Samosa History: बाहर से क्रिस्पी और अंदर से मसालेदार आलू के साथ चटनी की मिठास के साथ मुंह में एक तीखेपन का स्वाद जब आता है तो इसका नाम समोसा कहलाता है. बारिश की बौछार हो या फिर कुछ तीखा और मजेदार खाने का मन हो, शाम की चाय हो या सुबह की थकन मिटाने के लिए एक स्वादिष्ट स्नैक समोसा एक ऐसा भारतीय स्नैक है जो हर मौसम और हर समय बिल्कुल परफेक्ट बैठता है. यह सिर्फ एक स्नैक नही है बल्कि गर्म चाय के साथ ज्जबातों को जोड़ने वाला संगम भी है, जो स्कूल और कॉलेज की कैंटीन में दोस्तों के साथ बिताए गए पलों का साथी बन जाता है. यह कहानी है उस समोसे की, जो मसालों से नहीं, यादों से भी भरा होता है जिसकी हर क्रिस्पी परत कुछ कहती है.
अगर आप भी समोसा खाने के शौकीन हैं तो क्या आप जानते हैं कि ये समोसा कहा से आया है. हम सभी का फेवरेट ये समोसा जिसे हम बच्चे, बड़े सभी बड़े चाव से खाते हैं क्या आपको पता है कि ये समोसा भारतीय है ही नहीं..आपको ये सुनकर हैरानी हो रही होगी. लेकिन क्या फर्क पड़ता है चाहे ये जहां से भी आया इस बात में कोई शक नहीं है कि ये हमारे दिल को है भाया...आइए जानते हैं समोसे का इतिहास ये कहां से और कैसे आया....
समोसे का मीलो लंबा सफर
आपको बता दें कि बच्चों से लेकर के बड़ों के पसंदीदा समोसे को भारत आने के लिए मीलो लंबा सफर तय करना पड़ा था. समोसा ईरान के प्राचीन साम्राज्य से यहां तक पहुंचा है. और तब इसे फारसी शब्द संबूसाग के नाम से जाना जाता था और इसी शब्द से इसका नाम समोसा पड़ा. समोसे का जिक्र पहली बार 11 वीं सदी के ईरानी इतिहासकार अबुल फजल बैहाकी ने अपनी किताब तारीख ए बैहाकी में किया था. उन्होंने गजनबी साम्राज्य में शाही दरबार में पेश की जाने वाली नमकीन चीज का जिक्र किया जिसमें कीमा और मेवे भरे होते थे. जिसके हिसाब से ये तकरीबन दसवीं सदी में मिडिल ईस्ट एशिया में बनाया गया था. आपको ये जानकर शायद हैरानी होगी कि जब यह पहली बार भारत आया तो इसमें आलू नहीं भरे जाते थे और ना ही इनको तला जाता है. उस समय समोसे में मीट भर कर इसको आग पर सेंक कर पकाया जाता था.
भारत कैसे पहुंचा समोसे
13वीं-14वीं शताब्दी के दौरान, मध्य पूर्वी एशिया से व्यापारी और मुस्लिम आक्रमणकारी भारत आए और उन्हीं के साथ चला आया समोसा. अमीर खुसरो और इब्न बतूता जैसे प्रसिद्ध लेखकों ने भी अपने लेखों में समोसे के जिक्र किया है. दिल्ली सल्तनत के अबुल फजल ने आइन ए अकबरी लिखते हुए इसका नाम शाही पकवानों में इसका नाम शामिल किया. फिर इबने बतूता ने भी दुनियाभर में समोसे का किया प्रचार. और फिर 17 वीं शताब्दी में पुर्तगाली भारत में आलू लाए और इस तरह आलू वाले समोसे बनाए. जब समोसा भारत पहुंच गया तो समय के साथ इसमें कई बदलाव भी किए गए. मीट की जगह आलू, मटर और मसालों ने ले ली और फिर ये समोसे आज भारत का एक प्रमुख स्नैक बन गया. इस तरह से ये समोसा आज हमारे बीच अपनी एक अलग ही छाप छोड़े हुए है. ये बात कहना गलत नहीं होगा कि समोसा सिर्फ पेट से नहीं बल्कि दिल से भी जुड़ा हुआ है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)