Chhath Puja 2024: छठ महापर्व में बनते हैं ये पारंपरिक पकवान, खास होता है बनाने का तरीका, यहां जानें हर दिन के अलग-अलग पकवान 

Chhath Puja Pakwan : छठ पूजा बिहार राज्य का प्रसिद्ध त्योहार है. यह त्यौहार पूरे देश में लोग धूमधाम से मनाते हैं. यह त्योहार 4 दिनों तक चलता है. इस दौरान कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं. 

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Chhath Puja 2024: छठ पूजा में बनाए जाते हैं ये पकवान.

Chhath Puja Prasad : छठ पूजा बिहार का पारंपरिक लोकपर्व है. जिसे यहां के अलावा पूरे भारत देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व में उगते और डूबते सूरज की आराधना की जाती है. छठ पूजा में महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और पहले डूबते और फिर अगली सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा करतीं हैं. छठ पूजा के दौरान बिहार और देश के अन्य राज्यों में कई तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं. इसमें ठेकुआ, रसिया, कसार के लड्डू होते हैं. तो चलिए जानते है छठ पूजा के दौरान पहले दिन से आखिरी दिन तक बनने वाले स्वादिष्ट व्यंजनों के बारे में. 

छठ पूजा में बनने वाले पकवान (Dishes For Chhat Puja)

1. नहाय-खाय-

यह छठ पूजा का पहला दिन होता है. इस दिन साफ़-सफाई का विशेष महत्व होता है. पहले दिन लोग शुद्ध शाकाहारी व्यंजन बनाकर व्रत की शुरुआत करते हैं. कार्तिक शुक्ल चतुर्थी के दिन छठ पर्व की शुरुआत होती है. नहाय खाय वाले दिन से बिना लहसुन प्याज के खाना बनाया जाता है. इस दिन लौकी, चने की दाल, कद्दू की सब्जी  और चावल खाने की परंपरा है.

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2. खरना-

यह छठ पर्व का दूसरा दिन होता है. इस दिन को खरना कहा जाता है. महिलाएं पूरा दिन निर्जला व्रत रखतीं हैं और शाम के समय स्वादिष्ट गुड़ की खीर, रोटी और केले का सेवन केले के पत्ते पर रख कर करती हैं. इस दिन महिलाएं पूरा दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए व्रत का पालन करती हैं. 

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3. संध्या अर्ध्य- 

छठ पूजा का यह विशेष दिन होता है. इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और सूरज की विधिवत पूजा की जाती है. अर्घ्य के लिए कई मिठाइयां बनाई जाती है जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू. इसके साथ फलों को रखकर टोकरी या सूप सजाया जाता है. इस दिन सूर्य के साथ छठी मैया की पूजा की जाती है. रात में छठी मैया के गाने गाए जाते हैं और इस व्रत की कथा सुनी जाती है. 

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4. प्रातः अर्घ्य-

यह छठ पूजा का आखिरी दिन होता है. इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी-तालाबों के घाटों पर पहुचतीं हैं और उगते हुए सूर्य को कच्चे दूध में गंगा जल मिलाकर अर्घ्य देती हैं. इस दिन व्रत का पारण होता है. इसके साथ ही छठ पूजा का समापन होता है. 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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