Narak Chaturdashi 2024 Date: नरक चतुर्दशी के दिन भूल से भी न करें ये गलतियां, जानें किसकी करें पूजा और इस दिन क्या खास बनाएं

Narak Chaturdashi 2024: नरक चतुर्दशी के दिन बेहद सावधानी भी रखी जाती है. इस दिन कुछ गलतियों को भूल कर भी नहीं करना चाहिए.

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Narak Chaturdashi: किस दिन है नरक चतुर्दशी.

Narak Chaturdashi 2024: हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक दीपावली से एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद यानी कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. पांच दिनों तक चलने वाले दीपावली पर्व के इस दूसरे दिन के पर्व को रूप चतुर्दशी और छोटी दीवाली भी कहा जाता है. परंपराओं के मुताबिक, दीपावली से पहले की जाने वाली साफ-सफाई के काम का यह आखिरी दिन होता है. इसी दिन शाम को घर के बाहर दीपक जलाने की विधिवत शुरुआत हो जाती है.

नरक चतुर्दशी पर किसकी पूजा की जाती है? (Who is worshipped on Narak Chaturdashi?)

पौराणिक मान्यता के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने नरक चतुर्दशी के दिन ही नरकासुर नामक राक्षस का वध कर उसके कैद से करीब 16 हजार महिलाओं को मुक्त कराया था. इसलिए नरक चतुर्दशी पर खासकर भगवान श्रीकृष्ण, माता महालक्ष्मी और मृत्यु के देवता यम की पूजा होती है. हालांकि, नरक चतुर्दशी को ज्यादातर यम देवता के लिए ही दीपक जलाकर परिवार की कुशलता की कामना की जाती है. नरक चतुर्दशी पर घरों में यमराज की पूजा के परिणाम से सौंदर्य की प्राप्ति होती है और अकाल मृत्यु या नरक का भय नहीं रहता है. इसलिए, नरक चतुर्दशी को आयु बढ़ाने का भी दिन माना जाता है.

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यम के लिए जलाते हैं दीप, क्या है पौराणिक परंपरा?

शास्त्रों के मुताबिक, नरक चतुर्दशी की शाम को यम देवता के नाम से दीपदान करने का भी विधान है. नरक चतुर्दशी की रात में घर के मुख्य द्वार से बाहर दक्षिण दिशा की ओर यम देव के नाम पर सरसों तेल का चौमुखा दीपक जरूर जलाना चाहिए. मान्यता है कि यम के नाम से जलाए गए मिट्टी या गोबर से बने 14 दीपक को जलाने के बाद उसकी निगरानी भी करनी चाहिए. कई जगहों पर दीपक की लौ बढ़ जाने पर उसे उठाकर घर के अंदर लाने और संभालकर पूरी रात जलाने का रिवाज भी है.

नरक चतुर्दशी के दिन भूल से भी न करें ये गलतियां (Do not commit these mistakes even by mistake on the day of Narak Chaturdashi)

नरक चतुर्दशी के दिन बेहद सावधानी भी रखी जाती है. इस दिन कुछ गलतियों को भूल कर भी नहीं करना चाहिए. मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होने की वजह से नरक चतुर्दशी के दिन किसी भी जीव को नहीं मारना चाहिए. साथ ही घर की दक्षिण दिशा को भूलकर भी गंदा नहीं करना चाहिए. नरक चतुर्दशी का व्रत करने वालों का अपमान नहीं करना चाहिए. किसी के दीप को बुझाना नहीं चाहिए. इस दिन किसी को भी तेल का दान नहीं करना चाहिए. इस दिन मांसाहार करने से भी परहेज करना चाहिए. इसके अलावा, नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी अपने घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए. कितना भी जरूरी काम रहे कोशिश करना चाहिए कि घर में परिवार का कोई न कोई सदस्य जरूर रहे.

नरक चतुर्दशी के दिन खाने के लिए क्या खास बनाएं? ( Narak Chaturdashi Food)

नरक चतुर्दशी को खाने के लिए कुछ खास बनाने की परंपरा हमेशा से चलती आ रही है. छोटी दीवाली होने से बने-बनाए मिठाइयों का लेनदेन भी होता है. अलग-अलग क्षेत्रों में लजीज पकवान, मिठाई, स्नैक्स जैसे कई विशेष व्यंजनों को बनाने से रसोई में भी रौनक बनी रहती है. मिठाई या डेजर्ट तो आजकल आधे बने हुए भी मिलते हैं, जिन्हें मिनटों में बनाकर खाया या सर्व किया जा सकता है. लेकिन, अपनी रसोई में बनी खास चीजों की अलग ही बात होती है. आइए, नरक चतुर्दशी पर आसानी से बनाए जा सकने वाले स्पेशल डिशेज और उसकी आसान रेसिपी के बारे में जानते हैं.

नरक चतुर्दशी पर पूर्वी भारत में ओल की स्पेशल सब्जी की चलन

आमतौर पर नरक चतुर्दशी के दिन घरों में पारंपरिक खाने में स्टार्टर के तौर पर आलू भरे हुए वाले हरी मिर्च के पकौड़े, दाल के बड़ा तो खाने में मशरूम कोफ्ते, चपाती या तंदूरी रोटी, चावल-दाल, मौसमी सब्जी, रायता या दही भल्ला और डेजर्ट के तौर पर मेवे की खीर, गुलाब जामुन और बेसन के लड्डू बनाए जाते हैं. छोटी दीवाली या नरक चतुर्दशी पर पूर्वी भारत में खासकर, ओल, सूरन या जिमीकंद की सब्जी, चोखा, चटनी, कढ़ी वगैरह बनाने की परंपरा है.

ओल की रसेदार सब्जी कैसे बनाएं? 

अनोखे स्वाद के लिए मशहूर ओल की रसदार सब्जी बनाने के लिए पहले उसे दो-तीन पानी से अच्छे से धोकर और छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर नमक और नींबू के रस मिले पानी में उबाला जाता है. उसके बाद उबले ओल के टुकड़ों को किसी भी दूसरी सब्जी की तरह ही प्याज, टमाटर, अदरक-लहसुन के पेस्ट, खड़ा गरम मसाला, घी या तेल, काली मिर्च पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, नमक, क्रीम या खोया, धनिया पत्ती, तेजपत्ता वगैरह की मदद से रसदार सब्जी तैयार की जाती है. इसे रोटी और चावल दोनों के साथ खाया जा सकता है. 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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