क्या आप भी खाते हैं गेहूं के आटे से बनी रोटी? आयुर्वेद से जानें कब और कैसे करें सेवन

Gehu Roti Ke Fayde: गेहूं हमारे देश का मुख्य अनाज है, जो लगभग हर घर में खाया जाता है. पंजाब, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, और मध्य प्रदेश गेहूं के मुख्य उत्पादक राज्य हैं, जहां सबसे ज्यादा अलग-अलग किस्म के गेहूं का उत्पादन किया जाता है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कब और कैसे खाना चाहिए इसे.

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Wheat Flour Roti: गेहूं की रोटी खाने के फायदे.

गेहूं हमारे देश का मुख्य अनाज है, जो लगभग हर घर में खाया जाता है. पंजाब, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, और मध्य प्रदेश गेहूं के मुख्य उत्पादक राज्य हैं, जहां सबसे ज्यादा अलग-अलग किस्म के गेहूं का उत्पादन किया जाता है. छोटा सा दिखने वाला गेहूं फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर होता है और शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ पाचन को सरल बनाता है. गेंहू को आयुर्वेद में अमृत की उपाधि दी गई है, जो तन और मन दोनों के लिए लाभकारी माना गया है. आयुर्वेद में गेहूं को बलवर्धक और ओज बढ़ाने वाला अनाज माना गया है. इसके सेवन से मांसपेशियां मजबूत होती हैं, लंबे समय तक भूख नहीं लगती है, और शरीर ऊर्जा से भरा महसूस करता है. उत्तर भारत के ज्यादातर घरों में तीनों समय गेहूं से बनी रोटियों का सेवन किया जाता है, लेकिन ये गलत है.

कब खाएं गेंहू की रोटी- (When To Eat Wheat Roti)

नाश्ते से लेकर लंच तक गेहूं से बनी रोटियां खाना पेट से जुड़ी परेशानियों को बढ़ाता है. गेहूं से बनी रोटियों को दोपहर के वक्त खाना चाहिए, क्योंकि उस वक्त पाचन शक्ति तेज होती है और भारी भोजन पचाने में मदद मिलती है. रात के समय गेहूं से बनी रोटियां खाने से परहेज करें, क्योंकि शाम के समय पाचन शक्ति की गति कम हो जाती है, जिससे भारी खाना पचाने में परेशानी होती है. शाम के समय हल्का भोजन लें और गेहूं से बनी रोटियों से परहेज करें.

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अब ये जानना भी जरूरी है कि गेहूं का आटा कैसा होना चाहिए. आटा ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए. जब जरूरत लगे, तभी चक्की पर आटा पिसवाना चाहिए क्योंकि पुराने आटे में पोषक तत्व कम हो जाते हैं.

कैसे खाएं गेहूं का आटा- (Kaise Khaye Gehu Ka Atta)

गेहूं के आटे से रोटियां बनाते वक्त चोकर ना निकालें. चोकर में सबसे ज्यादा फाइबर होता है, जो गेहूं को पचाने में सहायक है. ज्यादातर लोग रोटियों को मुलायम बनाने के लिए चोकर निकाल देते हैं, जो गलत है. तीसरा, गेहूं से बनी रोटियों को हमेशा घी या मक्खन के साथ खाए. ये गेहूं के पोषक तत्वों को बढ़ा देता है और पाचन में भी आसानी होती है.

गेहूं की रोटियों के अलावा, दलिए का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. गेहूं के दलिए को मूंग की दाल बनाकर मिलाएं. ये फाइबर से लेकर प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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