सात कोशिश नाकाम होने के बाद आठवीं बार बनीं मां, बच्चे की जान बचाने के लिए जापान से आया खून

सात बार असफल गर्भधारण का सामना करने के बाद, हरियाणा की एक बीस वर्षीय युवती ने हाल ही में एम्स में एक स्वस्थ लड़की को जन्म दिया.

Advertisement
Read Time: 4 mins

गर्भधारण एक महिला के जीवन का सबसे खास पल होता है. लेकिन कई बार ऐसी कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं जिससे बच्चे और मां की जान पर बन आती है ऐसे में डॉक्टर भगवान करा रूप बनकर मदद करते हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. सात बार असफल गर्भधारण का सामना करने के बाद, हरियाणा की एक बीस वर्षीय युवती ने हाल ही में एम्स में एक स्वस्थ लड़की को जन्म दिया. यह भ्रूण को जीवित रखने में मदद करने के लिए जापान से प्राप्त ओडी - फेनोटाइप रेड सेल्स यूनिट के सफल आधान द्वारा संभव हुआ. यह प्रक्रिया भारत में अपनी तरह की पहली और दुनिया में आठवीं सफल प्रक्रिया बताई जा रही है. इन स्पेशल रेड सेल यूनिट का उपयोग अंतर्गर्भाशयी आधान के लिए किया गया था , एक ऐसी प्रक्रिया जो मां से स्थानांतरित एंटीबॉडी के कारण हेमोलिसिस (रेड ब्लड सेल का विनाश) के कारण गंभीर एनीमिया से पीड़ित अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य और अस्तित्व को सुनिश्चित करने में मदद करती है. इस स्थिति को भ्रूण और नवजात शिशु की हेमोलिटिक बीमारी (HDFN) कहा जाता है.

Advertisement

डॉक्टरों ने कहा कि प्रसवपूर्व अवधि और प्रसव के तुरंत बाद की अवधि में भ्रूण की मृत्यु दर का एक महत्वपूर्ण कारण एचडीएफएन है. यह हाल ही में केस स्टडी पबमेड में प्रकाशित हुई थी. महिला का मामला भारत में अपनी तरह की पहली सफल गर्भावस्था को दर्शाता है, जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोर्स ओडी - फेनोटाइप रेड सेल यूनिट के उपयोग ने प्रसव में उसके पिछले असफल प्रयासों से उत्पन्न चुनौतियों पर काबू पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उसकी सभी गर्भावस्थाएं पहले प्राथमिक या माध्यमिक स्तर के केंद्रों पर प्रबंधित की गई थीं और उसे कभी रक्त आधान नहीं मिला.

ये भी पढ़ें-  प्रेगनेंसी में बेहद फायदेमंद है अमरूद का सेवन, जानें कितना खाएं

डॉक्टरों के अनुसार, अंतर्गर्भाशयी आधान में डोनर रेड ब्लड सेल्स को सीधे भ्रूण में इंजेक्ट किया जाता है. भ्रूण में एनीमिया के दो मुख्य कारण हैं Rh असंगतता और मातृ पार्वोवायरस B19 वायरल संक्रमण. एम्स की डॉ. के. अपर्णा शर्मा ने बताया कि Rh असंगतता तब उत्पन्न होती है जब माता और भ्रूण का ब्लड ग्रुप अगल होता है. इस विशेष मामले में, माता के रक्त में एंटी-आरएच17 एंटीबॉडीज थे, जिन्होंने भ्रूण के ब्लड सेल्स पर हमला करके उन्हें नष्ट कर दिया. इससे भ्रूण के रेड ब्लड सेल्स की संख्या में भारी कमी आई, जिससे आगे की जटिलताओं को रोकने के लिए अंतर्गर्भाशयी आधान की आवश्यकता हुई.

Advertisement

चूंकि भारत में कोई डोनर की रजिस्ट्री नहीं है, इसलिए ओडी - फेनोटाइप रेड सेल्स  कोशिका यूनिट की व्यवस्था करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दुर्लभ डोनर पैनल से संपर्क किया गया. हालांकि भारत का एक ब्लडडोनर पैनल में रंजिस्टर था, लेकिन उसने ब्लड डोनेट करने से इनकार कर दिया. डॉ. वत्सल डधवाल ने कहा, "भ्रूण की सुरक्षा और सेहत सुनिश्चित करने के लिए, हमने जापानी रेड क्रॉस से संपर्क किया, जिसके पास दुर्लभ ओडी-ब्लड ग्रुप वाले 32 डोनर की रजिस्ट्री है. इसने ब्लड के लिए सहमति व्यक्त की." "गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को बचाने के लिए, जापानी रेड क्रॉस से ओडी-रेड ब्लड सेल्स की तीन यूनिट अंतराल पर हमारी सुविधा में भेजी गईं, विशेष रूप से अंतर्गर्भाशयी आधान के उद्देश्य से."

Advertisement

डॉ. नीना मल्होत्रा ​​​​के अनुसार, एंटी-आरएच17 के साथ आरएच-गर्भावस्था के वैश्विक स्तर पर केवल 18 मामले सामने आए हैं. इनमें से केवल आठ गर्भधारण सफल रहे. यह भारत में पहला सफल मामला था. 

Advertisement

Health Benefits of Eating Soaked Raisins​: भीगी किशमिश खाने के फायदे | Bheegi Kismish Khane Ke Fayde

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Advertisement
Featured Video Of The Day
US Presidential Elections: President Joe Biden और Donald Trump के बीच हुई डिबेट