिकल. मेडिकल अबॉर्शन में मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल नामक दवाओं का इस्तेमाल होता है, जो गर्भ को प्राकृतिक रूप से शरीर से बाहर निकालने में मदद करती हैं. आमतौर पर यह प्रक्रिया 10 से 12 हफ्ते की गर्भावस्था तक ही की जाती है.
शरीर पर संभावित असर | Effects Of Abortion On Body | Abortion ke Side Effects
1. ब्लीडिंग और कमजोरी (Bleeding And Weakness after Abortion)
दवाओं के ज़रिए अबॉर्शन के बाद आमतौर पर हेवी ब्लीडिंग होती है, जो कई बार सामान्य मासिक धर्म से कहीं ज्यादा हो सकता है. यह स्थिति 2 से 3 हफ़्तों तक बनी रह सकती है. लगातार खून बहने से शरीर में कमजोरी, चक्कर आना और थकान जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.
2. ऐंठन और पेट दर्द (Pain in abdomen after Abortion)
अबॉर्शन के दौरान मिसोप्रोस्टोल दवा गर्भाशय को सिकोड़ने का काम करती है. इससे पेट में मरोड़, ऐंठन और तेज दर्द महसूस हो सकता है. कुछ महिलाओं के लिए यह अनुभव प्रसव पीड़ा के जैसा भी हो सकता है.
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3. हार्मोनल डिसबैलेंस (How to balance your hormones after an abortion?)
गर्भावस्था के दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन बढ़ जाते हैं. अबॉर्शन के बाद ये हार्मोन अचानक गिर जाते हैं, जिससे चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग, बेचैनी या हल्का डिप्रेशन भी हो सकता है.
4. अपूर्ण गर्भपात का खतरा (Pregnancy after Abortion)
हर बार मेडिकल अबॉर्शन पूरी तरह सफल हो, ऐसा जरूरी नहीं. कुछ मामलों में गर्भ का पूरा टिशू बाहर नहीं निकल पाता, जिससे संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं. ऐसी स्थिति में सर्जिकल हस्तक्षेप की ज़रूरत पड़ सकती है.
5. प्रजनन क्षमता पर असर (Firtility after Abortion)
ज्यादातर मामलों में मेडिकल अबॉर्शन से भविष्य में गर्भधारण पर कोई असर नहीं पड़ता, लेकिन बार-बार किए गए अबॉर्शन से गर्भाशय की इनर लेयर पर असर हो सकता है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई आ सकती है.
6. संक्रमण का खतरा (Infection after Abortion)
अगर प्रोसेस के दौरान पूरी सफाई नहीं बरती गई या गर्भ का कुछ हिस्सा अंदर ही रह गया, तो योनि या गर्भाशय में संक्रमण हो सकता है. इसके लक्षणों में बुखार, बदबूदार ब्लीडिंग या तेज़ पेट दर्द शामिल हैं.
अबॉर्शन के बाद देखभाल और सावधानियां
अबॉर्शन के बाद शरीर को ठीक होने में समय लगता है. इस दौरान पर्याप्त आराम, पौष्टिक भोजन और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. अगर ब्लीडिंग बहुत ज्यादा हो या लगातार तेज़ बुखार रहे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)